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Thursday 26 July 2018

DR. Vivek Bindra Biography in Hindi । डॉ . विवेक बिंद्रा की जीवनी

दोस्तों मै डॉ. विवेक बिंद्रा ( DR. Vivek Bindra ) इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर, लीडरशिप कंसलटेंट, सीईओ कोच । बहुत सारे लोग मुझसे पूछते की मेरी सफलता का राज क्या है और मै कैसे सफल हुआ अपने जीवन मै ???
आज मै अपने जीवन के बारें मै थोड़ी कुछ बातें बताने वाला हूँ । ऐसे कुछ बातें जिसने मेरे लाइफ को ब्रेक डाउन से ब्रेक थ्रू दिया।
जब मै छोटा था लगभग देढ साल का तो मेरे पिताजी का देहांत हो गया । उसके बाद मेरे माताजी का विवाह किसी और से हो गया था । मेरा शुरुवाती जीवन बड़ा संघर्षपूर्ण रहा ऐसा बच्चा जिसके माता पिता बचपन मै ही चले गये। उसके जीवन मै कई सारे संघर्ष हुये होगे पर मै आपको संघर्ष नहीं बताऊंगा । मैंने अपनी पढाई अमिति बिज़नस स्कूल (  Amity Business School ) से पूरी की।

भगवान कृष्ण बताते है की  “ददामी बुद्धि योगम तम येन माम् उपयन्ति ते” ( Bhagwat geeta shlok ) मतलब मै बुद्धि योग प्रदान करता हूँ । एक बार ग्रेजुएशन के दौरान मै MBA कर रहा था उसी दौरान मुझे कुछ मेंटर, गाइड, स्पिरिचुअल मास्टर्स मिले जिन्होंने मुझे भगवत गीता का ज्ञान दिया, ट्रेनिंग दी । आज मै उन्हीके वजहसे आपको गाइड कर रहा हूँ । बहुत सारे टाइम मै भगवत गीता का नाम लेता हूँ तो कभी नहीं लेता, लेकिन मैंने सारे प्रिंसिपल वहासे ही सीखे है  ।  हमारे 11th , 12th के Calculus, Permutation,higher Algebra,combination,integration, Differentiation ये Mathematics तभी क्लियर होंगे जब हमारा बेसिक पक्का हो।
झे वृंदावन मै किसी ने भगवत गीता दी और उसी भगवत गीता के वजह से मै सफल हुआ हूँ। कॉलेज के दौरान मै अपनी पढाई एजुकेशन लोन लेके कर रहा था उसी दौरान मैंने भगवत गीता पढ़ना शुरु की । भगवत गीता कोई धार्मिक किताब नहीं है, ना राजनितिक किताब है। भगवत गीता है अर्जुन ने प्रश्न किये और कृष्ण ने उत्तर दिये । भगवत गीता एक ऐसी किताब है जिसमे हमारे जीवन के सारे प्रश्नों के उत्तर दिये हुये है । इसमे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई ऐसे शब्दों का उच्चार कभी नहीं हुआ। करीबन 12 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी मेरे विडियो देखते है ।
हर एक व्यक्ति के जीवन मै कठिनाई तो आती रहती है, कृष्ण ने अर्जुन को स्किल नहीं दिया। स्किल तो अर्जुन को द्रोणाचार्य ने दिया पर कृष्ण ने अर्जुन को विल ( Will Power ) दिया । स्किल तो हममे होता ही है लेकिन जो विल होता है वो हमें भगवत गीता ( Power Of Bhagwat Gita ) से मिलता है।
द्रोणाचार्य ने पांडवो को मिलिटरी आर्ट की ट्रेनिंग दी तो कृष्ण ने अर्जुन को मेंटल एंड इमोशनल आर्ट की ट्रेनिंग दी। द्रोणाचार्य ने पांडवो को टेक्निक सिखाई और कृष्ण ने अर्जुन को Attitude बिल्ड करना सिखाया। अगर जीवन मै इच्छा शक्ति ( Will Power ) चली गई तो सब कुछ चला गया।

भगवत गीता ( Bhagwat Gita principle ) प्रिंसिपल पर आधारित है और उसके श्लोक ( geeta shlok  )  अगर हम जीवन मै उतारेंगे तो हमें सफलता जरुर मिलेगी । वैदिक काल और प्राचीन काल के जो राजा बनते थे वो ज्ञान, हेतु, कीमत, एकाग्रता, वर्ण, सदाचरण, मार्गदर्शन को फॉलो करते थे और वो सारे प्रिन्सिपल भगवत गीता मै बताये गये है । भगवत गीता एक जीवन जीने का तरीका बताता है ।

DR. Vivek Bindra Honors & Awards । डॉ. विवेक बिंद्रा जी के पुरुस्कार और सम्मान   : 

  • Best CEO Coach in India
    Times of India – Speaking Tree
    February 2017
  • Best Leadership Trainer in Asia
    Marshal Goldsmith @ World HRD Congress, Mumbai
    February 2017
  • Think Tank of Corporate Asia
    World Leadership Federation, Dubai
    February 2017
  • India’s Greatest Brand & Leader Award
    Process Reviewer PWC
    December 2016
  • Appreciation Award..
    Rotary Club of New Delhi & MCD
    June 2016
  • Training For the Largest Gathering of HR Professionals Under One Roof
    Golden Book of World Record
    May 2016
  • Best Motivational Speaker
    Maruti Suzuki India Ltd
    May 2015
  • Best Corporate Trainer
    Maruti Suzuki
    June 2014
  • Excellence Award – Secrets of Success
    Rotary Club of Delhi Mid Town
    June 2014
  • Best Keynote Speaker
    Agra Business Forum
  • Best Socially Responsible Motivational Speaker
    Faridabad Industries Association
  • Expression of Gratitude
    Rotary International District
  • Expression of Gratitude
    Institute of Chartered Accountant of India
  • Honoured for Development of Adolescents
    Mr. Motilal Gupta – Founder Chairman Saidham
  • Leadership Award
    DLF Industries Association
  • Most Inspirational Keynote Speaker
    Indian Institute of Technology, IIT – Roorkee
आज इनके youtube channel पर 27 लाख से भी ज्यादा Subscribers है। विवेक जी के most of seminars paid होते है जिस वजह से हर कोई उनका seminar attend नहीं कर पाता है पर हर कोई उनके Youtube Videos से Free में बहुत कुछ सिख सकता है। आज विवेक बिंद्रा देश की हर City में जा कर अपना seminar दे रहे है। जहा पर life में success कैसे होना है और अपने Business को कैसे success बना सकते है उसके बारे में बता रहे है।

बहुत से लोग जानना चाहता है की विवेक बिंद्रा जी की salary, income या net worth क्या है ? पहली बात की विवेक जी सिर्फ एक नहीं पर अनेक प्रकार के काम कर रहे है। जैसे Youtube पर, CEO Coach के रूप में, Business Trainer, Motivational Speaker etc. Youtube पर Adsense से पैसे कमा रहे है जो की पूरी research के हिसाब से monthly 2 लाख से ज्यादा की income हो सकती है और उसके अलावा जो भी Training Programs कर रहे है उसे monthly 15 lakh से ज्यादा की income हो जाती होगी। दोस्तों यह कोई perfect number नहीं है सिर्फ अंदाजित आंकड़े है।

Friday 25 May 2018

Priya Prakash Varrier Biography in Hindi | प्रिय प्रकाश वर्रिएर जीवन परिचय

जीवन परिचय
वास्तविक नामप्रिय प्रकाश वर्रिएर
उपनामरिया, विंक गर्ल
व्यवसायअभिनेत्री, गायिका
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 163
मी०- 1.63
फीट इन्च- 5' 4”
वजन/भार (लगभग)50 कि० ग्रा०
शारीरिक संरचना (लगभग)32-24-34
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगकाला
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि28 अक्टूबर 1999
आयु (2017 के अनुसार)18 वर्ष
जन्मस्थानपूनकुन्नम, त्रिशूर, केरल, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगरपूनकुन्नम, त्रिशूर, केरल, भारत
स्कूल/विद्यालयज्ञात नहीं
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयविमला महाविद्यालय, त्रिशूर, केरल
शैक्षिक योग्यतास्नातक (वाणिज्य) में अध्यनरत
डेब्यूतमिल गीत (अभिनेत्री)- Nee vaanam Naan mazhai (2018)
Nee vaanam Naan mazhai
मलयालम फिल्म (अभिनेत्री) - ओरु अदार लव (2018)
ओरु अदार लव
परिवारपिता - प्रकाश वर्रिएर
माता - प्रीथा वर्रिएर
भाई - प्रसिद्द वर्रिएर
प्रिय प्रकाश वर्रिएर अपने भाई के साथ
बहन- ज्ञात नहीं
धर्महिन्दू
जातिअंबलावसी (जो मंदिर के रख-रखाव का ख्याल रखते हैं), गैर-ब्राह्मण समुदाय
शौक/अभिरुचियात्रा करना, नृत्य करना, संगीत सुनना
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा अभिनेताशाहरुख़ ख़ान, रणवीर सिंह, विजय सेतुपति
पसंदीदा अभिनेत्रीदीपिका पादुकोण, नयनतारा
पसंदीदा फिल्म निर्देशकसंजय लीला भंसाली
पसंदीदा गीतचन्ना मेरेया (अरिजीत सिंह)
पसंदीदा क्रिकेटरमहेंद्र सिंह धोनी
पसंदीदा नृत्यमोहिनीअट्टम (शास्त्रीय)
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
बॉयफ्रैंड्स एवं अन्य मामलेऋषिकेश साजी (अफ़वाह)
प्रिय प्रकाश वर्रिएर ऋषिकेश साजी के साथ
प्रिय प्रकाश वर्रिएर

प्रिय प्रकाश वर्रिएर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या प्रिय प्रकाश वर्रिएर धूम्रपान करती हैं ? ज्ञात नहीं
  • क्या प्रिय प्रकाश वर्रिएर शराब पीती हैं ? ज्ञात नहीं
  • प्रिया एक मलयाली परिवार से संबंधित रखती हैं।
  • वर्ष 2017 में, उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और वह विभिन्न फैशन डिजाइनरों के लिए कार्य किया करती हैं।  प्रिय प्रकाश वर्रिएर मॉडलिंग करती हुई
  • वह एक प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांगना हैं।   प्रिय प्रकाश वर्रिएर
  • 9 फरवरी, 2018 को, मलयालम फिल्म ‘ओरु अदार लव’ का म्यूजिक वीडियो ‘माणिक्या मलराया पूवी’ इंटरनेट पर वायरल हो गया, जिसके बाद वह रातों-रात प्रसिद्ध हो गई।
  • वर्ष 2018 में, उन्होंने एक तमिल संगीत वीडियो “Nee Vaanam Naan Mazhai” में अभिनय किया था।
  • एक व्यापारी जहीर अली खान और कुछ अन्य लोगों ने मिलकर फिल्म ओरु अदार लव के निर्देशक उमर लुलु के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने यह दावा किया था कि उनके फिल्म के एक गीत “माणिक्या मलराया पूवी” ने मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आघात पहुँचाया है। जवाब में निर्देशक ने कहा कि- “सीएमए जब्बार द्वारा लिखित गीत विवाह के दौरान और उत्तर केरल के मालाबार क्षेत्र में हर समारोह के दौरान गाया जाता है। मालाबार मुसलमान इस गाने को 1978 से गा रहे हैं। यदि यह तब आपत्तिजनक नहीं था, तो यह अब आपत्तिजनक कैसे बन गया ?”
  • उनका बॉलीवुड फिल्म उद्योग में अभिनय करने का सपना है।
  • वह विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेती रहती हैं।
  • उन्होंने शास्त्रीय संगीत सीखा है। वह इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपने गायन और अपना नृत्य वीडियो पोस्ट किया करती हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक गीत “चन्ना मेरेया” भी गाया था।

  • वर्ष 2017 में उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की जिसे मात्र 3 शॉर्ट में फिल्माया गया था।
  • उनका एक सपना है कि वह बॉलीवुड फिल्म उद्योग में कार्य करें। इसके अलावा वह सुर्य, धनुष, विजय, विजय सेतुपति जैसे दक्षिण भारतीय कलाकारों के साथ कार्य करना चाहती हैं।

Thursday 28 December 2017

IPL में पहला शतक बनानेवाले मनीष पाण्डेय | Cricketer Manish Pandey Biography


मनीष पांडे का जन्म स्थान, माता पिता
Manish Pandey birth Place, Parents

Manish Pandey का जन्म 10 सितंबर 1989 को उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कृष्णानंद पांडेय के घर हुआ। मनीष के पिता कृष्णानंद पांडेय भारतीय सेना में हैं। कृष्णानंद मूल रूप से उत्‍तराखंड के बागेश्‍वर जिले के खीणी गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार लंबे समय से नैनीताल जि‍ले के हल्‍द्वानी में ही रह रहा है। Manish Pandey ने क्रिकेट खेलना तब शुरू किया था, जबकि वह तीसरी क्लास में पढ़ते थे। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई नासिक के देवलाली ​स्थि​त केंद्रीय विद्यालय में की थी। इसके बाद जम्मू यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

जूनियर क्रिकेट में मनीष का प्रदर्शन
Performance In Junior Cricket

Manish Pandey ने जूनियर स्तर पर अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत कर्नाटक के राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में मैसूर की टीम के लिए खेलकर की थी। इस टूर्नामेंट में प्रभावशाली प्रदर्शन की बदौलत उनका चयन 2008 में मलेशिया में आयोजित हो रहे Under-19 World Cup में हिस्सा लेने जा रही भारतीय टीम कर लिया गया। भारतीय टीम ने इस ट्राफी को जीता था। अंडर 19 वर्लड कप में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत मनीष को आईपीएल नीलामी में रायल चैलेंजर्स बंगलुरु की टीम ने खरीद लिया।

आईपीएल का पहला शतक बनाने वाले खिलाड़ी बने

Manish Pandey पहली बार तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2009 के आईपीएल में रायल चैलेंजर्स बंगलुरु की ओर से खेलते हुए नाबाद शतक ठोंक दिया। मनीष के 73 गेंदों में 114 रन की बदौलत ही रायल चैलेंजर्स बंगलुरु की टीम टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब हो सकी। आईपीएल के इतिहास में किसी भी बल्लेबाज की ओर से बनाया गया यह पहला शतक था।
इसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में भी Manish Pandey का बल्ला खूब चला और 35 गेंदों में 48 रन बनाकर उन्होंने अपनी टीम रायल चैंलेंजर्स बंगलुरु को फाइनल में पहुंचने में मदद की। इस शतक ने Manish Pandey को रातो रात सुर्खियों में ला दिया और यह भी सुनिश्चित किया कि वे अपने पिता की तरह सेना में न जाकर क्रिकेट की दुनिया में ही अपना भविष्य आजमाएंगे।

कोलकाता को दूसरी बार आईपीएल जिताने में रही अहम भूमिका

वर्ष 2014 में उनकेा कोलकाता नाइटराइडर्स ने खरीद लिया। कोलकाता नाइटराइडर्स ही 2014 के आईपीएल टूर्नामेंट की विजेता भी बनी। मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने विकेटकीपर रिद्धिमान साहा के 55 गेंदों पर 115 रन और मनन वोरा के 52 गेंदों पर 67 रन की मदद से 199 रन का मजबूत स्कोर खड़ा किया था, लेकिन मनीष पांडे के 50 गेंदों पर 94 रन उन पर भारी पड़े और 3 विकेट की जीत के साथ ट्राफी कोलकाता की झोली में आ गिरी।
ये मैच मनीष ने पूरी तरह से अपने दम पर जिताया था, क्योंकि कोलकाता की तरह से दूसरा कोई भी खिलाड़ी अर्धशतक तक नहीं बना पाया था। अपने इस मैचविजेता प्रदर्शन की बदौलत Manish Pandey मैन आफ द मैच भी चुने गए।  Kolkata Knight Riders ने यह टूर्नामेंट दूसरी बार जीतकर चेन्नई सुपर किंग्स के बाद दूसरी ऐसी टीम बनने का रिकॉर्ड कायम किया था।

रण​जी क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन से खींचा ध्यान
Draw Attention By Excellence In Ranji

सत्र वर्ष 2008—09 के रणजी टूर्नामेंट में Manish Pandey  ने कर्नाटक की ओर से खेलते हुए 63 के औसत से कुल 883 रन बनाए थे और वे टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर रहे। इस दौरान उन्होंने 4 शतक और 5 अर्धशतक अपने खाते में जोड़े और कर्नाटक को फाइनल में पहुंचने में मदद की। हालांकि टूर्नामेंट के फाइनल में उनकी टीम मुबई के हाथों सिर्फ 6 रन से ट्राफी गंवा बैठी। लेकिन Manish Pandey  ने शानदार और जीवट भरे 144 रन बनाकर अंतिम दम तक मैच को जीतने के लिए संघर्ष किया।
मैच की चौथी पारी में ​मिले 338 रन के लक्ष्य को पाने में दूसरे छोर से पर्याप्त मदद न मिल पाने के कारण मनीष अपनी टीम को ट्राफी जिताने में भले ही कामयाब न हो सके, लेकिन भारतीय क्रिकेट के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी आरे आकर्षित करने में उन्हें सफलता मिल गई।
वर्ष 2010 में भारत दौरे पर आई दक्षिण अफ्रीका की टीम के खिलाफ अभ्यास मैच में बोर्ड अध्यक्ष एकादश की टीम में शामिल कर लिया गया। मैच में अच्छी शुरुआत के बावजूद Manish Pandey 43 रन पर अपना विकेट गंवा बैठे।
2013-14 के रणजी सत्र में भी Manish Pandey ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया और कर्नाटक की टीम की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में दूसरे नंबर पर रहे। रणजी क्रिकेट में इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें 2014 की आईपीएल नीलामी में कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम ने खरीद लिया।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मनीष पांडे के प्रमुख प्रदर्शन
Performance In International Cricket

Manish Pandey ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत 14 जुलाई 2015 को जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे मैच खेलकर की। पांडे ने इस मैच में शानदार 71 रन बनाए और केदार जाधव के साथ मिलकर 144 रन की साझेदारी की। मनीष जिस समय क्रीज पर आए थे, उस समय भारत की टीम 82 रन पर चार विकेट खोकर संघर्ष कर रही थी।
2016 में उन्हें आस्ट्रेलिया जा रही भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया। इस दौरे में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए फाइनल में मनीष ने 104 रन की मै​​च विजेता पारी खेली। इस दौरे का यह एकमात्र मैच था, जिसे भारतीय टीम जीतने में कामयाब रही।

दक्षिण अफ्रीका में त्रिकोणीय सीरीज जिताने में प्रमुख भूमिका

अगस्त 2017 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुई त्रिकोणीय सीरीज में जिसमें इंडिया ए, दक्षिण अफ्रीका ए और अफगानिस्तान एक की टीमों ने हिस्सा लिया Manish Pandey भी भारतीय टीम का हिस्सा थे। भारतीय टीम ने इस सीरीज के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 7 विकेट से हराकर ट्राफी अपने नाम की, जिसमें Manish Pandey का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
साउथ अफ्रीका ए ने इस मैच में 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 267 रन का मजबूत स्कोर बनाया था, जिसमें Farhaan Behardien के 101 और Dwaine Pretorius के 58 रन शामिल थे। जवाब में उतरी भारतीय टीम ने श्रेयस अययर के नाबाद 140, विजय शंकर के 72 और Manish Pandey के 32 नाट आउट रनों की बदौलत सिर्फ 3 विकेट खोकर मैच जीत लिया था।
इस सीरीज में इंडिया ए की तरफ से Manish Pandey ने कुल 5 मैच खेले और 4 बार नाटआउट रहकर कुल 307 रन बनाए, जिसमें 3 अर्धशतक शामिल थे। टूर्नामेंट क सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे।

Sunday 12 November 2017

जसप्रीत बुमराह का सफर, बचपन से पेशेवर क्रिकेटर बनने तक...

दुनियाँ में ऐसे लोग बड़ा जल्दी सफल होते है, जो छोटी-सी उम्र में ही अपने जीवन जीने का रास्ता खुद चुनते है। पर यह सब करना आसान नहीं होता है, लेकिन ऐसे काम जुनूनी और शौकियाँ इंसान ही कर सकते है। कुछ ऐसे ही जुनूनी इंसान है,भारतीय क्रिकेट टीम के नए bowling Hero, Jasprit Bumrah। जसप्रीत बुमराह का जन्म अहमदाबाद, गुजरात के सिख परिवार में हुआ था। उनके स्वर्गीय पिता, जसबीर सिंह बूमराह एक बिजनेस-मेन थे, जो एक कैमिकल फैक्ट्री चलाया करते थे और माँ, दलजीत कौर निर्माण हाई स्कूल, अहमदाबाद की प्रिन्सिपल है।परिवार में जसप्रीत के अलावा एक बड़ी बहन, जुहीका कौर, भी है, जिनका 2016 के शुरुआत में विवाह हो चुका है। जब जसप्रीत मात्र 7 साल के तब उनके पिता का हेपिटाइटिस बी के कारण देहांत हो गया। जिसके बाद पूरे परिवार का भार उनकी माँ पर आ गया। जिसे वे अब तक बखूबी अच्छी तरह से निभाते आई है।
शिक्षा : वैसे उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उस स्कूल से हुई, जहां उनकी माँ प्रिन्सिपल थी। फिर भी वे पढ़ाई के बजाय क्रिकेट को ज्यादा चाहते थे।
बैटिंग साइड से नहीं, बॉलिंग साइड से।

बुमराह ने आईपीएल के अपने पहले मैच के अपने पहले ओवर में ही विराट कोहली को आउट किया था।


भारतीय क्रिकेट टीम ने पिछले कुछ समय में जिस तरह का टी20 क्रिकेट में चमत्कारी प्रदर्शन किया है उसका काफी श्रेय नए नवेले तेज़ गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को भी जाता है जो अक्सर अपने अजीबोगरीब एक्शन और तेज यॉर्करों से बल्लेबाजों को चौंका देते हैं। एम एस धोनी के भरोसे के गेंदबाज बन चुके जसप्रीत बुमराह के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आपको स्थापित करना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा और उन्होंने बचपन से भारतीय टीम के लिए  पहला मैच खेलने तक जबरदस्त  मेहनत की। तो आइए नजर डालते हैं बुमराह के प्री- क्रिकेट जीवन पर जिसने उन्हें टीम इंडिया में शामिल होने का मौका दिया। बुमराह को भी बचपन में अन्य बच्चों की तरह अपने घर की बाउंड्री के भीतर क्रिकेट खेलने की आदत थी। 

एक ऐसी ही गर्मियों  की दुपहरी में जब वह बाउंड्री के भीतर गेंदबाजी कर रहे थे तो उनकी मां दलजीत बुमराह ने जसप्रीत के सामने शर्त रखी कि उसे बाउंड्री के अंदर तब ही खेलने की इजाजत मिलेगी अगर वह ज्यादा आवाज ना करे। इस बात से निजात पाने के लिए 12 साल के जसप्रीत ने एक बेहतरीन हल निकाला और  वह दीवार पर गेंद मारने की जगह फ्लोर स्कर्टिंग पर गेंद मारने लगे जिससे की आवाज कम होती और इससे उनकी मां भी खुश हुई क्योंकि अब उनको भी तेज आवाज सुनने को नहीं मिल रही थी। इस बात को लेकर बुमराह को भी खुशी हुई कि वह अपने प्रिय खेल को जारी रख पाया। दोनों  मां- बेटे को शायद ही तब पता था कि वह प्रेक्टिश बाद के सालों में बुमराह के एक खतरनाक हथियार यॉर्कर में तब्दील में हो जाएगी जिस पर पूरी दुनिया को उन पर नाज़ होगा और भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी डेथ ओवरों में उनकी यॉर्करों को आजमाने के लिए लालायित होंगे।
जसप्रीत के लिए जिंदगी कभी भी आसान नहीं रही और उनके परिवार को इस दौरान कई उतार- चढ़ाव देखने पड़े। उनके पिता जसबीर सिंह की हेपेटाइटस बी के कारण मृत्यु हो जाने के बाद उनकी मां ने जसप्रीत और उनकी बहन को अकेले पाला। जब  उनके पिता की मृत्यु हुई तब उनकी उम्र महज 7 साल थी।  जसबीर सिंह का केमिकल बिजनेस था जो प्रेशर वाले बर्तनों में इस्तेमाल होता है। उनकी मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी जसप्रीत की मां दलजीत के कंधों  पर आ गई। वह टीचर थीं वह निर्मन हाई स्कूल के प्री- प्राइमरी सेक्शन की प्रिंसिपल थी जहां जसप्रीत ने भी पढ़ाई की।
दो साल तक फ्लोर स्कर्टिंग और मजे के लिए स्कूल की ओर से और पड़ोसियों के साथ खेलने के बाद जसप्रीत ने क्रिकेट में करियर बनाने के लिए बड़े सपने देखना शुरू कर दिए। दलजीत आज भी उस दिन को याद करते हुए कहती हैं जब जसप्रीत 14 साल का था और वह उनके पास एक रिक्वेस्ट को लेकर आया। उसने कहा कि वह क्रिकेटर बनना चाहता है। वह कहती हैं, “मैं यह सुनकर कुछ देर के लिए चौंकी और कहा कि बहुत सारे बच्चे हैं जो क्रिकेट खेलते हैं और ये कतई आसान नहीं होने वाला। लेकिन उसने कहा, मुझ पर विश्वास रखो। सिंगल पैरेंट होते हुए  मैं थोड़ा परेशन थी, लेकिन मैं उसे ना कैसे कह सकती थी। स्कूल में मैं पैरेंट्स से कहती रहती थी कि  हर बच्चे का एक सपना होता है हमें उसे मौके देने चाहिए।”
बाद के दिनों में दलजीत अपने बेटे के इस खेल के प्रति लगन और अपने आपको निखारने को लेकर  भूख को देखकर चौंक गईं। जसप्रीत प्रेक्टिश सेशन में शामिल होने के लिए सुबह- सुबह निकल जाते थे, और फिर स्कूल को अटेंड करते थे और फिर से उसके बाद शाम को ट्रेनिंग के लिए जाते थे। जिन क्रिकेटरों ने उनकी गेंदबाजी देखी सभी ने उसको सराहा। यही कारण  था कि उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा आयोजित किए जाने वाले क्रिकेट कैंप में चुना गया और जल्दी ही उन्हें एमआरएफ पेस फाऊंडेशन और जोनल कैंप ऑफ नेशनल क्रिकेट अकादमी के लिए  चुन लिया गया। सौभाग्य से किसी ने भी उनके एक्शन को बदलने के लिए नहीं कहा, उनके बचपन से ही हर कोच यही कहता था कि उनका एक्शन ‘अलग है।’ और इस तरह चीजें बुमराह के लिए सौगात लेकर आने लगीं। उन्हें गुजरात अंडर-19 टीम की ओर से सौराष्ट्र के खिलाफ मैच के लिए चुना गया।
इस मैच में  पिच बल्लेबाजी के लिए ज्यादा अनुकूल थी, लेकिन अपनी धारदार गेंदबाजी से उन्होंने बल्लेबाजों को हक्का- बक्का छोड़ दिया और सात विकेट निकाले। गुजरात के रणजी कोच हितेश मजुमदार बताते हैं कि बल्लेबाज उन्हें उस दौरान पढ़ नहीं पा रहे थे। “वह कभी बाउंसर डालते थे तो कभी यॉर्कर। उनकी उम्र तब भी बहुत छोटी थी, लेकिन उनकी गेंदबाजी में  विविधतताओं को देखते हुए हमने उसे सैय्यद मुश्ताक अली टी20 के लिए चुन लिया जो पुणे में खेली जानी थी।” “पुणे में बुमराह की जिंदगी बदलने वाली थी।  भारतीय टीम के पूर्व कोच जॉन राइट मुंबई इंडियंस के लिए अच्छे खिलाड़ियों की तलाश में वहां आए हुए थे। बुमराह ने इस दौरान ज्यादा विकेट तो नहीं लिए लेकिन अपनी बेहतरीन इकॉनामी रेट 6.58 के साथ उसने जॉन राइट को प्रभावित किया। इसके कुछ दिनों बाद ही मुंबई इंडियंस ने उनके साथ अनुबंध कर लिया। यही उनके करियर के लिए एक बड़ा  टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ जहां वह लसिथ मलिंगा और मिचेल जॉनसन जैसे गेंदबाजों के साथ कंधे  मिलाकर गेंदबाजी  करते नजर आए। इस टीम में विश्व क्रिकेट से सभी बड़े खिलाड़ी सचिन, पोटिंग और कुंबले शामिल थे और  यहीं से बुमराह के सपने की शुरुआत हुई।
रॉयल चैलेंजर्स से खेले जाने वाले मैच के पहले ही बुमराह को पता चला कि उन्हें टीम में चुन लिया गया है, उन्होंने मैच के पहले कोई खास प्रेक्टिश नहीं की थी, लेकिन मानसिक रूप से वह तैयार थे। हालांकि उनके लिए शुरुआत वैसी नहीं रही जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी और विराट कोहली ने उनके ओवरों की शुरुआती तीन गेंदों में तीन जबरदस्त चौके जड़ दिए। उस दौरान मिड ऑफ में सचिन तेंदुलकर खड़े थे जिन्होंने कुछ देर पहले उन्हें पर्दापण कैप दी थी।  वह उनके पास गए और कहा केवल एक अच्छी बॉल और तुम्हारा मैच बदल जाएगा, चिंता मत करो। ऐसा ही कुछ हुआ और उसी ओवर में बुमराह ने कोहली को एलबीडब्ल्यू आउट कर दिया और कोहली को  आउट करते ही माहौल खुशी में तब्दील हो गया।
यहीं से इस कम उम्र के लड़के ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा और यहां तक अमिताभ बच्चन ने भी बुमराह के लिए ट्वीट किया। लेकिन अभी रियलिटी चेक होना बाकी था और आगे के मैचों में बुमराह की बल्लेबाजों ने आईपीएल में जमकर धुनाई की।
अब उन्हें सूझ नहीं रहा ता कि वह क्या करें। इसी बात का तलाशते हुए वह मलिंगा के पार पहुंचे और पूछा अब आगे क्या करें?   मैं अब क्या करूं? तब मलिंगा ने उन्हें बताया कि उन्हें अपनी गेंदबाजी में और भी विविधतताओं की जरूरत है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि  वह उस चीज को परफेक्ट रूप से इस्तेमाल करे जो उनके पास है। उनके पास धीमी गेंद, बाऊंसर और यॉर्कर है। लेकिन वह नहीं जानते कि इनका ढंग से इस्तेमाल कैसे किया जाता है। इसके कुछ दिनों बाद बुमराह ने अपनी गेंदबाजी में फिर से पैनापन अख्तियार किया और वह मुंबई इंडियंस के मुख्य गेंदबाज के रूप में उभरे। बुमराह ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के दौरे के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की है और वह बहुत थोड़े से समय में चहेते बन गए हैं।


Sunday 5 November 2017

कौन है हार्दिक पटेल ? | Who is Hardik Patel ?

हार्दिक पटेल जीवन परिचय हिंदी में | HARDIK PATEL BIOGRAPHY IN HINDI | जीवनी, बायोग्राफी, हिस्ट्री, JIVANI, JIVAN PARICHAY, HISTORY, JIVNI, DOCUMENTARY


जीवन परिचय (जीवनी) / Biography / Documentary 

हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर जारी आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। यह ओबीसी दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण चाहते हैं।पटेल बी-काम पारित है।

व्यक्तिगत जीवन

हार्दिक पटेल का जन्म 20 जुलाई 1993 में चन्दन नगरी, गुजरात में भरत और उषा पटेल के घर हुआ था। वर्ष 2004 में अपने बच्चे के अच्छे शिक्षा हेतु इनका परिवार वीरमगम शहर 10 किलोमीटर दूर चला गया। हार्दिक ने 6वीं से 8वीं की कक्षा दिव्य ज्योत विद्यालय, वीरमगम में पूरी की। हार्दिक अपनी 7वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के पश्चात अपने पिता के छोटे से व्यापार को चलाने में सहायता करने लगे। वे भूमिगत पानी के कुओं में नल लगाने का कार्य करते थे। वर्ष 2010 में हार्दिक सहजानन्द महाविद्यालय, अहमदाबाद में बीकॉम की पढ़ाई की। उन्होंने महाविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव के पद के चुनाव में भाग लिया और निर्विरोध निर्वाचित हो गए।

राजनीतिक सक्रियता

सरदार पटेल समूह

वर्ष 2011 में हार्दिक सरदार पटेल समूह से जुड़े।

पाटीदार अनामत आंदोलन समिति

जुलाई 2015 में हार्दिक की बहन, मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त करने में विफल रही। इस कारण उन्होंने एक पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का निर्माण किया। जिसका लक्ष्य अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होना था।

पाटीदार आरक्षण आंदोलन

2004 में उनके माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए 11 किमी दूर एक शहर विरामगाम चले गए। हरिराम वी.राम शाह विनय मंदिर में जाने से पहले वर्माग्राम में दिव्या ज्योति स्कूल में कक्षा छठी से कक्षा आठवीं कक्षा में पढ़ाई गईं, जहां उन्होंने कक्षा तेरहवीं कक्षा तक अध्ययन किया। वह एक औसत छात्र और क्रिकेट उत्साही थे।
कक्षा XII को पूरा करने के बाद, हार्डिक ने अपने पिता, भारत को भूमिगत जल के कुओं में पनडुब्बी पंपों के फिक्सिंग के एक छोटे से व्यवसाय चलाने के लिए मदद करना शुरू कर दिया। भरत, भाजपा के एक पूर्व कार्यकर्ता, गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री से मिले और खुद पाटीदार जाति के सदस्य आनंदिबेन पटेल, जब उन्होंने मंडल विधानसभा सीट आयोजित की, जिसमें विरामगम गिर गया।
2010 में पटेल साहनांद कॉलेज, अहमदाबाद में शामिल हो गए और एक बैचलर ऑफ कॉमर्स (बी। कॉम।) डिग्री अर्जित की। उन्होंने अपनी बी.ओ. कॉम पूरी की। कृपा अंक के साथ डिग्री वह महाविद्यालय के छात्रों के संघ के महासचिव पद के लिए भाग गए और निर्विरोध निर्वाचित हुए। अभी भी कॉलेज में रहते हुए, पटेल ने वीरमगाम बस स्टैंड पर एक सोशल सर्विस के काम के रूप में पीने का पानी का खंभा खोला। 2013 में उन्होंने कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, दो प्रयासों के बाद, 50% से कम अंकों के साथ।
2015 में पटेल की बहन मोनिका ने एक बाहरी छात्र के रूप में अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता

सरदार पटेल समूह

31 अक्टूबर 2012 को हार्डिक पटेल सरदार पटेल समूह (एसपीजी) में शामिल हुए, जो एक पाटीदार युवा संगठन था, और एक महीने से भी कम समय के भीतर, विरामगम इकाई के अध्यक्ष बने। इसकी 50,000 मजबूत सदस्यता के साथ बातचीत से पता चला कि पाटीदार युवाओं को धीमी अर्थव्यवस्था की वजह से निजी क्षेत्र की नौकरियां हासिल करने के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जबकि आरक्षण कोटा और रिश्वत की अपेक्षा के कारण वे सरकारी नौकरियों से बाहर थे। उन्होंने पाया कि कुछ पादरदार किसानों ने अपनी कृषि भूमि को शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के लिए अधिग्रहण किया, जबकि ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं से प्रतिस्पर्धा के कारण पैतिधर व्यापारियों को उनके पारंपरिक व्यवसायों की विफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने पाया कि पाइटरों के लिए धन और रोजगार का एक पारंपरिक स्रोत हीरा उद्योग, सीमित है। 20,000 से अधिक छोटी कंपनियों ने बंद कर दिया था और हजारों बेरोजगार पटेल हीरा कटर और पोलिश अपने गांवों में लौट आए थे।
2015 में, अपने नेता लालजी पटेल के साथ संघर्ष के बाद हार्डिक पटेल को एसपीजी के साथ अपने पद से हटा दिया गया था।

पाटीदार अनातम आंदोलन समिति (पीएएएस)

जुलाई 2015 में पटेल की बहन मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति के लिए अर्हता प्राप्त करने में विफल रही। पटेल परेशान थे जब मोनिका के एक दोस्त ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के माध्यम से उसी छात्रवृत्ति के लिए योग्यता हासिल की थी, भले ही उसने कम अंक हासिल किए थे। सकारात्मक नीतियों को स्वीकार करते हुए अन्य जातियों को लाभ हो रहा था, लेकिन पाटीदार नहीं, पटेल ने पाटीदार अनमेट आंदोलन समिति (पीएएएस) का गठन किया जो कि ओबीसी कोटा में शामिल पाइटरों को प्राप्त करने के लिए एक गैर-राजनीतिक संगठन के रूप में खुद का दावा करता है। पटेल का दावा है कि वह महात्मा गांधी, सरदार पटेल और चंद्रशेखर आजाद जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन कार्यकर्ताओं से प्रेरित थे।

पैतीदार आरक्षण आंदोलन

अपने संदेश को प्रसारित करने और समर्थकों को इकट्ठा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए, पटेल ने 6 जुलाई 2015 को विसनगर, गुजरात में अपनी पहली रैली को संबोधित किया। तब से, उन्होंने अपने वक्तृत्व कौशल के माध्यम से लाखों लोगों को आकर्षित करते हुए गुजरात भर में कई रैलियों का आयोजन किया है।
25 अगस्त 2015 को, गुजरात में एक बड़ी संख्या में पाइटर जीएमडीसी ग्राउंड, एक रैली के लिए अहमदाबाद में इकट्ठे हुए। पटेल ने दिन को पतिदार क्रांति दिवस (पतिदार क्रांति दिवस) के रूप में घोषित किया। उस शाम, अहमदाबाद सिटी पुलिस ने उन्हें संक्षिप्त रूप से गिरफ्तार कर लिया था, जब वह दिन में पहले हुई रैली के बाद उपवास में चली गई थी, उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के तहत आरोप लगाया गया था कि 'फैलाने का आदेश दिया जाने के बाद जानबूझकर पांच या अधिक व्यक्तियों की विधानसभा में शामिल होने या जारी रखने के लिए' प्रतिक्रिया में हिंसक विरोध प्रदर्शन, गुजरात राज्य सरकार को कर्फ्यू लागू करने और भारतीय सेना में कॉल करने के लिए मजबूर कर रहा था।
31 अगस्त 2015 को, उन्होंने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के गुज्जर और कुर्मी समुदायों की सभा को संबोधित किया। 23 सितंबर 2015 को, पटेल ने एक संक्षिप्त लापता होने के बाद सामने आया, दावा किया कि हथियारों वाले लोगों द्वारा "अपहरण" किया गया था।
9 सितंबर 2015 को पटेल ने पटेल नवनिर्माण सेना (पीएनएस) की शुरुआत की और भारत भर में एक प्रमुख हलचल की घोषणा की। पीएनएस को पटेल (पाइटर) और संबद्ध समुदायों जैसे कि कुर्मी और गुज्जर को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग के लिए लाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
18 अक्टूबर 2015 को, पटेल को राजकोट में दर्ज एक मामले में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तिरंगा को अपमानित करने के लिए बुलाया गया था। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ओडीआई) क्रिकेट मैच को बाधित करने की कोशिश करने के लिए उन्हें संक्षिप्त रूप से हिरासत में लिया गया था। 1 9 अक्टूबर 2015 को, पटेल को सूरत में 'हत्या पुलिस' के बारे में कथित टिप्पणी के आरोप में राजद्रोह के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे कैद किया गया था। 15 जुलाई 2016 को पटेल को इस शर्त पर जमानत दी गई कि वह छह महीने तक और छह महीने से मेहसाणा से नौ महीने तक बाहर रहेंगे। वह इस अवधि के लिए उदयपुर गए थे।

आलोचना "> संपादित करें]

समुदाय के निधि का दुरुपयोग

हार्डिक की करीबी सहायता चिराग पटेल और केतन पटेल ने कथित तौर पर शानदार जीवन जीने के लिए सामुदायिक कोष का इस्तेमाल करने के लिए हार्डिक का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि पाटीदार कोआता के शुरू होने के एक साल बाद ही वह करोड़पति बन गए हैं। उन्होंने उन्हें एक पत्र लिखा और बाद में इसे सार्वजनिक रूप से बताते हुए कहा कि
एक नेता, स्वार्थ और महत्वाकांक्षी बनने की आपकी महत्वाकांक्षा ने समुदाय और हमारे आंदोलन को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हमारे समुदाय के लोगों को बहुत अच्छी तरह से पता है कि हमारे आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई लोगों की मदद करने के बजाय, आप और आपके करीबी दोस्त एक भव्य जीवन जी रहे हैं। आप और तुम्हारे चाचा विपुलभाई ने शहीदों की सहायता के लिए एकत्रित दान से महंगी कारें खरीदीं और आंदोलन को निधि देने के लिए। आम तौर पर, लोगों को जेल जाने के बाद दोनों को समाप्त होता है। लेकिन, यह आपके मामले में बिल्कुल विपरीत है क्योंकि आप जेल जाने के बाद करोड़पति बन गए हैं |