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Sunday, 12 November 2017

जसप्रीत बुमराह का सफर, बचपन से पेशेवर क्रिकेटर बनने तक...

दुनियाँ में ऐसे लोग बड़ा जल्दी सफल होते है, जो छोटी-सी उम्र में ही अपने जीवन जीने का रास्ता खुद चुनते है। पर यह सब करना आसान नहीं होता है, लेकिन ऐसे काम जुनूनी और शौकियाँ इंसान ही कर सकते है। कुछ ऐसे ही जुनूनी इंसान है,भारतीय क्रिकेट टीम के नए bowling Hero, Jasprit Bumrah। जसप्रीत बुमराह का जन्म अहमदाबाद, गुजरात के सिख परिवार में हुआ था। उनके स्वर्गीय पिता, जसबीर सिंह बूमराह एक बिजनेस-मेन थे, जो एक कैमिकल फैक्ट्री चलाया करते थे और माँ, दलजीत कौर निर्माण हाई स्कूल, अहमदाबाद की प्रिन्सिपल है।परिवार में जसप्रीत के अलावा एक बड़ी बहन, जुहीका कौर, भी है, जिनका 2016 के शुरुआत में विवाह हो चुका है। जब जसप्रीत मात्र 7 साल के तब उनके पिता का हेपिटाइटिस बी के कारण देहांत हो गया। जिसके बाद पूरे परिवार का भार उनकी माँ पर आ गया। जिसे वे अब तक बखूबी अच्छी तरह से निभाते आई है।
शिक्षा : वैसे उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उस स्कूल से हुई, जहां उनकी माँ प्रिन्सिपल थी। फिर भी वे पढ़ाई के बजाय क्रिकेट को ज्यादा चाहते थे।
बैटिंग साइड से नहीं, बॉलिंग साइड से।

बुमराह ने आईपीएल के अपने पहले मैच के अपने पहले ओवर में ही विराट कोहली को आउट किया था।


भारतीय क्रिकेट टीम ने पिछले कुछ समय में जिस तरह का टी20 क्रिकेट में चमत्कारी प्रदर्शन किया है उसका काफी श्रेय नए नवेले तेज़ गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को भी जाता है जो अक्सर अपने अजीबोगरीब एक्शन और तेज यॉर्करों से बल्लेबाजों को चौंका देते हैं। एम एस धोनी के भरोसे के गेंदबाज बन चुके जसप्रीत बुमराह के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आपको स्थापित करना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा और उन्होंने बचपन से भारतीय टीम के लिए  पहला मैच खेलने तक जबरदस्त  मेहनत की। तो आइए नजर डालते हैं बुमराह के प्री- क्रिकेट जीवन पर जिसने उन्हें टीम इंडिया में शामिल होने का मौका दिया। बुमराह को भी बचपन में अन्य बच्चों की तरह अपने घर की बाउंड्री के भीतर क्रिकेट खेलने की आदत थी। 

एक ऐसी ही गर्मियों  की दुपहरी में जब वह बाउंड्री के भीतर गेंदबाजी कर रहे थे तो उनकी मां दलजीत बुमराह ने जसप्रीत के सामने शर्त रखी कि उसे बाउंड्री के अंदर तब ही खेलने की इजाजत मिलेगी अगर वह ज्यादा आवाज ना करे। इस बात से निजात पाने के लिए 12 साल के जसप्रीत ने एक बेहतरीन हल निकाला और  वह दीवार पर गेंद मारने की जगह फ्लोर स्कर्टिंग पर गेंद मारने लगे जिससे की आवाज कम होती और इससे उनकी मां भी खुश हुई क्योंकि अब उनको भी तेज आवाज सुनने को नहीं मिल रही थी। इस बात को लेकर बुमराह को भी खुशी हुई कि वह अपने प्रिय खेल को जारी रख पाया। दोनों  मां- बेटे को शायद ही तब पता था कि वह प्रेक्टिश बाद के सालों में बुमराह के एक खतरनाक हथियार यॉर्कर में तब्दील में हो जाएगी जिस पर पूरी दुनिया को उन पर नाज़ होगा और भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी डेथ ओवरों में उनकी यॉर्करों को आजमाने के लिए लालायित होंगे।
जसप्रीत के लिए जिंदगी कभी भी आसान नहीं रही और उनके परिवार को इस दौरान कई उतार- चढ़ाव देखने पड़े। उनके पिता जसबीर सिंह की हेपेटाइटस बी के कारण मृत्यु हो जाने के बाद उनकी मां ने जसप्रीत और उनकी बहन को अकेले पाला। जब  उनके पिता की मृत्यु हुई तब उनकी उम्र महज 7 साल थी।  जसबीर सिंह का केमिकल बिजनेस था जो प्रेशर वाले बर्तनों में इस्तेमाल होता है। उनकी मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी जसप्रीत की मां दलजीत के कंधों  पर आ गई। वह टीचर थीं वह निर्मन हाई स्कूल के प्री- प्राइमरी सेक्शन की प्रिंसिपल थी जहां जसप्रीत ने भी पढ़ाई की।
दो साल तक फ्लोर स्कर्टिंग और मजे के लिए स्कूल की ओर से और पड़ोसियों के साथ खेलने के बाद जसप्रीत ने क्रिकेट में करियर बनाने के लिए बड़े सपने देखना शुरू कर दिए। दलजीत आज भी उस दिन को याद करते हुए कहती हैं जब जसप्रीत 14 साल का था और वह उनके पास एक रिक्वेस्ट को लेकर आया। उसने कहा कि वह क्रिकेटर बनना चाहता है। वह कहती हैं, “मैं यह सुनकर कुछ देर के लिए चौंकी और कहा कि बहुत सारे बच्चे हैं जो क्रिकेट खेलते हैं और ये कतई आसान नहीं होने वाला। लेकिन उसने कहा, मुझ पर विश्वास रखो। सिंगल पैरेंट होते हुए  मैं थोड़ा परेशन थी, लेकिन मैं उसे ना कैसे कह सकती थी। स्कूल में मैं पैरेंट्स से कहती रहती थी कि  हर बच्चे का एक सपना होता है हमें उसे मौके देने चाहिए।”
बाद के दिनों में दलजीत अपने बेटे के इस खेल के प्रति लगन और अपने आपको निखारने को लेकर  भूख को देखकर चौंक गईं। जसप्रीत प्रेक्टिश सेशन में शामिल होने के लिए सुबह- सुबह निकल जाते थे, और फिर स्कूल को अटेंड करते थे और फिर से उसके बाद शाम को ट्रेनिंग के लिए जाते थे। जिन क्रिकेटरों ने उनकी गेंदबाजी देखी सभी ने उसको सराहा। यही कारण  था कि उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा आयोजित किए जाने वाले क्रिकेट कैंप में चुना गया और जल्दी ही उन्हें एमआरएफ पेस फाऊंडेशन और जोनल कैंप ऑफ नेशनल क्रिकेट अकादमी के लिए  चुन लिया गया। सौभाग्य से किसी ने भी उनके एक्शन को बदलने के लिए नहीं कहा, उनके बचपन से ही हर कोच यही कहता था कि उनका एक्शन ‘अलग है।’ और इस तरह चीजें बुमराह के लिए सौगात लेकर आने लगीं। उन्हें गुजरात अंडर-19 टीम की ओर से सौराष्ट्र के खिलाफ मैच के लिए चुना गया।
इस मैच में  पिच बल्लेबाजी के लिए ज्यादा अनुकूल थी, लेकिन अपनी धारदार गेंदबाजी से उन्होंने बल्लेबाजों को हक्का- बक्का छोड़ दिया और सात विकेट निकाले। गुजरात के रणजी कोच हितेश मजुमदार बताते हैं कि बल्लेबाज उन्हें उस दौरान पढ़ नहीं पा रहे थे। “वह कभी बाउंसर डालते थे तो कभी यॉर्कर। उनकी उम्र तब भी बहुत छोटी थी, लेकिन उनकी गेंदबाजी में  विविधतताओं को देखते हुए हमने उसे सैय्यद मुश्ताक अली टी20 के लिए चुन लिया जो पुणे में खेली जानी थी।” “पुणे में बुमराह की जिंदगी बदलने वाली थी।  भारतीय टीम के पूर्व कोच जॉन राइट मुंबई इंडियंस के लिए अच्छे खिलाड़ियों की तलाश में वहां आए हुए थे। बुमराह ने इस दौरान ज्यादा विकेट तो नहीं लिए लेकिन अपनी बेहतरीन इकॉनामी रेट 6.58 के साथ उसने जॉन राइट को प्रभावित किया। इसके कुछ दिनों बाद ही मुंबई इंडियंस ने उनके साथ अनुबंध कर लिया। यही उनके करियर के लिए एक बड़ा  टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ जहां वह लसिथ मलिंगा और मिचेल जॉनसन जैसे गेंदबाजों के साथ कंधे  मिलाकर गेंदबाजी  करते नजर आए। इस टीम में विश्व क्रिकेट से सभी बड़े खिलाड़ी सचिन, पोटिंग और कुंबले शामिल थे और  यहीं से बुमराह के सपने की शुरुआत हुई।
रॉयल चैलेंजर्स से खेले जाने वाले मैच के पहले ही बुमराह को पता चला कि उन्हें टीम में चुन लिया गया है, उन्होंने मैच के पहले कोई खास प्रेक्टिश नहीं की थी, लेकिन मानसिक रूप से वह तैयार थे। हालांकि उनके लिए शुरुआत वैसी नहीं रही जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी और विराट कोहली ने उनके ओवरों की शुरुआती तीन गेंदों में तीन जबरदस्त चौके जड़ दिए। उस दौरान मिड ऑफ में सचिन तेंदुलकर खड़े थे जिन्होंने कुछ देर पहले उन्हें पर्दापण कैप दी थी।  वह उनके पास गए और कहा केवल एक अच्छी बॉल और तुम्हारा मैच बदल जाएगा, चिंता मत करो। ऐसा ही कुछ हुआ और उसी ओवर में बुमराह ने कोहली को एलबीडब्ल्यू आउट कर दिया और कोहली को  आउट करते ही माहौल खुशी में तब्दील हो गया।
यहीं से इस कम उम्र के लड़के ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा और यहां तक अमिताभ बच्चन ने भी बुमराह के लिए ट्वीट किया। लेकिन अभी रियलिटी चेक होना बाकी था और आगे के मैचों में बुमराह की बल्लेबाजों ने आईपीएल में जमकर धुनाई की।
अब उन्हें सूझ नहीं रहा ता कि वह क्या करें। इसी बात का तलाशते हुए वह मलिंगा के पार पहुंचे और पूछा अब आगे क्या करें?   मैं अब क्या करूं? तब मलिंगा ने उन्हें बताया कि उन्हें अपनी गेंदबाजी में और भी विविधतताओं की जरूरत है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि  वह उस चीज को परफेक्ट रूप से इस्तेमाल करे जो उनके पास है। उनके पास धीमी गेंद, बाऊंसर और यॉर्कर है। लेकिन वह नहीं जानते कि इनका ढंग से इस्तेमाल कैसे किया जाता है। इसके कुछ दिनों बाद बुमराह ने अपनी गेंदबाजी में फिर से पैनापन अख्तियार किया और वह मुंबई इंडियंस के मुख्य गेंदबाज के रूप में उभरे। बुमराह ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के दौरे के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की है और वह बहुत थोड़े से समय में चहेते बन गए हैं।


Sunday, 5 November 2017

कौन है हार्दिक पटेल ? | Who is Hardik Patel ?

हार्दिक पटेल जीवन परिचय हिंदी में | HARDIK PATEL BIOGRAPHY IN HINDI | जीवनी, बायोग्राफी, हिस्ट्री, JIVANI, JIVAN PARICHAY, HISTORY, JIVNI, DOCUMENTARY


जीवन परिचय (जीवनी) / Biography / Documentary 

हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर जारी आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। यह ओबीसी दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण चाहते हैं।पटेल बी-काम पारित है।

व्यक्तिगत जीवन

हार्दिक पटेल का जन्म 20 जुलाई 1993 में चन्दन नगरी, गुजरात में भरत और उषा पटेल के घर हुआ था। वर्ष 2004 में अपने बच्चे के अच्छे शिक्षा हेतु इनका परिवार वीरमगम शहर 10 किलोमीटर दूर चला गया। हार्दिक ने 6वीं से 8वीं की कक्षा दिव्य ज्योत विद्यालय, वीरमगम में पूरी की। हार्दिक अपनी 7वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के पश्चात अपने पिता के छोटे से व्यापार को चलाने में सहायता करने लगे। वे भूमिगत पानी के कुओं में नल लगाने का कार्य करते थे। वर्ष 2010 में हार्दिक सहजानन्द महाविद्यालय, अहमदाबाद में बीकॉम की पढ़ाई की। उन्होंने महाविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव के पद के चुनाव में भाग लिया और निर्विरोध निर्वाचित हो गए।

राजनीतिक सक्रियता

सरदार पटेल समूह

वर्ष 2011 में हार्दिक सरदार पटेल समूह से जुड़े।

पाटीदार अनामत आंदोलन समिति

जुलाई 2015 में हार्दिक की बहन, मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त करने में विफल रही। इस कारण उन्होंने एक पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का निर्माण किया। जिसका लक्ष्य अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होना था।

पाटीदार आरक्षण आंदोलन

2004 में उनके माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए 11 किमी दूर एक शहर विरामगाम चले गए। हरिराम वी.राम शाह विनय मंदिर में जाने से पहले वर्माग्राम में दिव्या ज्योति स्कूल में कक्षा छठी से कक्षा आठवीं कक्षा में पढ़ाई गईं, जहां उन्होंने कक्षा तेरहवीं कक्षा तक अध्ययन किया। वह एक औसत छात्र और क्रिकेट उत्साही थे।
कक्षा XII को पूरा करने के बाद, हार्डिक ने अपने पिता, भारत को भूमिगत जल के कुओं में पनडुब्बी पंपों के फिक्सिंग के एक छोटे से व्यवसाय चलाने के लिए मदद करना शुरू कर दिया। भरत, भाजपा के एक पूर्व कार्यकर्ता, गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री से मिले और खुद पाटीदार जाति के सदस्य आनंदिबेन पटेल, जब उन्होंने मंडल विधानसभा सीट आयोजित की, जिसमें विरामगम गिर गया।
2010 में पटेल साहनांद कॉलेज, अहमदाबाद में शामिल हो गए और एक बैचलर ऑफ कॉमर्स (बी। कॉम।) डिग्री अर्जित की। उन्होंने अपनी बी.ओ. कॉम पूरी की। कृपा अंक के साथ डिग्री वह महाविद्यालय के छात्रों के संघ के महासचिव पद के लिए भाग गए और निर्विरोध निर्वाचित हुए। अभी भी कॉलेज में रहते हुए, पटेल ने वीरमगाम बस स्टैंड पर एक सोशल सर्विस के काम के रूप में पीने का पानी का खंभा खोला। 2013 में उन्होंने कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, दो प्रयासों के बाद, 50% से कम अंकों के साथ।
2015 में पटेल की बहन मोनिका ने एक बाहरी छात्र के रूप में अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता

सरदार पटेल समूह

31 अक्टूबर 2012 को हार्डिक पटेल सरदार पटेल समूह (एसपीजी) में शामिल हुए, जो एक पाटीदार युवा संगठन था, और एक महीने से भी कम समय के भीतर, विरामगम इकाई के अध्यक्ष बने। इसकी 50,000 मजबूत सदस्यता के साथ बातचीत से पता चला कि पाटीदार युवाओं को धीमी अर्थव्यवस्था की वजह से निजी क्षेत्र की नौकरियां हासिल करने के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जबकि आरक्षण कोटा और रिश्वत की अपेक्षा के कारण वे सरकारी नौकरियों से बाहर थे। उन्होंने पाया कि कुछ पादरदार किसानों ने अपनी कृषि भूमि को शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के लिए अधिग्रहण किया, जबकि ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं से प्रतिस्पर्धा के कारण पैतिधर व्यापारियों को उनके पारंपरिक व्यवसायों की विफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने पाया कि पाइटरों के लिए धन और रोजगार का एक पारंपरिक स्रोत हीरा उद्योग, सीमित है। 20,000 से अधिक छोटी कंपनियों ने बंद कर दिया था और हजारों बेरोजगार पटेल हीरा कटर और पोलिश अपने गांवों में लौट आए थे।
2015 में, अपने नेता लालजी पटेल के साथ संघर्ष के बाद हार्डिक पटेल को एसपीजी के साथ अपने पद से हटा दिया गया था।

पाटीदार अनातम आंदोलन समिति (पीएएएस)

जुलाई 2015 में पटेल की बहन मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति के लिए अर्हता प्राप्त करने में विफल रही। पटेल परेशान थे जब मोनिका के एक दोस्त ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के माध्यम से उसी छात्रवृत्ति के लिए योग्यता हासिल की थी, भले ही उसने कम अंक हासिल किए थे। सकारात्मक नीतियों को स्वीकार करते हुए अन्य जातियों को लाभ हो रहा था, लेकिन पाटीदार नहीं, पटेल ने पाटीदार अनमेट आंदोलन समिति (पीएएएस) का गठन किया जो कि ओबीसी कोटा में शामिल पाइटरों को प्राप्त करने के लिए एक गैर-राजनीतिक संगठन के रूप में खुद का दावा करता है। पटेल का दावा है कि वह महात्मा गांधी, सरदार पटेल और चंद्रशेखर आजाद जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन कार्यकर्ताओं से प्रेरित थे।

पैतीदार आरक्षण आंदोलन

अपने संदेश को प्रसारित करने और समर्थकों को इकट्ठा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए, पटेल ने 6 जुलाई 2015 को विसनगर, गुजरात में अपनी पहली रैली को संबोधित किया। तब से, उन्होंने अपने वक्तृत्व कौशल के माध्यम से लाखों लोगों को आकर्षित करते हुए गुजरात भर में कई रैलियों का आयोजन किया है।
25 अगस्त 2015 को, गुजरात में एक बड़ी संख्या में पाइटर जीएमडीसी ग्राउंड, एक रैली के लिए अहमदाबाद में इकट्ठे हुए। पटेल ने दिन को पतिदार क्रांति दिवस (पतिदार क्रांति दिवस) के रूप में घोषित किया। उस शाम, अहमदाबाद सिटी पुलिस ने उन्हें संक्षिप्त रूप से गिरफ्तार कर लिया था, जब वह दिन में पहले हुई रैली के बाद उपवास में चली गई थी, उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के तहत आरोप लगाया गया था कि 'फैलाने का आदेश दिया जाने के बाद जानबूझकर पांच या अधिक व्यक्तियों की विधानसभा में शामिल होने या जारी रखने के लिए' प्रतिक्रिया में हिंसक विरोध प्रदर्शन, गुजरात राज्य सरकार को कर्फ्यू लागू करने और भारतीय सेना में कॉल करने के लिए मजबूर कर रहा था।
31 अगस्त 2015 को, उन्होंने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के गुज्जर और कुर्मी समुदायों की सभा को संबोधित किया। 23 सितंबर 2015 को, पटेल ने एक संक्षिप्त लापता होने के बाद सामने आया, दावा किया कि हथियारों वाले लोगों द्वारा "अपहरण" किया गया था।
9 सितंबर 2015 को पटेल ने पटेल नवनिर्माण सेना (पीएनएस) की शुरुआत की और भारत भर में एक प्रमुख हलचल की घोषणा की। पीएनएस को पटेल (पाइटर) और संबद्ध समुदायों जैसे कि कुर्मी और गुज्जर को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग के लिए लाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
18 अक्टूबर 2015 को, पटेल को राजकोट में दर्ज एक मामले में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तिरंगा को अपमानित करने के लिए बुलाया गया था। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ओडीआई) क्रिकेट मैच को बाधित करने की कोशिश करने के लिए उन्हें संक्षिप्त रूप से हिरासत में लिया गया था। 1 9 अक्टूबर 2015 को, पटेल को सूरत में 'हत्या पुलिस' के बारे में कथित टिप्पणी के आरोप में राजद्रोह के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे कैद किया गया था। 15 जुलाई 2016 को पटेल को इस शर्त पर जमानत दी गई कि वह छह महीने तक और छह महीने से मेहसाणा से नौ महीने तक बाहर रहेंगे। वह इस अवधि के लिए उदयपुर गए थे।

आलोचना "> संपादित करें]

समुदाय के निधि का दुरुपयोग

हार्डिक की करीबी सहायता चिराग पटेल और केतन पटेल ने कथित तौर पर शानदार जीवन जीने के लिए सामुदायिक कोष का इस्तेमाल करने के लिए हार्डिक का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि पाटीदार कोआता के शुरू होने के एक साल बाद ही वह करोड़पति बन गए हैं। उन्होंने उन्हें एक पत्र लिखा और बाद में इसे सार्वजनिक रूप से बताते हुए कहा कि
एक नेता, स्वार्थ और महत्वाकांक्षी बनने की आपकी महत्वाकांक्षा ने समुदाय और हमारे आंदोलन को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हमारे समुदाय के लोगों को बहुत अच्छी तरह से पता है कि हमारे आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई लोगों की मदद करने के बजाय, आप और आपके करीबी दोस्त एक भव्य जीवन जी रहे हैं। आप और तुम्हारे चाचा विपुलभाई ने शहीदों की सहायता के लिए एकत्रित दान से महंगी कारें खरीदीं और आंदोलन को निधि देने के लिए। आम तौर पर, लोगों को जेल जाने के बाद दोनों को समाप्त होता है। लेकिन, यह आपके मामले में बिल्कुल विपरीत है क्योंकि आप जेल जाने के बाद करोड़पति बन गए हैं |