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Monday, 15 May 2017

सरदार वल्लभभाई पटेल जीवनी | Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

Iron man of India – Sardar Vallabhbhai Patel
अपने बहादुरी भरे कामो के कारण ही वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है. बारडोली सत्याग्रह में अपने अमूल्य योगदान के लिये, लोगो ने उन्हें सरदार की उपमा दी. सरदार पटेल एक प्रसिद्ध वकील थे लेकिन उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी भारत को आजादी दिलाने में बितायी. आजादी के बाद ही Sardar Vallabhbhai Patel भारत के उपप्रधानमंत्री बने और भारत का विकास और भारत को एक बंधन में जोड़ने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

सरदार वल्लभभाई पटेल – Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi

पूरा नाम    – वल्लभभाई जव्हेरभाई पटेल.
जन्म        – 31 अक्तुबर 1875.
जन्मस्थान – करमसद (जि. खेडा, गुजरात).
पिता         – जव्हेरभाई.
माता         – लाडबाई.
शिक्षा        – * 1900 मे वकीली की परिक्षा उत्तीर्ण.
भारत के लौह-पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नादिद ग्राम में हुआ था। उनके पिता झवेरभाई पटेल एक साधारण किसान और माता लाड बाई एक साधारण महिला थी। बचपन से ही पटेल कड़ी महेनत करते आए थे, बचपन से ही वे परिश्रमी थे। खेती में बचपन से ही पटेल अपने पिता की सहायता करते थे और पेटलाद की एन.के. हाई स्कूल में पढ़ते थे। उन्होंने 1896 में अपनी हाई-स्कूल परीक्षा पास की। स्कूल के दिनों से ही वे हुशार और विद्वान थे। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनके पिता ने उन्हें कॉलेज भेजने का निर्णय लिया था लेकिन वल्लभभाई ने कॉलेज जाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद लगभग तीन साल तक वल्लभभाई घर पर ही थे और कठिन महेनत करके जिले के नेता की परीक्षा पास करने की तैयारी कर रहे थे, और वह परीक्षा उन्होंने अच्छे गुणों से पास भी की थी। बाद में उन्होनें बड़ी मेहनत से बॅरिस्टरकी उपाधी संपादन कर ली। और साथ ही में देशसेवा में कार्य करने लगे।
वल्लभभाई पटेल एक भारतीय बैरिस्टर और राजनेता थे, और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के मुख्य नेताओ में से एक थे और साथ ही भारतीय गणराज्य के संस्थापक जनको में से एक थे। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिये कड़ा संघर्ष किया था और देश को एकता के सूत्र में बांधने में उन्होंने काफी योगदान दिया था, उन्होंने भारत को एकता के सूत्र में बांधने और आज़ाद बनाने का सपना देखा था। भारत और दूसरी जगहों पर वे सरदार के नाम से भी जाने जाते है।
गुजरात राज्य में वे पले बढे। पटेल ने सफलतापूर्वक वकिली का प्रशिक्षण ले रखा था। बाद में उन्होंने खेडा, बोरसद और बारडोली के किसानो को जमा किया और ब्रिटिश राज में पुलिसकर्मी द्वारा किये जा रहे जुल्मो का विरोध उन्होंने अहिंसात्मक ढंग से किया था। इस कार्य के साथ ही वे गुजरात के मुख्य स्वतंत्रता सेनानियों और राजनेताओ में से एक बन गए थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में भी अपने पद को विकसित किया था और 1934 और 1937 के चुनाव में उन्होंने एक पार्टी भी स्थापित की थी। और लगातार वे भारत छोडो आन्दोलन का प्रसार-प्रचार कर रहे थे।
भारतीय के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने पंजाब और दिल्ली से आये शरणार्थियो के लिये देश में शांति का माहोल विकसित किया था। इसके बाद पटेल ने एक भारत के कार्य को अपने हाथो में लिया था और वे देश को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाना चाहते थे। भारतीय स्वतंत्रता एक्ट 1947 के तहत पटेल देश के सभी राज्यों की स्थिति को आर्थिक और दर्शनिक रूप से मजबूत बनाना चाहते थे। वे देश की सैन्य शक्ति और जन शक्ति दोनों को विकसित कर देश को एकता के सूत्र में बांधना चाहते थे। पटेल के अनुसार आज़ाद भारत बिल्कुल नया और सुंदर था। अपने असंख्य योगदान की बदौलत ही देश की जनता ने उन्हें “आयरन मैन ऑफ़ इंडिया” की उपाधि दी थी। इसके साथ ही उन्हें “भारतीय सिविल सर्वेंट के संरक्षक’ भी कहा जाता है। कहा जाता है की उन्होंने ही आधुनिक भारत के सर्विस-सिस्टम की स्थापना की थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल एक ऐसा नाम एवं ऐसे व्यक्तित्व है जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम के बाद कई भारतीय युवा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। लेकिन अंग्रेजो की निति, महात्मा गांधी जी के निर्णय के कारण देशवासियों का यह सपना पूरा नही हो सका था। आज़ादी के समय में एक शूरवीर की तरह सरदार पटेल की ख्याति थी। सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से यह बात तो स्पष्ट हो गयी थी की इंसान महान बनकर पैदा नही होता। उनके प्रारंभिक जीवन को जानकार हम कह सकते है की सरदार पटेल हम जैसे ही एक साधारण इंसान ही थे जो रुपये, पैसे और सुरक्षित भविष्य की चाह रहते हो। लेकिन देशसेवा में लगने के बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए बेरिस्टर वल्लभभाई पटेल कब सरदार पटेल और लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल बन गए पता ही नही चला।
सरदार पटेल ने राष्ट्रिय एकता का एक ऐसा स्वरुप दिखाया था जिसके बारे में उस समय में कोई सोच भी नही सकता था। उनके इन्ही कार्यो के कारण उनके जन्मदिन को राष्ट्रिय स्मृति दिवस को राष्ट्रिय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को भारत सरकार ने 2014 से मनाना शुरू किया था, हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रिय एकता दिवस मनाया जाता है।

एक नजर में सरदार वल्लभभाई पटेल – Sardar Vallabhbhai Patel information

1) 1913 मे लंडन से बॅरिस्टरकी उपाधी संपादन करके भारत लौटे।
2) 1916 मे लखनऊ मे राष्ट्रीय कॉग्रेस के अधिवेशन मे वल्लभभाई ने गुजरात का प्रतिनिधित्व किया।
3) 1917 में वो अहमदाबाद नगरपालिका मे चुनकर आये।
4) 1917 मे खेडा सत्याग्रह मे उन्होंने हिस्सा लिया, साराबंदी आंदोलन का नेतृत्त्व उन्होंने किया, आखीरकार सरकार को झुकनाही पडा, सभी टेक्स वापीस लिये, सरदार इनके नेतृत्त्व मे हुये इस आंदोलन को विजय प्राप्त हुयी, 1918 के जून महीने मे किसनोंने विजयोस्तव मनाया उस समय गंधिजीको बुलाके वल्लभभाई को मानपत्र दिया गया।
5) 1919 को रौलेट अॅक्ट के विरोध के लिये वल्लभभाई अहमदाबाद मे बहोत बडा मोर्चा निकाला।
6) 1920 मे गांधीजी ने असहकार आंदोलन शुरु किया, इस असहकार आंदोलन मे वल्लभभाई अपना पूरा जीवन देश को अर्पण किया, महीने को हजारो रुपये मिलनेवाली वकीली उन्होंने छोड़ दी।
7) 1921 मे गुजरात प्रांतीय कॉग्रेस कमिटी के अध्यक्ष स्थान पर उनको चुना गया।
8) 1923 मे अग्रेंज सरकार ने तिरंगा पर बंदी का कानून किया, अलगअलग जगह से हजारो सत्याग्रही नागपूर को इकठठा हुये, साडेतीन महीने पुरे जोश के साथ वो लढाई शुरु हुयी, सरकारने इस लढाई को दबाने के लिये नामुमकीन कोशिश की।
9) 1928 को बार्डोली को वल्लभभाईने अपने नेतृत्त्व मे किसानो के लिये साराबंदी आंदोलन शुरु किया, पहले वल्लभभाई सरकार को सारा कम करने का निवेदन किया, लेकीन सरकार ने उनकी तरफ अनदेखा किया, योजना के साथ और सावधानी से आंदोलन शुरु किया, आंदोलन को दबानेका सरकारने नामुमकीन कोशिश की, लेकिन इसी समय बम्बई विधानसभा के कुछ सदस्योंने अपने स्थान का इस्तिफा दिया। इसका परिणाम सरकारने किसानो की मांगे सशर्त मान ली, बार्डोली किसानो ने वल्लभभाई को ‘सरदार’ ये बहुमान दिया।
10) 1931 मे कराची मे हुये राष्ट्रीय कॉग्रेस के अधिवेशन के अध्यक्ष स्थान पर वल्लभभाई थे।
11) 1942 मे ‘भारत छोडो’ आंदोलन मे हिस्सा लेने के वजह से उन्हें जेल जाना पडा।
12) 1946 को स्थापन हुये मध्यवर्ती अभिनय मंत्रिमंडल मे वो गृहमंत्री थे, वो घटना समिती के सदस्य भी थे।
13) 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुवा, स्वतंत्र के बाद पहले मंत्रिमंडल मे उपपंतप्रधान का स्थान उन्हे मिला, उनके पास गृह जानकारी और प्रसारण वैसेही घटक राज्य संबधीत सवाल ये खाती दी गयी।
वल्लभभाई ने स्वतंत्रता के बाद करिबन छे सो संस्थान का भारत मे विलिकरण किया, हैद्राबाद संस्थान भी उनके पूलिस अॅक्शन की वजह से 17 सितंबर 1948 को भारत मे विलीन हुवा।
पुरस्कार 
1) नागपूर विश्वविद्यालय, बनारस हिंदु विश्वविद्यालय और उस्मानिया विश्वविद्यालय आदी विश्वविद्यालय के तरफ से ‘डी लिट’ ये सन्मान की उपाधि।
2) 1991 मे मरणोत्तर ‘भारतरत्न’।
विशेषता –
1) सरदार
2) भारत का लोह्पुरुष
3) भारत के एकीकरण के थोर शिल्पकार
4) स्वतंत्र भारत के पहले उपपंतप्रधान और गृहमंत्री
मृत्यु  – 15 दिसंबर 1950 को उनका निधन हुवा।
Note:-  आपके पास About Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे।

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