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Friday, 31 March 2017

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Biography in Hindi | ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी

हमारे देश के ग्यारहवें राष्ट्रपति, एक ख्याति प्राप्त कुशल वैज्ञानिक, लेखक तथा युवा पीढ़ी के पथ प्रदर्शक, जी हाँ हम बात कर रहे हैं स्वर्गीय श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी (A.P.J. Abdul Kalam) की, जो न जाने कितने ही लोगों के लिए प्रेरणा (Inspiration) बन गए | ये एक उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे जिन्होंने तमिलनाडु के छोटे से गाँव में जन्म लिया था | अपनी कड़ी तपस्या और उच्च सिद्धांतों के कारण ही वे इस मुकाम तक पहुंचे | भारत के हर घर में उनका नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है, यहाँ का हर विद्यार्थी उनको अपना आदर्श (Idol) स्वरूप मानता है | इनके कई कथनों ने युवाओं को एक नई दिशा प्रदान की |

कलाम साहब की पुण्य तिथि (27 जुलाई 2015) भी आने को ही है तो आज हम उनके स्मरण में आपको उनके जीवन की विस्तृत जानकारी देंगे या यूँ कह लीजिये की हम आपको  ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे | हम आपको इस लेख द्वारा बताएँगे कि कैसे उन्होंने एक छोटे से गाँव से लेकर राष्ट्रपति बनने का अद्भुत सफ़र तय किया |

A.P.J. Abdul Kalam Autobiography in Hindi

A.P.J. Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के छोटे से गाँव में हुआ, जिसका नाम धनुषकोडी है | इस गाँव में वे अपने संयुक्त परिवार के साथ रहते थे | उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी | उनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर देते थे तथा उनकी माता गृहिणी थीं | A.P.J. Abdul Kalam साहब ने अपनी शिक्षा का आरम्भ रामेश्वरम के एक प्राथमिक विद्यालय से किया | कलाम साहब ने अपनी पढ़ाई पूरी करने व् घर की आर्थिक सहायता हेतु अख़बार बेचने का कार्य आरम्भ किया |
A.P.J. Abdul Kalam ने बारहवीं रामनाथपुरम में स्थित स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल (Schwartz Higher Secondary School) में सम्पन्न की | तत्पश्चात उन्होंने स्नातक की उपाधि  (Bachelor Degree) प्राप्त करने हेतु सैंट जोसफ कॉलेज (St. Joseph College) में दाखिला लिया जो तिरुचिराप्पल्ली में स्थित है | किन्तु यहाँ उनकी शिक्षा का अंत नहीं हुआ, उन्हें पढने व् सीखने का बहुत शौक था | वह आगे की पढ़ाई हेतु 1955 में मद्रास जा पहुंचे जहां से उन्होंने 1958 में अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की | उनका सपना था कि वह भारतीय वायु सेना में फाइटर प्लेन के चालक यानि पायलट (Pilot) बन सकें, परन्तु यह पूर्ण न हो पाया, पर फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी | इसके पश्चात उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) में प्रवेश किया जहां उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना का सफल संचालन किया | परन्तु DRDO में अपने कार्यों से संतुष्ट न होने के कारण उन्होंने इसे छोड़ दिया |

इसके पश्चात उन्होंने 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में प्रवेश किया | इसरो (ISRO) में A.P.J. Abdul Kalam ने कई परियोजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था उनके द्वारा भारत के पहले उपग्रह “पृथ्वी” जिसे SLV3 भी कहा जा सकता है, का पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया जाना | इस कार्य को Dr. A.P.J. Abdul Kalam ने 1980 में बहुत ही मेहनत तथा लगन के साथ संपन्न किया | उनकी इसी सफलता के बाद भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन पाया | इस दौर में वह इसरो (ISRO) में भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान परियोजना के निदेशक के पद पर नियुक्त थे | इसरो के कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने और भी उपलब्धियां हासिल कीं जैसे – नासा की यात्रा, प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजा रमन्ना के साथ मिलकर भारत का पहला परमाणु परीक्षण, गाइडेड मिसाइल्स को डिज़ाइन करना |
इन सबके पश्चात A.P.J. Abdul Kalam एक सफल तथा ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक (Scientist) बन चुके थे | 1981 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया | 1982 में वह पुन: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के निदेशक के रूप में विद्यमान हुए | अब उन्होंने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) की तरफ अपना ध्यान केन्द्रित किया |
Dr. A.P.J. Abdul Kalam को 1990 में फिर पद्म विभूषण से नवाज़ा गया | तत्पश्चात वे 1992 से लेकर 1999 तक के कार्यकाल में रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार के पद पर नियुक्त रहे, साथ ही वह सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी थे | 1997 में उनका भारत के प्रति योगदान देखते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया | उन्हीं के नेतृत्व में 1998 में भारत ने अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया | कलाम साहब की ही देन है कि भारत आज परमाणु हथियार के निर्माण में सफल हो पाया है | इस दौर में वह भारत के सबसे प्रसिद्ध एवं सफल परमाणु वैज्ञानिक (Nuclear Scientist) थे |
2002 में उनके प्रति भारत की जनता में सम्मान देखते हुए, जीवन की उपलब्धियों तथा भारत के प्रति उनका लगाव देखते हुए एन. डी. ए. ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया | फलस्वरूप वह चुनाव में विजयी होकर 2002 में भारत के राष्ट्रपति (President) के रूप में हमारे सामने आये | उन्हें “जनता का राष्ट्रपति (People’s President)” कहकर संबोधित किया जाने लगा |
उनके इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सभाएं संबोधित कीं जिनमें उन्होंने भारत के तथा यहाँ रह रहे युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने हेतु बातों पर जोर दिया | यह तो हम सभी जानते हैं कि A.P.J. Abdul Kalam अपनी निजी ज़िंदगी में एक सरल तथा अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे | वे बच्चों से बहुत अधिक स्नेह करते थे, उन्हें हमेशा ऐसी सीख देते थे जो उनके भविष्य को बेहतर बनाने में सहायता करे | वे राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे, किन्तु राजनीति में रहकर वे देश के विकास के बारे में सोचते थे | वे जानते थे कि युवाओं का बेहतर विकास ही देश को आगे लेकर जा सकता है | वे चाहते थे कि परमाणु हथियारों के क्षेत्र में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में जाना जाए |
उनका कहना था कि “2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण प्रक्षेपास्त्रों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।“
A.P.J. Abdul Kalam का राष्ट्रपति कार्यकाल 2007 में समाप्त हुआ | इसके पश्चात वह कई जगहों पर प्रोफेसर (Professor) के तौर पर कार्यरत रहे जैसे- शिलोंग, अहमदाबाद तथा इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थानों, व् बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान में | उसके बाद वह अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) के प्रोफेसर रहे | A.P.J. Abdul Kalam ने भारत के कई अन्य प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों में भी अपना योगदान दिया |
आप में से शायद बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि वे गीता और कुरान, दोनों का अनुसरण करते थे | उन्हें भक्ति गीत सुनने का तथा वाद्य यन्त्र बजाने का भी बहुत शौक था | उनका लगाव भारत की संस्कृति (Tradition) के प्रति बहुत अधिक था |
27 जुलाई 2015 को ये “मिसाइल मैन (Missile Man)” हम सब को छोड़ कर चले गए तथा उनका जाना हमारे देश के लिए कभी पूर्ण न होने वाली क्षति (Loss) थी | कलाम साहब की मृत्यु की वजह दिल का दौरा था | यह उस वक़्त हुआ जब वह शिलोंग के भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान (Lecture) दे रहे थे | 28 जुलाई को उन्हें दिल्ली में तथा 29 जुलाई को उन्हें मदुरै में श्रद्धांजलि (Tribute) दी गयी | 30 जुलाई को उन्हें उन्ही के नगर रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में पूरे सम्मान के साथ दफनाया गया तथा यहाँ उन्हें 3,50,000 से ज्यादा नागरिक श्रध्दांजलि देने पहुंचे | शायद आप जानते नहीं होंगे की गूगल भी उनकी पुण्य तिथि पर अपने मुख्य पृष्ठ (Home Page) पर काला रिबन दिखा रहा था | भारत सरकार ने उनके सम्मान (Honor) में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की |
संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वर्गीय डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस (World Student Day) के रूप में मनाया गया | उन्होंने युवाओं को प्रेरित (Inspire) करने हेतु कई किताबें लिखीं जो बहुत ही प्रभावशाली हैं – विंग्स ऑफ़ फायर, ए मैनिफेस्टो फॉर चेंज, इंस्पायरिंग थॉट्स, इत्यादि | ये किताबें भी कलाम साहब ( Dr. A.P.J. Abdul Kalam) की तरह प्रेरणादायक (Inspirational) हैं |

Thursday, 30 March 2017

वॉरेन बफे शेयर बाजार का जादूगर | Warren Buffett Biography Hindi

आप अगर उन चीजों को खरीदते हैं, जिनकी आपको बिलकुल जरूरत नहीं है, तो शीघ्र ही आपको उन चीजों को बेचना पड़ेगा जिनकी आपको सबसे जादा जरूरत है. – WARREN BUFFETT

वॉरेन बफे की जीवनी – Warren Buffett Biography In Hindi

वॉरेन बफे का नाम आज दुनिया मैं सबको पता हैं, ये नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं, दुनीया इनको वॉरेन बफे के नाम से कम और शेयर बाजार का खिलाडी, वॉल स्ट्रीट का जादूगर और बर्क़शायर हैथवे (Berkshire Hathaway) का बादशहा इस नाम से ज्यादा जानती है, दुनीया मैं ऐसा कोई भी अखबार, टी. वी. चैनेल नहीं होगा जिसमे वॉरेन बफे की चर्चा नहीं होती होंगी.
2008 तक, अनुमानतः 62 अरब U.S डॉलर  की कुल संपत्ति (Net Worth) के कारण फ़ोर्ब्स (Forbes) द्वारा उन्हें दुनिया का सबसे अमीर आदमी (Richest person in the world) आंका गया था।
बल्कि दुनिया मैं वो अरबपति होने के वजह से इतने ज्यादा चर्चा मैं नहीं रहे, जितनेकी, अरबपति होने के बावजूद उनकी जो जीवन शेली हैं उसकी वजह से वो चर्चा मैं रहे, बफे दुनिया के उन सभी अमीरों से हर मायने मैं अलग हैं, कारोबार की पूरी तरह से समाज रखने वाले बफे मैं कई खूबिया हैं जो उनके नाम को एक अलग पहचान देती हैं.
सबसे बड़ी बात ये हैं की बफे ने अपनी कुल संपति का लगभग 85% हिस्सा Bill Gates की Bill & Melinda Gates Foundation को दान मैं देकर इतिहास रच दिया ओर दुनिया का सबसे बड़े दानशुर बन गए….
बफे के पिता शेयर बाजार मैं कारोबारी थे, बफे ने 11 साल की उम्र मैं अपने पिता के साथ शेयर बाजार मैं अपने कारोबारी जीवन की शुरवात की, बफेट नें 13 साल की उम्र मैं अपना पहला आयकर विवरण दायर किया और अपनी साईकिल के ३५ डालर को एक व्यय के रूप में घाटा दिया.
15 साल की उम्र मैं High School अंतिम वर्ष में बफेट और उनके एक साथी नें 25 डालर में एक इस्तेमाल की हुई पिनबाल मशीन खरीदी और उसे एक नाइ की दुकान में रख दिया. मात्र कुछ महीनों में उनके पास तीन मशीनें भिन्न भिन्न जगहों पर हो गई थीं।
20 साल उम्र मैं बफेट नें हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया था। फिर Warren Buffett  नें कोलंबिया बिजनेस स्कूल (Columbia Business School) में दाखिला लिया क्योंकि उन्हें पता था की बेंजामिन ग्राहम (Benjamin Graham) और डेविड डोड (David Dodd), दो जाने-माने प्रतिभूति विश्लेषक (securities analyst), वहीं पढ़ते हैं। उन्ही गुरु से बफेट नें शेयर बाजार मैं निवेश करने के गुण सिखे.
आज बफेट के पास जीतनी संपति हैं उनकी जीवन शैली उतनी ही सरल हैं, बफेट आज भी उसी घर मैं रहते हैं जो उन्होंने 5 दशक पहले ख़रीदा था, वे अपनी कार खुद चलते हैं, ना तो उनके पास कोई ड्राईवर हैं, ना कोई सुरक्षा गार्ड, वे कभी निजी विमान से यात्रा नहीं करते, वो अपने सभी CEO को साल मैं केवल एक बार पात्र लिखते हैं..
दोस्तों, वॉरेन बफेट की शक्सीयत को समजना या उनके बारे मैं कोई भी एक राय बना पाना शेयर बाजार की तरह ही पेचीदा हैं.
वॉरेन बफेट के कुछ बेहतरीन टिप्स :-
1 “कमाई : कभी भी अकेली आय पर निर्भर न रहे. आय का दूसरा साधन बनाने के लिये निवेश करे.”
2 “सफलता : जब मौके आते है तभी आप कोई काम करते हो. मेरे जीवन में एक ऐसा पल भी आया था जब मेरे पास उपायों का गठरा पड़ा था. लेकिन यदि मुझे अगले हफ्ते कोई उपाय आता है तो ही मै कुछ कर पाउँगा अन्यथा मै कुछ नही कर पाउँगा.”
3 “खर्च : यदि आपको जिसकी जरुरत नही है वो चीज़े आप खरीद रहे हो तो एक दिन आपको जिन चीजो की जरुरत है उस चीजो को बेचना पड़ेगा.”
4 “सेविंग : खर्च करने के बाद जो बचे उसे सेव न करे लेकिन सेव करने के बाद जो बचा उसे खर्च अवश्य करे.”
5 “जोखिम : कभी भी नदी की गहराई को दो पैरो से नही नापना चाहिये.”
6 “निवेश : कभी भी अपने सारे अन्डो को एक ही बास्केट में न डाले.”
7 “उम्मीद : इमानदारी सबसे महंगा तोहफा है. छोटे लोगो से इसकी उम्मीद ना करे.”
8 “इंसानियत : यदि आप इंसानियत के 1 % लकी लोगो में भी शामिल हो, तो आप 99 % लोगो को इंसानियत सिखा सकते हो.”
Please Note:- आपके पास About Warren Buffett In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद

Wednesday, 29 March 2017

प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प की जीवनी US President Donald Trump Biography in Hindi

Donald Trump Story and Facts in Hindi


डोनाल्ड ट्रम्प एक अमेरिकी बिज़नस मेन है जिन्होंने हाल ही में हुए अमेरिकी चुनावों में हिलेरी क्लिंटन को हराकर राष्ट्रपति की सीट हासिल की | ट्रम्प 20 जनवरी 2017 को अमेरिका के 45वे राष्ट्रपति की शपथ लेंगे | डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बनेंगे जो 70 साल की उम्र में राष्ट्रपति पद सम्भालेंगे | ट्रम्प The Trump Organization के अध्यक्ष है जो Real Estate और अन्य व्यापार करती है | ट्रम्प में अपने इस करियर में अनेको ऑफिस टावर , होटल कैसिनो ,गोल्फ कोर्स और कई इमारतो का निर्माण करवाया है | आइये आपको डोनाल्ड ट्रम्प की जीवनी से रूबरू करवाते है |

ट्रम्प का प्रारम्भिक जीवन


डोनाल्ड ट्रम्प का जन्म न्यूयॉर्क शहर के निकट क्वीन्स के जमैका एस्टेट में 14 जून 1946 को हुआ था | ट्रम्प अपने पांच भाई बहनों में दुसरी सबसे छोटी सन्तान था | अपने चार भाई-बहनों में उनके एक बड़े भाई फ्रेड की 1981 में शराब की लत की वजह से मौत हो गयी थी | अपने भाई की मौत की घटना के बाद से उन्होंने शराब और सिगरेट से तौबा कर ली थी | ट्रम्प का पैतृक परिवार जर्मनी से ताल्लुक रखता है जबकि मात्र परिवार स्कॉटिश परिवार से ताल्लुक रखता है | ट्रम्प के पिता फ्रेड ट्रम्प न्यूयॉर्क में बहुत बड़े रियल एस्टेट व्यापारी थे | फ्रेड ट्रम्प की शादी मेंरी ट्रम्प से 1936 में हुयी थी |

New York के Jamaica Estate में स्थित Queue Forest School में Trump की प्रारम्भिक  शिक्षा हुयी थी | इस स्कूल में ट्रम्प के पिता Trusty भी थी | ट्रम्प ने 13 साल की उम्र में स्कूल छोडकर New York Military Academy (NYMA) में दाखिला ले लिया था जहा उसने हाई स्कूल पास की | 1964 में ट्रम्प ने आगे की पढाई फोर्डहैम विश्वविद्यालय में की और उसके बाद उन्हें Real एस्टेट पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय भेज दिया गया   | 1968 में ट्रम्प Bachelor of Science in Economics में ग्रेजुएट हुए |

पिता से कर्ज लेकर किया बिजनस

Donald Trump ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपने पिता से 14 मिलियन Loan लेकर ही Business शुरू किया था इसलिए पिता उन्हें Lucky Son कहते थे | ट्रम्प के बारे में ऐसा कहा जाता है कि “ट्रम्प ने कभी घाटे का सौदा नही किया ” | 1988 में ट्रम्प में 400 Million में Plaza Hotel को खरीदकर इसपर 50 Million का Renovation खर्च किया , फिर भी इस सौदे में वो मुनाफा नही कमा पाए थे | 1980 में Manhattan Project और 1985 में Television City के उनके Project भी कामयाब नही हो पाए थे | 1980 से लेकर 1990 तक का दौर उनके लिय ज्यादा खास नही रहा था |

3 बार दिवालिया होने की दी थी अर्जी

1990 में Trump पर 975 Million डॉलर्स का Personal Loan था और ऐसी स्थिति में वो दिवालिया होने की कगार पर थे और उन्होंने 3 बार तो दिवालिया होने की अर्जी भी दे दी थी लेकिन उन्होंने CitiBank , Bankers Trust , Chase Mahattan Bank और Manufacturer Hanover Trust की मदद ली | उनकी मदद से उन्होंने फिर से 65 Million का नया Loan लिया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकर नही देखा | अपना घाटा पूरा करने के लिए Trump ने Trump Shuttle Company और Personal Yatch बेच दिया था | 1990 से 1996 में Donald Trump फोर्ब्स की 400 अमीर हस्तियों के लिस्ट से बाहर रहे | 1992 से 2009 में 3 बार घाटे के चलते Donald Trump ने दिवालिया होने की Petition की थी |


Reform Party बनाकर राजनीति में किया प्रवेश

1999 में Donald Trump ने राजनीति में हाथ आजमाया और Reform Party बनाई | Donald का इरादा था कि वर्ष 2000 में Reform Party उन्हें President पद के लिए अपना उमीद्वार बनाये | लेकिन Reform Party के अंदरुनी झगड़ो से तंग आकर उन्होंने फरवरी 2000 में खुद को चुनाव से अलग कर लिया था |

Trump की मुस्लिम विरोधी छवि

7 दिसम्बर 2015 को Trump ने अपना सबसे विवादित बयान दिया था | उन्होंने South Carolina में एक चुनावी रैली में कहा कि मुसलमानों के लिए अमेरिका के दरवाजे पुरी तरह बंद कर दिए जाने चाहिए | साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों की पुरी जांच पड़ताल होनी चाहिए | उन्होंने अपने इस सख्त प्रस्ताव से सिर्फ लन्दन के मेयर सादिक खान को छुट दी थी | इस पर काफी हंगामा मचा था |

Monday, 27 March 2017

कैसे 21 वर्ष के युवा ने बनाई 360 करोड़ की कंपनी – Startup Story of Ritesh Agarwal : Founder Oyo Rooms

क्या आप यह विश्वास कर सकते हैं कि ऐसी उम्र जब हम और आप खुद को पूरी जिंदगी के लिए तैयार करते है या जब हम सब कड़ाके की ठंड में रजाई में दुबके रहते हैं और जब बरसात के दिनों में नम हवा अलसाकर हमारे दिमाग पर नशे की तरह छा रही होती हैं, जीवन के ऐसे नाजुक पड़ाव पर किसी युवा ने आँखों में स्वयं कुछ बड़ा करने के सपने लिए रोज 16 घंटे काम कर 360 करोड़ से भी ज्यादा की कंपनी की नींव रख दी हो?

ऐसा कर दिखाया है उड़ीसा के रीतेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) ने; जिन्होंने 20 वर्ष की कम उम्र में Oyo Rooms नाम की कंपनी की शुरूआत कर बड़े-बड़े अनुभवी उद्यमियों और निवेशकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। ओयो रूम्स का मुख्य उद्देश्य ट्रैवलर्स को सस्ते दामों पर बेहतरीन मूलभूत सुविधाओं के साथ देश के बड़े शहरों के होटलों में कमरा उपलब्ध कराना हैं।

व्यक्तिगत तौर पर, रीतेश सामान्य बुद्धी वाले युवा हैं। दिखने में पतले, लंबे और बिखरे बालों वाले बिल्कुल किसी कॉलेज के आम विद्यार्थी की तरह। लेकिन कभी-कभी सामान्य से दिखने वाले लोग भी ऐसे काम कर जाते है जिसकी आपको उम्मीद नहीं होती। रीतेश भी एक ऐसे ही युवा उद्यमी है। जिन्होंने मात्र 21 साल कि छोटी सी उम्र में अपने अनुभव, सही अवसर को पहचानने की क्षमता और मेहनत के बल पर अपने विचारों को वास्तविकता का रूप दे दिया।

युवाउद्यमी की बिज़नेसयात्रा – Startup Journey of Ritesh Agarwal

रीतेश अग्रवाल ने बिजनेस के बारे में सोचने और समझने का काम कम उम्र में ही शुरू कर दिया था| इसमें सबसे बड़ी भूमिका उनके पारिवारीक पृष्ठभूमि की थी। उनका जन्म 16 नवम्बर 1993 को उड़ीसा राज्य के जिले कटक बीसाम के एक व्यवसायिक परिवार में हुआ है। बारहवीं तक कि पढ़ाई उन्होंने जिले के ही – Scared Heart School में की। इसके बाद उनकी इच्छा IIT में दाखिले की हुई। जिसकी तैयारी के लिए वे राजस्थान के कोटा आ गए। कोटा में उनके बस दो ही काम थे- एक पढ़ना और दूसरा, जब भी अवकाश मिले खूब ट्रैवल करना। यही से उनकी रूची ट्रैवलिंग में बढ़ने लगी। कोटा में ही उन्होंने एक किताब लिखी – Indian Engineering Collages: A complete Encyclopedia of Top 100 Engineering Collages और जैसा कि पुस्तक के नाम से ही लग रहा है, यह पुस्तक देश के 100 सबसे प्रतिष्ठीत इंजनीयरिंग कॉलेजों के बारे में थी। इस किताब को देश की सबसे प्रसिद्ध ई-कमर्स साईट् Flipkart पर बहुत पसंद किया गया।
16 वर्ष की उम्र में उनका चुनाव मुंबई स्थित Tata Institute of Fundamental Research (TIRF) में आयोजित, Asian Science Camp के लिए किया गया। यह कैम्प एक वार्षिक संवाद मंच है जहां ऐशियाई मूल के छात्र शामिल किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल ढूढ़ा करते हैं। यहां भी वे छुट्टी के दिनों में खूब ट्रैवल किया करते और ठहरने के लिए सस्तें दामों पर उपलब्ध होटल्स (Budget Hotels) का प्रयोग करते। पहले से ही रीतेश की रूची बिज़नेस में बहुत थी और इस क्षेत्र में वे कुछ करना चाहते थे। लेकिन बिज़नेस किस चीज का किया जाए, इस बात को लेकर वे स्पष्ट नहीं थे।
कई बार वे कोटा से ट्रेन पकड़ दिल्ली आ जाया करते और मुंबई की ही तरह सस्तें होटल्स में रूकते ताकि दिल्ली में होने वाले युवा-उद्यमियों के आयोजनों और सम्मेलनों में शामिल होकर नए युवा उद्यमियों और स्टार्ट-अप फाउंडर्स से मिल सके। कई बार इन इवेन्टस में शामिल होने का रजिस्ट्रेशन शुल्क इतना ज्यादा होता कि उनके लिए उसे दे पाना मुश्किल हो जाता। इसलिए कभी-कभी वो इन आयोजनों में चोरी-चुपके जा बैठते! यही वो वक्त था, जब उन्होंने ट्रैवलिंग के दौरान ठहरने के लिए प्रयोग किए गए सस्तें होटल्स के बुरे अनुभवों को अपने बिज़नेस का रूप देने की सोची।

Oravel Stays से की शुरूआत

वर्ष 2012 में उन्होंने अपने पहले स्टार्ट-अप – Oravel Stays की शुरूआत की। इस कंपनी का उद्देश्य ट्रैवलर्स को छोटी या मध्य अवधि के लिए कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था। जिसे कोई भी आसानी से ऑनलाइन आरक्षित कर सकता था। कंपनी के शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर उन्हें नए स्टार्टपस में निवेश करने वाली कंपनी VentureNursery से 30 लाख का फंड भी प्राप्त हो गया। अब रितेश के पास अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए प्रर्याप्त पैसे थे। उसी समय-अंतराल में उन्होंने अपने इस बिजनेस आईडिया को Theil Fellowship, जो कि पेपल कंपनी के सह-संस्थापक – पीटर थेल के “थेल फाउनडेशन” द्वारा आयोजित एक वैश्विक प्रतियोगिता है के समक्ष रखा। सौभाग्यवश वे इस प्रतियोगिता में दसवां स्थान प्राप्त करने में सफल रहे और उन्हें फेलोशिप के रूप में लगभग 66 लाख की धनराशि प्राप्त हुई।
बहुत ही कम समय में उनके नये स्टार्टप को मिली इन सफलताओं से वे काफी उत्साहित हुए और वे अपने स्टार्ट-अप पर और बारीकी व सावधानी से काम करने लगे। लेकिन पता नहीं क्यों उनका ये बिजनेस मॉडल आपेक्षित लाभ देने में असफल रहा और “ओरावेल स्टे” धीरे-धीरे घाटे में चला गया। वे परिस्थिति को जितना सुधारने का प्रयास करते, स्थिती और खराब होती जाती और अंत में उन्हें इस कंपनी को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।

जब Oravel Stays बन गया Oyo Rooms

रीतेश अपने स्टार्ट-अप के असफल होने से निराश नहीं हुए और उन्होंने दुबारा स्वयं द्वारा अपनाई गई योजना पर विचार करने कि सोची ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके।
इससे उन्हें यह अनुभव हुआ कि भारत में सस्ते होटल्स में कमरे मिलना या न मिलना कोई समस्या नहीं हैं, दरअसल कमी है होटल्स का कम पैसे में बेहतरीन मूलभूल सुविधाओं को प्रदान न कर पाना। विचार करते हुए उन्हें अपनी यात्राओं के दौरान बज़ट होटल्स में ठहरने के उन अनुभवों को भी याद किया जब उन्हें कभी-कभी बहुत ज्यादा पैसे देने के बाद भी गंदे और बदबूदार कमरें मिलते और कभी-कभी कम पैसों में ही आरामदायक और सुविधापूर्ण कमरे मिल जाते।
इन्हीं बातों ने उन्हें फिर प्रेरित किया कि वे पुनः Oravel Stays में नये बदलाव करे एवं ट्रैवलर्स की सुविधाओं को ध्यान में रख उसे नये रूप में प्रस्तुत करें और फिर क्या था वर्ष 2013 में फिर ओरावेल लॉन्च हुआ लेकिन इस बार बिल्कुल नये नाम और मकसद के साथ। अब ओरावेल का नया नाम Oyo Rooms (ओयो रूम्स) था। जिसका मतलब होता है “आपके अपने कमरे”। ओयो रूम्स का उद्देश्य अब सिर्फ ट्रैवलर्स को किसी होटल में कमरा मुहैया कराना भर नहीं रह गया। अब वह होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की गुणवता का भी ख्याल रखने लगे और इसके लिए कंपनी ने कुछ मानकों को भी निर्धारित किया। अब जो भी होटल ओयो रूम्स के साथ जुड़ अपनी सेवाएं देना चाहता है। उसे सबसे पहले कंपनी से संपर्क करना होता है। इसके पश्चात कंपनी के कर्मचारी उस होटल में जा वहां के कमरों और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण करते है। अगर वह होटल ओयो के सभी मानकों पर खरा उतरता है तभी वह ओयो के साथ जुड़ सकता है, अन्यथा नहीं।

सफलता के कदम – Success of Ritesh Agarwal

इस बार रीतेश पहले की गलतियों को दुहराना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक बिजनेस फर्म – SeventyMM के सीईओ भावना अग्रवाल से मिल बिजनेस की बारिकियों को बेहतरीन ढ़ंग से जानने का प्रयास किया। इन सलाहों ने आगे चलकर उन्हें कंपनी के लिए अच्छे निर्णय लेने में काफी मदद की। प्रारम्भ में ओयो रूम्स को लगातार ग्राहक मिलते रहे इसलिए उन्होंने लगभग दर्जन भर होटलों के साथ समझौता कर लिया।
इस बार रीतेश की मेहनत रंग लाई और सबकुछ वैसा ही हुआ जैसा वे चाहते थे। किफायती दामों पर बेहतरीन सुविधाओं के साथ ट्रैवलर्स को यह सेवा बहुत पसंद आने लगी। धीरे-धीरे ग्राहकों कि मांगो को पूरा करने के लिए कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 2 से 15, 15 से 25 कर दी गई। वर्तमान में ओयो में कर्मचारियों की संख्या 1500 से भी ज्यादा हैं।
कंपनी के स्थापित होने के एक वर्ष बाद, 2014 में ही दो बड़ी कंपनियों Lightspeed Venture Partners (LSVP) एवं DSG Consumer Partners ने Oyo Rooms में 4 करोड़ रूपये का निवेश किया। वर्तमान वर्ष 2016 में, जापान की बहुराष्ट्रीय कंपनी Softbank ने भी 7 अरब रूपयें का निवेश किया है। जो कि एक नई कंपनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है।
वह बात जिसने रीतेश अग्रवाल को कंपनी को और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है, वह है- हर महीने ग्राहकों द्वारा 1 करोड़ रूपये से भी ज्यादा की जाने वाली बुकिंग।
आज मात्र 2 वर्षों में Oyo Rooms 15000 से भी ज्यादा होटलो की श्रृंखला (1000000 कमरों) के साथ देश की सबसे बड़ी आरामदेह एवं सस्ते दामों पर लागों को कमरा उपलब्ध कराने वाली कंपनी बन चुकी है। रीतेश अग्रवाल की यह कंपनी भारत के शीर्ष स्टार्ट-अप कंपनियों में से एक हैं। इसी वर्ष कंपनी ने मलेशिया में भी अपनी सेवाएं देना प्रारम्भ कर दिया है और आने वाले समय में अन्य देशों में भी अपनी पहुँच बनाने जा रही है।
इसी माह (2 July, 2016), प्रतिष्ठीत अंतराष्ट्रीय मैगज़ीन GQ  (Gentlemen’s Quarterly) ने रितेश अग्रवाल को 50 Most Influential Young Indians: Innovators की सूची में शामिल किया है। इस सूची में उन युवा इनोवेटर्स को शामिल किया जाता है जो अपनी नई सोच व विचारों से लोगों की जिंदगी को आसान बनाते है।
यह लेख मुकेश पंडित द्वारा भेजा गया है| मुकेश MotivationalStoriesinHindi.in नाम से एक ब्लॉग चलाते है| मुकेश के इस अद्भुत लेख के लिए, हैप्पीहिंदी.कॉम की तरफ से मुकेश को बहुत बहुत धन्यवाद|

Saturday, 25 March 2017

रतन टाटा की प्रेरणादायक जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi

रतन टाटा की जीवनी Ratan Tata Biography in Hindi


पूरा नाम     – रतन नवल टाटा
जन्म          – 28 दिसंबर 1937
जन्मस्थान – मुम्बई
पिता          –  नवल टाटा
माता          –  सोनू टाटा

रतन टाटा की प्रेरणादायक जीवनी /Ratan Tata Biography In Hindi

रतन नवल टाटा एक भारतीय उद्योगपति, निवेशक, परोपकारी और टाटा सन्स के अवकाशप्राप्त अध्यक्ष है. वे 1991 से 2012 तक मिश्र टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रह चुके है. उन्होंने 28 दिसंबर 2012 को अपने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ा लेकिन उन्होंने टाटा ग्रुप के समाजसेवी संस्थाओ के अध्यक्ष का पद नही छोड़ा.

If you want learn in English than Please Click Here - Ratan Tata Wiki and Biography

प्रारंभिक जीवन / Early Life Ratan Tata In Hindi
रतन टाटा / Ratan Tata , नवल टाटा के पुत्र थे, जिसे नवाजबाई टाटा ने अपने पति की मृत्यु के बाद दत्तक ले लिया था. रतन टाटा के माता-पिता नवल और सोनू 1940 के मध्य में अलग हूए. अलग होते समय रतन 10 साल के और उनके छोटे भाई सिर्फ 7 साल के ही थे. उन्हें और उनके छोटे भाई, दोनों को उनकी बड़ी माँ नवाईबाई टाटा ने बड़ा किया था. कैंपियन स्कूल, मुम्बई से ही रतन टाटा ने स्कूल जाना शुरू किया और कैथेड्रल में ही अपनी माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की और जॉन केनौन स्कूल में दाखिल हुए. वही वास्तुकला में उन्होंने अपनी B.Sc की शिक्षा पूरी की.
साथ ही कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में संचारात्मक इंजीनियरिंग और 1975 में हार्वर्ड बिज़नस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम का अभ्यास किया. टाटा अल्फा सिग्मा फाई बन्धुत्वता के सदस्य भी है.
रतन टाटा के बारे में जानकारी / About Ratan Tata In Hindi
रतन टाटा / Ratan Tata एक परोपकारी व्यक्ति है, जिनके 65% से ज्यादा शेयर चैरिटेबल संस्थाओ में निवेश किये गए है. उनके जीवन का मुख्य उद्देश् भारतीयो के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है और साथ ही भारत में मानवता का विकास करना है. रतन टाटा का ऐसा मानना है की परोपकारियों को अलग नजरिये से देखा जाना चाहिए, पहले परोपकारी अपनी संस्थाओ और अस्पतालों का विकास करते थे जबकि अब उन्हें देश का विकास करने की जरुरत है.
रतन टाटा की व्यक्तिगत पृष्टभूमि / Ratan Tata Life History In Hindi
रतन टाटा का जन्म नवल टाटा और सोनू कमिसरियात के बेटे के रूप में हुआ और उन्हें एक छोटा भाई जिमी टाटा भी है. तलाक के बाद रतन टाटा के पिता ने साइमन दुनोएर से दूसरी शादी कर ली. अपनी दूसरी पत्नी से उन्हें एक और बेटा नोएल टाटा भी हुआ. रतन के पिता सर रतन टाटा के दत्तक लिए हुए बेटे थे. बचपन से ही रतन एन. टाटा का पालनपोषण उद्योगियो के परिवार में हुआ था. वे एक पारसी पादरी परिवार से जुड़े हुए थे. उनका परिवार ब्रिटिश कालीन भारत से ही एक सफल उद्यमी परिवार था इस वजह से रतन टाटा को अपने जीवन में कभी भी आर्थिक परेशानियो का सामना नही करना पड़ा था. रतन का ज्यादातर पालनपोषण उनकी बड़ी माँ नवाजबाई ने किया था.
रतन एन. टाटा एक उच्च शिक्षित उद्योगपति है. उन्होंने USA की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से वास्तुकला की डिग्री प्राप्त कर रखी थी और USA की ही हार्वर्ड बिज़नस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम का भी अभ्यास कर रखा था. सन् 1962 में वे अपने पारिवारिक व्यवसाय टाटा ग्रुप में शामिल हुए. रतन एन. टाटा आज अविवाहित पुरुष है उनके रिश्तों को लेकर कई बार खबरे भी आती गयी. लेकिन हम सब के सामने ये सबसे बड़ा प्रश्न है की “रतन एन. टाटा को किसने सफल किया? उनकी सफलता के पीछे कौन है?” मीडिया कई वर्षो से इस बात पर चर्चा करते आई है, ताकि वे रतन एन. टाटा के सफलता के राज को जान सके.
रतन टाटा के करियर की शुरुवात –
रतन एन. टाटा अपना उच्च शिक्षण पुरा करने के बाद भारत वापिस आये और जे.आर.डी टाटा की सलाह पर उन्होंने IBM में जॉब की और 1962 में अपने पारिवारिक टाटा ग्रुप में शामिल हुए, जिसके लिए उन्हें काम के सिलसिले में टाटा स्टील को आगे बढाने के लिये जमशेदपुर भी जाना पडा.
1971 में, उनकी नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स के डायरेक्टर पद पर नियुक्ति की गयी. जिसकी उस समय बहोत बुरी परिस्थिति थी और उन्हें 40% का नुकसान और 2% ग्राहकों के मार्केट शेयर खोने पड़े. लेकिन जैसे ही रतन एन. टाटा उस कंपनी में शामिल हुए उन्होंने कंपनी का ज्यादा मुनाफा करवाया और साथ ही ग्राहक मार्केट शेयर को भी 2% से बढाकर 25% तक ले गए. उस समय मजदूरो की कमी और NELCO की गिरावट को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था.
जे.आर.डी टाटा ने जल्द ही 1981 में रतन टाटा को अपने उद्योगों का उत्तराधिकारी घोषित किया लेकिन उस समय ज्यादा अनुभवी न होने के कारण बहोत से लोगो ने उत्तराधिकारी बनने पर उनका विरोध किया. लोगो का ऐसा मानना था की वे ज्यादा अनुभवी नही है और ना ही वे इतने विशाल उद्योग जगत को सँभालने के काबिल है. लेकिन टाटा ग्रुप में शामिल होनेके 10 साल बाद, उनकी टाटा ग्रुप के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की गयी. रतन टाटा के अध्यक्ष बनते ही टाटा ग्रुप में नयी उचाईयो को छुआ था, इस से पहले इतिहास में कभी टाटा ग्रुप इतनी उचाईयो पर नही गया था. उनकी अध्यक्षता में टाटा ग्रुप ने अपने कई अहम् प्रोजेक्ट स्थापित किये. और देश ही नही बल्कि विदेशो में भी उ होने टाटा ग्रुप को नई पहचान दिलवाई.
देश में सफल रूप से उद्योग करने के बाद टाटा ने विदेशो में भी अपने उद्योग का विकास करने की ठानी, और विदेश में भी जैगुआर रोवर और क्रूस की जमीन हथिया कर वहा अपनी जागीरदारी विकसित की. जिस से टाटा ग्रुप को पूरी दुनिया में पहचान मिली और इसका पूरा श्रेय रतन एन. टाटा को ही दिया गया. भारत में उनके सबसे प्रसिद्ध उत्पाद टाटा इंडिका और नैनो के नाम से जाने जाते है. आज टाटा ग्रुप का 65% मुनाफा विदेशो से आता है. 1990 में उदारीकरण के बाद टाटा ग्रुप ने विशाल सफलता हासिल की, और फिर से इसका श्रेय भी रतन एन. टाटा को ही दिया गया.
रतन टाटा की उपलब्धिया–
रतन टाटा ने भारतीय उद्योगों की जेष्ठ हैसियत वाले इंसान के रूप में सेवा की. जैसे की वे प्रधानमंत्री व्यापार और उद्योग समिति के सदस्य भी है. और साथ ही एशिया के RAND सेंटर के वे सलाहकार समिति में भी शामिल है.
रतन टाटा भारतीय एड्स कार्यक्रम समिति के सक्रीय कार्यकर्ता भी है. भारत में इसे रोकने की हर संभव कोशिश वे करते रहे है.
देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी हमें रतन टाटा का काफी नाम दिखाई देता है. वे मित्सुबिशी को-ऑपरेशन की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति के भी सदस्य है और इसीके साथ वे अमेरिकन अंतर्राष्ट्रीय ग्रुप जे.पी. मॉर्गन चेस एंड बुज़ एलन हमिल्टो में भी शामिल है. उनकी प्रसिद्धि को देखते हुए हम यह कह सकते है की रतन टाटा एक बहुप्रचलित शख्सियत है.
अब तक निचे दिए गए पुरस्कार रतन टाटा को उनकी महान उपलब्धियो के लिए दिए गये-
  1. येल की तरफ से नेतृत्व करने वाले सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति का पुरस्कार.
  2. सिंगापूर की नागरिकता का सम्मान.
  3. इंडो-इसरायली चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स द्वारा सन् 2010 में “बिजनेसमैन ऑफ़ दि डिकेड” का सम्मान.
  4. टाटा परिवार के देश की प्रगति में योगदान हेतु परोपकार का कार्नेगी मैडल दिया गया.
  5. सन् 2008 में, रतन टाटा को भारत सरकार ने भारत के नागरिकत्व का सबसे बड़ा पुरस्कार पद्म भूषण दिया गया.
रतन टाटा भारत के सबसे सफल और प्रसिद्ध उघमियों में गीने जाते है, उनका स्वभाव शर्मीला है और वे दुनिया की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते. वे सालों से मुम्बई के कोलाबा जिले में एक किताबों से भरे हुए फ्लैट में अकेले रहते है. रतन टाटा उच्च आदर्शों वाले व्यक्ति है. वे मानते हैं कि व्यापार का अर्थ सिर्फ मुनाफा कामाना नहीं बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझना है और व्यापार में सामाजिक मूल्यों का भी सामावेश होना चाहिए.
रतन टाटा का हमेशा से ही यह मानना था की-
जीवन में आगे बढ़ते रहनेके लिए उतार-चढ़ाव का बड़ा ही महत्व है. यहां तक कि ई.सी.जी. (ECG) में भी सीधी लकीर का अर्थ- मृत माना जाता है.
उन्होंने हमेशा जीवन में आगे बढ़ना ही सिखा. कभी वे अपनी परिस्थितियों से नही घबराये, जबकि हर कदम पर उन्होंने अपनेआप को सही साबित किया.
Please Note :- अगर आपके पास Ratan Tata Biography In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद

Friday, 24 March 2017

Motivational Story In Hindi | व्हाट्सअप निर्माता ब्रायन ऐक्टन




इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं,
हम वो सब कर सकते हैं, जो हम सोच सकते हैं,
और हम वो सब सोच सकते हैं, जो आज तक हमने कभी सोचा नहीं।

दोस्तों ये पंक्तियाँ उस शख्स के जीवन पर सटीक बैठती हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) ये नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। अगर नहीं भी सुना तो कोई बात नहीं आज तो सुन ही लिया, और मैं उम्मीद करती हूँ, कि आज इस आर्टिकल को पढ़कर शायद ही इनका नाम दोबारा हमें आपको या किसी और को याद दिलाना पड़े।


आज कल सबके पास Android फोन है और उसमे एक ऐसा अप्लीकेशन है जिसके बिना हमारा फोन कुछ काम का नहीं होता उस अप्लीकेशन का नाम है – WhatsApp / व्हॉट्स अप.
क्या आपको पता है की what app की शुरुवात 2009 में हुई और आज की तारिख में उसके 60 करोड़ से ज्यादा users है. और आज कल लोगों के संपर्क का साधन बना हुवा है. तो आज हम जानते है की whats App की शुरुवात कैसी हुई और इसके पीछे का इतिहास / Whatsapp Story In Hindi.

Motivational Story In Hindi

मिस्टर ब्रायन ऐक्टन / Brian Acton जो आज whats app के co-founder है उन्होंने 2009 में जॉब के लिये Facebook में अप्लाई किया वो Facebook कंपनी में जॉब करना चाहते थे लेकीन उनको वहा से रिजेक्ट किया गया. बाद में उन्होंने व्टिटर पर भी जॉब के लिये कोशिश की लेकीन वहा भी उनके हाथ में निराशा ही आयी. जब किसी के साथ ऐसा बार – बार होता है तब उसे अपनी योग्यता पे, अपने Talent पे शक होने लगता है. बहोत से लोग अपनी जिंदगी से हार मान लेते है. परेशान होकर तनाव में आ जाते है.
लेकीन ब्रायन ऐक्टन को खुद पर विश्वास था. कुछ कर दिखाने की इच्छा थी. उनके अंदर खुद को साबीत करने की आग थी. उन्होंने दुसरे लोगों की तरह हार मानने की जगह, परेशान होने की जगह अपने दोस्त के साथ मिलकर रात-दिन मेहनत करके एक ऐसा अप्लीकेशन बना डाला जिसे पूरी दुनिया ने सर पर बिठा दिया.
व्हाट्सअप अप्लीकेशन बनाने के पहले जिस Facebook कंपनी ने WhatsApp अप्लीकेशन बनाने वाले ब्रायन ऐक्टन को रिजेक्ट किया था उसी को ठीक 5 साल बाद फेसबुक कंपनी ने ब्रायन ऐक्टन के WhatsApp अप्लीकेशन को 19 बिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपयों में एक लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपयों में खरीदा. ब्रायन ऐक्टन जिस कंपनी में काम मांगने गये थे आज उसी कंपनी के मेजर शेयर होल्डर बन गये.
देखा दोस्तों, जिसे खुद पर विश्वास हो मेहनत करने की तैयारी हो उसे हर हाल में सफलता मिलती है. आप अपनी असफलता को किस तरह लेते है. इसपर आपकी सफलता निर्भर करती है. अगर हम अपनी असफलता को एक मौका समझकर आगे बढ़ने की उपयोग में लेते है तो आपको एक ना एक दिन सफलता जरुर मिलेंगी.
याद रखना की एक हार जिंदगी की हार नहीं होती और हमेशा ये कहते रहना की – I am चैम्पियन, I am champian.
All The Best.

Thursday, 23 March 2017

Steven Paul Steve Jobs Biography in Hindi

दोस्तों आज इस पोस्ट में हम पढेगे Steve Job की biography (जीवनी), जो हर technical, entrepreneur और marketer को motivate करती है.

नाम-  Steven Paul Steve Jobs (स्टीवन पॉल “स्टीव” जॉब्स)
जन्म- 24 फरवरी 1955   स्थान- सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका)
मृत्यु- 5 अक्टूबर 2011 (उम्र) 56 साल  पालो आल्टो, केलिफोर्निया
परिचय- एप्पल के संस्थापक
पुरस्कार- एप्पल कंप्यूटर को “मशीन ऑफ़ दी इयर” का खिताब, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा नेशनल मैडल ऑफ़ टेक्नोलॉजी अवार्ड, साम्युल ऑफ़ बीएड, केलिफोर्निया हाल ऑफ़ फेम, इतना ही नहीं मरने के बाद ग्रेमी न्यासी अवार्ड, आदि.

Steven Paul Jobs Introduction(स्टीवन पॉल स्टीव जॉब्स का परिचय)

24 फरवरी 1955 को केलिफोर्निया में जन्मे Steve Jobs का जीवन जन्म से हि संघर्ष पूर्ण था, उनकी माँ अविवाहित कॉलेज छात्रा थी. और इसी कारण वे उन्हें रखना नहीं चाहती थी, और Steve Jobs को किसी अच्छे परिवार में गोद देने का फैसला कर दिया. लेकिन जो गोद लेने वाले थे उन्होंने ये कहकर मना कर दिया की वे लड़की को गोद लेना चाहते हैं. फिर  Steve Jobs को केलिफोर्निया में रहने वाले पॉल (Paul) और कालरा (Kaalra) जॉब्स ने गोद ले लिया. Paul and kaalra दोनों ही ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे और मध्यम वर्ग (Medium family) से ताल्लुक रखते थे.
जब Steve Jobs 5 साल के हुए, तब उनका परिवार केलिफोर्निया के पास हि स्थित माउंटेन व्यू (Mountain View) चला गया. पॉल मैकेनिक थे, और स्टीव को इलेक्ट्रॉनिक की चीजो के बारे में और कालरा एकाउंटेंट थी इसलिए वे स्टीव की पढाई में मदद किया करती थी.
स्टीव Steve ने मोंटा लोमा स्कूल Monta loma school में दाखिला (Admission) लिया और वही पर अपनी प्राथमिक (Primary) शिक्षा पूरी की. इसके बाद वे उच्च शिक्षा (High school) कूपटिर्नो जूनियर हाई स्कूल (kuptirno juniar high school) से पूरी की.
और सन 1972 में अपनी कॉलेज की पढाई के लिए ओरेगन (Oregan) के रीड कॉलेज (Read College) में दाखिला लिया जो की वहां की सबसे महंगी कॉलेज थी. Steve पढने में बहुत ही ज्यादा अच्छे थे लेकिन, उनके माता-पिता पूरी फीस नहीं भर पाते थे, इसलिए स्टीव Steve ने फीस भरने के लिए बोतल के कोक को बेचकर पैसे जुटाते, और पैसे की कमी के कारण मंदिरों में जाकर वहा मिलने वाले मुफ्त खाना खाया करते थे. और अपने होस्टल (hostel) का किराया बचाने के लिए अपने दोस्तों के कमरों में जमीन पर हि सो जाया करते थे. इतनी बचत के बावजूद फीस के पैसे पुरे नहीं जुटा पाते और अपने माता-पिता को कढ़ी मेहनत करता देख उन्होंने कॉलेज छोड़कर उनकी मदद करने की सोची.
लेकिन उनके माता-पिता उनसे सहमत नहीं थे. इसलिए अपने माता-पिता के कहने पर कॉलेज में नहीं जाने के स्थान पर क्रेटीव क्लासेज (creative classes) जाना स्वीकार किया. जल्दी ही उसमे स्टीव को रूचि बढ़ने लगी. क्लासेस जाने के साथ-साथ वे अटारी Atari नाम की कंपनी में technician का काम करने लगे.
स्टीव Steve आध्यात्मिक जीवन में बहुत विश्वास करते थे, इसलिए Steve अपने धर्म गुरु से मिलने भारत आए. और काफी समय भारत में गुजारा. भारत में रहने के दौरान उन्होंने पूरी तरह बौद्ध धर्म को अपना लिया और बौद्ध भिक्षु के जैसे कपडे पहनना शुरू किया. और पूरी तरह आध्यातिमिक हो गये. और भारत से वापिस कैलिफ़ोर्निया चले गए.

एप्पल कंपनी की शुरुआत (Starting of Apple Company)

सन 1976 में मात्र 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने एप्पल Apple कंपनी की शुरुआत कि. स्टीव Steve ने अपने स्कूल के सहपाठी (classmate) मित्र वोजनियाक Vozniyaak के साथ मिल कर अपने पिता के गैरेज में ऑपरेटिंग सिस्टम मेकिनटोश (macentosh) तैयार किया. और इसे बेचने के लिए एप्पल कंप्यूटर (apple computer) का निर्माण करना चाहते थे. लेकिन पैसो की कमी के कारण समस्या आ रही थी. लेकिन उनकी ये समस्या उनके एक मित्र माइक मर्कुल्ला (mike murkulla) ने दूर कर दि साथ ही वे कंपनी में साझेदार partner भी बन गये. और स्टीव ने एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत की.
साथ हि उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए Pepsi, Coca Cola कंपनी के मुख्य अधिकारी जॉन स्कली (John Skli) को भी शामिल कर लिया. स्टीव और उनके मित्रो की कढ़ी मेहनत के कारण कुछ ही सालो में एप्पल कंपनी गैराज से बढ़कर 2 अरब डॉलर और 4000 कर्मचारियो employs वाली कंपनी बन चुकी थी.

एप्पल कंपनी से इस्तीफा (Re-sine from Apple Company)

लेकिन उनकी ये उपलब्धि ज्यादा देर तक नहीं रही, उनके साझेदारो द्वारा उनको ना पसंद किये जाने और आपस में कहासुनी के कारण एप्पल कंपनी की लोकप्रियता popularity कम होने लगी. धीरे-धीरे कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी. और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर board of director की मीटिंग में सारे दोष स्टीव का ठहराकर सन 1985 में उन्हें एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया. ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था.
क्योकि जिस कंपनी को उन्होंने कढ़ी मेहनत और लग्न से बनाया था उसी से उन्हें निकाल दिया गया था. स्टीव के जाते ही कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी.
एप्पल से इस्तीफा (Re-sine latter) देने के 5 साल बाद उन्होंने Next-ink नाम की और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरुआत की. Next-ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी. और उनका उदेश्य बेहतरीन सॉफ्टवेर software बनाना था. और Pixer कंपनी में animation का काम होता था. एक साल तक काम करने के बाद पैसो की समस्या आने लगी और Rosh perot के साथ साझेदारी कर ली. और पेरोट ने अपने पैसो का निवेश किया. सन 1990 में Next-ink ने पहला कंप्यूटर बाज़ार में उतारा लेकिन बहुत ही ज्यादा महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका. फिर Next-ink ने Inter personal computer बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोक प्रिय हुआ. और Pixer ने एनिमेटेड फिल्म Toy story बनायीं जो अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म हैं.

एप्पल कंपनी में वापसी (Return in Apple Company)

सन 1996 में एप्पल ने स्टीव की Pixer को ख़रीदा इस तरह उनके एप्पल में वापसी हुई. साथ ही वे एप्पल के chief executive officer बन गये. सन 1997 में उनकी मेहनत के कारण कंपनी का मुनाफा बढ़ गया और वे एप्पल के सी.इ.ओ. C.E.O बन गये. सन 1998 में उन्होंने आईमैक I-mac को बाज़ार में लॉन्च launch किया, जो काफी लोकप्रिय हुआ. और एप्पल ने बहुत ही बड़ी सफलता हासिल कर ली. उसके बाद I-pad, I-phone, I-tune भी लॉन्च किये. सन 2011 में सी.ई.ओ. पद से इस्तीफा दे दिया और board के अध्यक्ष बन गये. उस वक्त उनकी property $7.० बिलियन billion हो गयी थी. और apple दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गयी थी.

निधन ( Death )

स्टीव को सन 2003 से pain creative नाम की कैंसर की बिमारी हो गयी थी. लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन technology प्रदान कर सके. और कैंसर कि बिमारी के चलते 5 Oct. 2011 को Paalo Aalto केलिफोर्निया में उनका निधन हो गया.

Monday, 20 March 2017

कपिल शर्मा के सफलता की प्रेरणादायक कहानी | Kapil Sharma

कपिल शर्मा के सफलता की प्रेरणादायक कहानी /Kapil Sharma In Hindi


कपिल शर्मा / Kapil Sharma का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ. उनके पिता पंजाब पुलिस के हेड कांस्टेबल थे और उनकी माता गृहिणी है. कैंसर की बीमारी के चलते उनके पिता की 2004 को सफ्दुर्जुंग अस्पताल, न्यू दिल्ली में मृत्यु हो गयी थी. कपिल अमृतसर के हिंदु कॉलेज में पढ़ते थे.
कपिल शर्मा ने एमएच वन पर हसदे हसंदे रहो कॉमेडी शो में काम किया इसके बाद इन्हें द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज में अपना पहला ब्रेक मिला. ये उन 99 रियलिटी शो में से एक है जिन्हें वे जीत चुके है. 2007 में ये इस शो के विजेता बने जिसने कपिल ने 10 लाख की पुरस्कार राशि जीती.
इसके बाद कपिल शर्मा / Kapil Sharma सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविज़न पर कॉमेडी सर्कस में भाग लिया. कपिल ने इसके सारे छह सीजन जीते. कपिल डांस रियलिटी शो झलक दिखला जा सीजन 6 भी होस्ट कर चुके है और उन्होंने कॉमेडी शो छोटे मिया भी होस्ट किया है. बाद में शर्मा ने उस्तादों के उस्ताद शो में भी हिस्सा लिया था. 2013 में शर्मा ने अपने प्रोडक्शन बैनर K9 प्रोडक्शन के अंतर्गत अपना शो कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल लांच किया जो एक बहोत बड़ा हिट साबित हुआ. कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल भारत का सबसे प्रसिद्ध कॉमेडी शो है और उस शो में बड़े-बड़े कलाकार ने हाजिरी दी है जैसे – शाहरुख़ खानसलमान खान और भी कई बड़ी हस्तिया.
CNN-IBN इंडियन ऑफ़ द इयर अवार्ड में शर्मा को एंटरटेनर ऑफ़ द इयर अवार्ड 2013 से अमोल पालेकर द्वारा सम्मानित किया गया. लोक सभा चुनाव 2014 में उन्हें दिल्ली चुनाव आयोग के द्वारा दिल्ली का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया.
शर्मा ने 60 वे फिल्मफेयर अवार्ड को कारन जौहर के साथ को-होस्ट के रूप में होस्ट किया. सेलेब्रिटी क्रिकेट लीग 2014 के चौथे सीजन में वे के प्रेसेंटर थे. ये बैंक चोर नमक यशराज फिल्म्स की फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने वाले थे लेकिन बाद में उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी. 17 अगस्त को उन्हें अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोडपति के 8वे सीजन के पहले एपिसोड में उन्हें अतिथि के रूप में बुलाया गया था.
कपिल शर्मा एक भारतीय हास्य अभिनेता है. फरवरी 2013 में कपिल शर्मा फ़ोर्ब्स इंडिया पत्रिकाओ में शीर्ष 100 हस्तियो के बिच में चुने गये थे और वह उस सूचि में 93 वे स्थान पर थे. और वहा से सीधे 2014 में वे 33 वे स्थान पर आ गये थे. CNN-IBN ने उन्हें 2013 में मनोरंजन के क्षेत्र में इंडियन और द इयर ख़िताब से नवाजा है. इकोनॉमिक्स टाइम्स ने 2015 में भारत के सबसे प्रसिद्ध और मशहूर हस्तियो की सूचि में भी कपिल शर्मा को शामिल किया हुआ था. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के लिये कपिल शर्मा का नामनिर्देशन भी किया था, जिसे कपिल ने स्वीकार भी किया था. एक साल बाद ही सितम्बर 2015 में स्वच्छ भारत अभियान में उनके योगदान के लिये उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित भी किया. उन्होंने अब्बास मस्तान की रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म किस-किस को प्यार करू से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुवात की थी.
कपिल शर्मा / Kapil Sharma कॉमेडी के क्षेत्र में लगातार वे बिना ब्रेक लिए पिछले 8 सालो से काम कर रहे है. वे एक पशु प्रेमी भी है और वे जीवो के साथ मानवीय व्यवहार का समर्थन भी करते है. उन्होंने एक कुत्ते को भी गोद ले रखा है जिसका नाम जंजीर है…. कपिल शर्मा ने काफी कम वक्त में इतनी सक्सेस पाई है, आज हर युवक उनसे प्रेरित हो रहा है. ये कपिल शर्मा की मेहनत और लगन का नतीजा ही है की बिना किसी बेकग्राउंड और गॉड फादर इस चमचमाती बॉलीवुड के दुनिया में उन्होंने अपने खुद के दम पर जीवन में जो चाह हासिल किया. कहते है ना-
अगर किसी चीज को पूरी दिलो-जान से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने के जुरत में लग जाती है.

Sunday, 19 March 2017

Success story in hindi | अलीबाबा सफलता की कहानी

जानें टूरिस्टों को गाइड करने वाला शख्स कैसे बना अरबपति

यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने न जाने अपने जीवन में कितनी ही ठोकरें खाई और असफलताओं का मुँह देखा, फिर भी उसने कभी हार न मानी| जहाँ कभी वह एक टूर गाइड के रूप में सिर्फ महीने के सिर्फ 800 रूपए कमाया करता था, वहीं व्यक्ति आज 130,000 करोड़ रूपये की सम्पति के साथ  चीन की सबसे अमीर शख्शियत बन चुका है| एक रंक से राजा बनने की ये कहानी किसी और की नहीं बल्कि  ई-कॉमर्स  कंपनी ‘अलीबाबा डॉट कॉम(Alibaba.com)’ के संस्थापक जैक मा की है|\


Jack Ma – Inspirational Success Story
उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1964 को एक संगीतकार व कहानीकार के घर पर हंग्ज़्हौ, चीन, में हुआ| उनका बचपन एक ऐसे दौर से गुजरा जब चीन में साम्यवाद (कम्युनिज्म) अपने चरम पर था और वहाँ के नागरिकों का बाहरी दुनिया से लगभग कोई नाता न था| चीन की उस सांस्कृतिक क्रान्ति के दौरान, जैक मा के परिवार को कम्युनिस्ट पार्टी के विरोधी नेशनलिस्ट पार्टी का समर्थक होने के कारण काफी यातनाएँ सहनी पड़ी थीं|

कई बार फ़ैल हुए – JACK MA’s Life is Full of Failures

जैक मा (Jack Ma) को उनकी पारंपरिक शिक्षा से ज्यादा उनके जीवन की विफलताओं ने सिखाया| आपको जानकर शायद यह अचरज हो कि आज के चीन का सबसे अमीर व्यक्ति कभी पढ़ाई में बहुत ही कमजोर था| वे प्राथमिक विद्यालय की एक महत्वपूर्ण परीक्षा में 2 बार फैल हुए और माध्यमिक विद्यालय की परीक्षा में 3 बार फेल हुए|
जैक मा शुरू से ही अंग्रेजी भाषा सीखना चाहते थे| अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन सन 1972 में हंग्ज़्हौ आये थे और उससे हंग्ज़्हौ के पर्यटन उद्योग को एक बहुत बड़ा प्रोत्साहन मिला| उसके बाद स्कूल के दिनों में ही जैक, एक टूर गाइड के रूप में काम करने लगे ताकि वे कुछ पैसे कमाने के साथ साथ अंग्रेजी भी सीख सकें| वो पहला मौक़ा था जब जैक, टूर गाईड के रूप में बाहरी दुनिया के लोगो के संपर्क में आये|
स्कूल के बाद जैक ने कॉलेज के लिए आवेदन किया लेकिन कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में वे 3 बार फेल हुए| उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय प्रवेश के लिए 10 बार आवेदन किया था लेकिन एक बार भी वे सफल नहीं हए| पर आखिर में उन्हें हंग्ज़्हौ के टीचर इंस्टिट्यूट में दाखिला मिल गया, जहाँ से सन 1988 में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में स्नातक किया|
शायद आपको लगे की इतनी बड़ी कंपनी के संस्थापक के लिए गणित तो बहुत ही आसान विषय होगी| पर वास्तविकता इससे कोसो दूर है| अपने कॉलेज में गणित की परीक्षा में उन्हें एक बार 120 अंकों में केवल 1 अंक प्राप्त हुआ था| खुद जैक मा के शब्दों में,
मैं गणित में अच्छा नहीं हूँ, कभी मैनेजमेंट की पढ़ाई नहीं की और अब भी एकाउंटिंग रिपोर्ट को पढ़ना नहीं जानता”

30 कंपनियों ने रिजेक्ट किया, नहीं मिली नौकरी – Jack Ma Was Rejected From 30 Jobs

कॉलेज के बाद उन्होंने करीब 30 कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन किया और सभी कंपनियों ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया| उनके खुद के शब्दों में –
“मैंने पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन उन्होंने मेरे आवेदन को यह कहकर अस्वीकार कर दिया मैं इस नौकरी के लायक नहीं हूँ|”
“जब हमारे शहर में KFC कम्पनी ने अपना स्टोर खोला, तो मैंने KFC में जॉब के लिए आवेदन किया| कुल 24 लोगों ने KFC में जॉब के लिए आवेदन किया था जिसमें से 23 लोगों का आवेदन स्वीकार हो गया, सिवाय मेरे|”
आखिरकार उन्हे 800 रुपये प्रति माह पर एक शिक्षक की नौकरी मिली, जहाँ वे विद्यार्थियों के बीच काफी मशहूर हुए| बाद में जब उन्होंने एक अनुवादक (ट्रांसलेटर) के रूप में कार्य करना शुरू किया तब एक बार उन्हें अमेरिका जाने का मौका मिला| वहीं पहली बार सन 1995 में वे इन्टरनेट की दुनिया से रुबरु हुए|

इन्टरनेट की दुनिया में पहला कदम – When Jack Ma First Discovered The Internet

इन्टरनेट को जानने के बाद सबसे पहले उन्होंने चीन के बियर की जानकारी देने वाली एक नई वेबसाइट बनाई, जिसका नाम उन्होंने ‘चाईनापेज’ रखा। बेहतर निवेश के लिए उन्होंने एक सरकारी निकाय के साथ साझेदारी की। पर सरकारी नौकरशाही ने धीरे-धीरे उनके इस सपने और परियोजना का दम घोंटना शुरु कर दिया, जिसके कारण अंतत: उन्हे उस सरकारी निकाय से अलग होना ही पड़ा| इससे उन्हें एक बहुत बड़ा सबक मिला, जिसके बारे में वो कहते हैं कि
“सरकार से प्यार करें, पर शादी कभी नहीं”
आखिरकार निवेश की कमी जैसे कई कारणों से उनकी यह परियोजना सफल न हो सकी|

अलीबाबा की शुरुआत और सफलता – Success Story of Alibaba

“चाइनापेज” की असफलता के बाद उन्होंने एक बिल्कुल ही नए विचार पर काम करने की सोची और वह विचार था – एक ऐसे वेबसाइट की स्थापना करना जो अलग-अलग व्यवसायों के बाजारों के लिए एक ख़ास पोर्टल प्रदान करे और जहाँ दुनिया के विभिन्न जगहों के निर्यातक अपने उत्पादों की एक विस्तृत सूची पेश कर सकें| जैक मा ने इस वेबसाइट का नाम “अलीबाबा” रखा|
पहले-पहले अलीबाबा में निवेश के लिए जैक मा ने सिलिकॉन वैली की ओर रुख किया, जहाँ उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी| यहां तक की सिलिकॉन वैली में कईयों ने तो उनकी इस परियोजना को एक असफल और घाटेवाला बिज़नस मॉडल करार दिया|
पर उन्होंने अपने इस सपने को टूटने नहीं दिया और जल्दी ही वो वक्त भी आया जब दो बड़ी कंपनियों – गोल्डमैन सैक्स और सॉफ्टबैंक, ने अलीबाबा डॉट कॉम में कुल 25 मिलियन डॉलर का निवेश किया|
इतने पर भी अलीबाबा से कोई लाभ न होता देख जैक मा और उनकी टीम ने 2003 में ‘ताओबाओ डॉट कॉम’ नाम से एक ऑक्शन वेबसाइट (नीलामी की वेबसाइट) बनाई, जिस पर सामानों की नीलामी निःशुल्क थी| इस वेबसाइट का निर्माण सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी ईबे (eBay) को पछाड़ने के लिए किया गया था, जिसका पहले से ही चीन के नीलामी बाजार के बड़े हिस्से पर प्रभुत्व था| ताओबाओ पर निःशुल्क सेवा प्रदान करने की वजह से अलीबाबा पर बहुत अधिक आर्थिक दबाव बनने लगा। इस दबाव को कम करने के लिए मा और उसकी टीम कई अतिरिक्त वैल्यू-एडेड सेवाएँ उपलब्ध कराने लगी, जैसे कस्टम वेबपेजेज| पाँच वर्षों में ही ईबे को चीन के बाजार से अपने कदम पीछे खीचने पड़े|
खुद से कहीं ज्यादा बड़े प्रतिद्वंदी से भिड़ने में तो जैसे “जैक मा” को एक अलग ही आनंद प्राप्त होता था| ईबे से अपनी इस लड़ाई के बारे में जैक मा कहते हैं,
इसके बाद इस कंपनी ने कई उतार-चढ़ाव देखा| एक समय तो ऐसा भी आया जब यह कंपनी दिवालिया बनने से केवल 18 महीने ही दूर थी| पर जैक मा के दृढ़संकल्प, दूरदर्शिता और बेमिशाल नेतृत्व की बदौलत अलीबाबा.कॉम (Alibaba) न सिर्फ उस संकट से उबर पाई, बल्कि बहुत ही जल्द सफलता के नए शिखर पर पहुँच गयी| 2013 में 10 लाख करोड़ रूपये के आईपीओ साथ यूएस मार्किट में सबसे बड़ी आईपीओ वाली कंपनी बनकर उभरी है| खुद जैक मा की संपत्ति 23 बिलियन डॉलर से भी अधिक आँकी गई है|
इस सफलता का कारण खुद जैक मा की काबिलियत और कभी न हार मानने की जिद थी, जिसे खुद उन्हीं के उन शब्दो से समझा जा सकता है जिसका इस्तेमाल उन्होंने अपनी टीम को प्रोत्साहित करने के लिए किया था,

हम सफल हो कर रहेंगे क्योंकि हम कभी भी हार नहीं मानते”