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Thursday, 28 December 2017

IPL में पहला शतक बनानेवाले मनीष पाण्डेय | Cricketer Manish Pandey Biography


मनीष पांडे का जन्म स्थान, माता पिता
Manish Pandey birth Place, Parents

Manish Pandey का जन्म 10 सितंबर 1989 को उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कृष्णानंद पांडेय के घर हुआ। मनीष के पिता कृष्णानंद पांडेय भारतीय सेना में हैं। कृष्णानंद मूल रूप से उत्‍तराखंड के बागेश्‍वर जिले के खीणी गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार लंबे समय से नैनीताल जि‍ले के हल्‍द्वानी में ही रह रहा है। Manish Pandey ने क्रिकेट खेलना तब शुरू किया था, जबकि वह तीसरी क्लास में पढ़ते थे। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई नासिक के देवलाली ​स्थि​त केंद्रीय विद्यालय में की थी। इसके बाद जम्मू यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

जूनियर क्रिकेट में मनीष का प्रदर्शन
Performance In Junior Cricket

Manish Pandey ने जूनियर स्तर पर अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत कर्नाटक के राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में मैसूर की टीम के लिए खेलकर की थी। इस टूर्नामेंट में प्रभावशाली प्रदर्शन की बदौलत उनका चयन 2008 में मलेशिया में आयोजित हो रहे Under-19 World Cup में हिस्सा लेने जा रही भारतीय टीम कर लिया गया। भारतीय टीम ने इस ट्राफी को जीता था। अंडर 19 वर्लड कप में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत मनीष को आईपीएल नीलामी में रायल चैलेंजर्स बंगलुरु की टीम ने खरीद लिया।

आईपीएल का पहला शतक बनाने वाले खिलाड़ी बने

Manish Pandey पहली बार तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2009 के आईपीएल में रायल चैलेंजर्स बंगलुरु की ओर से खेलते हुए नाबाद शतक ठोंक दिया। मनीष के 73 गेंदों में 114 रन की बदौलत ही रायल चैलेंजर्स बंगलुरु की टीम टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब हो सकी। आईपीएल के इतिहास में किसी भी बल्लेबाज की ओर से बनाया गया यह पहला शतक था।
इसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में भी Manish Pandey का बल्ला खूब चला और 35 गेंदों में 48 रन बनाकर उन्होंने अपनी टीम रायल चैंलेंजर्स बंगलुरु को फाइनल में पहुंचने में मदद की। इस शतक ने Manish Pandey को रातो रात सुर्खियों में ला दिया और यह भी सुनिश्चित किया कि वे अपने पिता की तरह सेना में न जाकर क्रिकेट की दुनिया में ही अपना भविष्य आजमाएंगे।

कोलकाता को दूसरी बार आईपीएल जिताने में रही अहम भूमिका

वर्ष 2014 में उनकेा कोलकाता नाइटराइडर्स ने खरीद लिया। कोलकाता नाइटराइडर्स ही 2014 के आईपीएल टूर्नामेंट की विजेता भी बनी। मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने विकेटकीपर रिद्धिमान साहा के 55 गेंदों पर 115 रन और मनन वोरा के 52 गेंदों पर 67 रन की मदद से 199 रन का मजबूत स्कोर खड़ा किया था, लेकिन मनीष पांडे के 50 गेंदों पर 94 रन उन पर भारी पड़े और 3 विकेट की जीत के साथ ट्राफी कोलकाता की झोली में आ गिरी।
ये मैच मनीष ने पूरी तरह से अपने दम पर जिताया था, क्योंकि कोलकाता की तरह से दूसरा कोई भी खिलाड़ी अर्धशतक तक नहीं बना पाया था। अपने इस मैचविजेता प्रदर्शन की बदौलत Manish Pandey मैन आफ द मैच भी चुने गए।  Kolkata Knight Riders ने यह टूर्नामेंट दूसरी बार जीतकर चेन्नई सुपर किंग्स के बाद दूसरी ऐसी टीम बनने का रिकॉर्ड कायम किया था।

रण​जी क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन से खींचा ध्यान
Draw Attention By Excellence In Ranji

सत्र वर्ष 2008—09 के रणजी टूर्नामेंट में Manish Pandey  ने कर्नाटक की ओर से खेलते हुए 63 के औसत से कुल 883 रन बनाए थे और वे टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर रहे। इस दौरान उन्होंने 4 शतक और 5 अर्धशतक अपने खाते में जोड़े और कर्नाटक को फाइनल में पहुंचने में मदद की। हालांकि टूर्नामेंट के फाइनल में उनकी टीम मुबई के हाथों सिर्फ 6 रन से ट्राफी गंवा बैठी। लेकिन Manish Pandey  ने शानदार और जीवट भरे 144 रन बनाकर अंतिम दम तक मैच को जीतने के लिए संघर्ष किया।
मैच की चौथी पारी में ​मिले 338 रन के लक्ष्य को पाने में दूसरे छोर से पर्याप्त मदद न मिल पाने के कारण मनीष अपनी टीम को ट्राफी जिताने में भले ही कामयाब न हो सके, लेकिन भारतीय क्रिकेट के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी आरे आकर्षित करने में उन्हें सफलता मिल गई।
वर्ष 2010 में भारत दौरे पर आई दक्षिण अफ्रीका की टीम के खिलाफ अभ्यास मैच में बोर्ड अध्यक्ष एकादश की टीम में शामिल कर लिया गया। मैच में अच्छी शुरुआत के बावजूद Manish Pandey 43 रन पर अपना विकेट गंवा बैठे।
2013-14 के रणजी सत्र में भी Manish Pandey ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया और कर्नाटक की टीम की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में दूसरे नंबर पर रहे। रणजी क्रिकेट में इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें 2014 की आईपीएल नीलामी में कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम ने खरीद लिया।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मनीष पांडे के प्रमुख प्रदर्शन
Performance In International Cricket

Manish Pandey ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत 14 जुलाई 2015 को जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे मैच खेलकर की। पांडे ने इस मैच में शानदार 71 रन बनाए और केदार जाधव के साथ मिलकर 144 रन की साझेदारी की। मनीष जिस समय क्रीज पर आए थे, उस समय भारत की टीम 82 रन पर चार विकेट खोकर संघर्ष कर रही थी।
2016 में उन्हें आस्ट्रेलिया जा रही भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया। इस दौरे में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए फाइनल में मनीष ने 104 रन की मै​​च विजेता पारी खेली। इस दौरे का यह एकमात्र मैच था, जिसे भारतीय टीम जीतने में कामयाब रही।

दक्षिण अफ्रीका में त्रिकोणीय सीरीज जिताने में प्रमुख भूमिका

अगस्त 2017 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुई त्रिकोणीय सीरीज में जिसमें इंडिया ए, दक्षिण अफ्रीका ए और अफगानिस्तान एक की टीमों ने हिस्सा लिया Manish Pandey भी भारतीय टीम का हिस्सा थे। भारतीय टीम ने इस सीरीज के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 7 विकेट से हराकर ट्राफी अपने नाम की, जिसमें Manish Pandey का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
साउथ अफ्रीका ए ने इस मैच में 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 267 रन का मजबूत स्कोर बनाया था, जिसमें Farhaan Behardien के 101 और Dwaine Pretorius के 58 रन शामिल थे। जवाब में उतरी भारतीय टीम ने श्रेयस अययर के नाबाद 140, विजय शंकर के 72 और Manish Pandey के 32 नाट आउट रनों की बदौलत सिर्फ 3 विकेट खोकर मैच जीत लिया था।
इस सीरीज में इंडिया ए की तरफ से Manish Pandey ने कुल 5 मैच खेले और 4 बार नाटआउट रहकर कुल 307 रन बनाए, जिसमें 3 अर्धशतक शामिल थे। टूर्नामेंट क सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे।

Sunday, 12 November 2017

जसप्रीत बुमराह का सफर, बचपन से पेशेवर क्रिकेटर बनने तक...

दुनियाँ में ऐसे लोग बड़ा जल्दी सफल होते है, जो छोटी-सी उम्र में ही अपने जीवन जीने का रास्ता खुद चुनते है। पर यह सब करना आसान नहीं होता है, लेकिन ऐसे काम जुनूनी और शौकियाँ इंसान ही कर सकते है। कुछ ऐसे ही जुनूनी इंसान है,भारतीय क्रिकेट टीम के नए bowling Hero, Jasprit Bumrah। जसप्रीत बुमराह का जन्म अहमदाबाद, गुजरात के सिख परिवार में हुआ था। उनके स्वर्गीय पिता, जसबीर सिंह बूमराह एक बिजनेस-मेन थे, जो एक कैमिकल फैक्ट्री चलाया करते थे और माँ, दलजीत कौर निर्माण हाई स्कूल, अहमदाबाद की प्रिन्सिपल है।परिवार में जसप्रीत के अलावा एक बड़ी बहन, जुहीका कौर, भी है, जिनका 2016 के शुरुआत में विवाह हो चुका है। जब जसप्रीत मात्र 7 साल के तब उनके पिता का हेपिटाइटिस बी के कारण देहांत हो गया। जिसके बाद पूरे परिवार का भार उनकी माँ पर आ गया। जिसे वे अब तक बखूबी अच्छी तरह से निभाते आई है।
शिक्षा : वैसे उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उस स्कूल से हुई, जहां उनकी माँ प्रिन्सिपल थी। फिर भी वे पढ़ाई के बजाय क्रिकेट को ज्यादा चाहते थे।
बैटिंग साइड से नहीं, बॉलिंग साइड से।

बुमराह ने आईपीएल के अपने पहले मैच के अपने पहले ओवर में ही विराट कोहली को आउट किया था।


भारतीय क्रिकेट टीम ने पिछले कुछ समय में जिस तरह का टी20 क्रिकेट में चमत्कारी प्रदर्शन किया है उसका काफी श्रेय नए नवेले तेज़ गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को भी जाता है जो अक्सर अपने अजीबोगरीब एक्शन और तेज यॉर्करों से बल्लेबाजों को चौंका देते हैं। एम एस धोनी के भरोसे के गेंदबाज बन चुके जसप्रीत बुमराह के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आपको स्थापित करना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा और उन्होंने बचपन से भारतीय टीम के लिए  पहला मैच खेलने तक जबरदस्त  मेहनत की। तो आइए नजर डालते हैं बुमराह के प्री- क्रिकेट जीवन पर जिसने उन्हें टीम इंडिया में शामिल होने का मौका दिया। बुमराह को भी बचपन में अन्य बच्चों की तरह अपने घर की बाउंड्री के भीतर क्रिकेट खेलने की आदत थी। 

एक ऐसी ही गर्मियों  की दुपहरी में जब वह बाउंड्री के भीतर गेंदबाजी कर रहे थे तो उनकी मां दलजीत बुमराह ने जसप्रीत के सामने शर्त रखी कि उसे बाउंड्री के अंदर तब ही खेलने की इजाजत मिलेगी अगर वह ज्यादा आवाज ना करे। इस बात से निजात पाने के लिए 12 साल के जसप्रीत ने एक बेहतरीन हल निकाला और  वह दीवार पर गेंद मारने की जगह फ्लोर स्कर्टिंग पर गेंद मारने लगे जिससे की आवाज कम होती और इससे उनकी मां भी खुश हुई क्योंकि अब उनको भी तेज आवाज सुनने को नहीं मिल रही थी। इस बात को लेकर बुमराह को भी खुशी हुई कि वह अपने प्रिय खेल को जारी रख पाया। दोनों  मां- बेटे को शायद ही तब पता था कि वह प्रेक्टिश बाद के सालों में बुमराह के एक खतरनाक हथियार यॉर्कर में तब्दील में हो जाएगी जिस पर पूरी दुनिया को उन पर नाज़ होगा और भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी डेथ ओवरों में उनकी यॉर्करों को आजमाने के लिए लालायित होंगे।
जसप्रीत के लिए जिंदगी कभी भी आसान नहीं रही और उनके परिवार को इस दौरान कई उतार- चढ़ाव देखने पड़े। उनके पिता जसबीर सिंह की हेपेटाइटस बी के कारण मृत्यु हो जाने के बाद उनकी मां ने जसप्रीत और उनकी बहन को अकेले पाला। जब  उनके पिता की मृत्यु हुई तब उनकी उम्र महज 7 साल थी।  जसबीर सिंह का केमिकल बिजनेस था जो प्रेशर वाले बर्तनों में इस्तेमाल होता है। उनकी मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी जसप्रीत की मां दलजीत के कंधों  पर आ गई। वह टीचर थीं वह निर्मन हाई स्कूल के प्री- प्राइमरी सेक्शन की प्रिंसिपल थी जहां जसप्रीत ने भी पढ़ाई की।
दो साल तक फ्लोर स्कर्टिंग और मजे के लिए स्कूल की ओर से और पड़ोसियों के साथ खेलने के बाद जसप्रीत ने क्रिकेट में करियर बनाने के लिए बड़े सपने देखना शुरू कर दिए। दलजीत आज भी उस दिन को याद करते हुए कहती हैं जब जसप्रीत 14 साल का था और वह उनके पास एक रिक्वेस्ट को लेकर आया। उसने कहा कि वह क्रिकेटर बनना चाहता है। वह कहती हैं, “मैं यह सुनकर कुछ देर के लिए चौंकी और कहा कि बहुत सारे बच्चे हैं जो क्रिकेट खेलते हैं और ये कतई आसान नहीं होने वाला। लेकिन उसने कहा, मुझ पर विश्वास रखो। सिंगल पैरेंट होते हुए  मैं थोड़ा परेशन थी, लेकिन मैं उसे ना कैसे कह सकती थी। स्कूल में मैं पैरेंट्स से कहती रहती थी कि  हर बच्चे का एक सपना होता है हमें उसे मौके देने चाहिए।”
बाद के दिनों में दलजीत अपने बेटे के इस खेल के प्रति लगन और अपने आपको निखारने को लेकर  भूख को देखकर चौंक गईं। जसप्रीत प्रेक्टिश सेशन में शामिल होने के लिए सुबह- सुबह निकल जाते थे, और फिर स्कूल को अटेंड करते थे और फिर से उसके बाद शाम को ट्रेनिंग के लिए जाते थे। जिन क्रिकेटरों ने उनकी गेंदबाजी देखी सभी ने उसको सराहा। यही कारण  था कि उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा आयोजित किए जाने वाले क्रिकेट कैंप में चुना गया और जल्दी ही उन्हें एमआरएफ पेस फाऊंडेशन और जोनल कैंप ऑफ नेशनल क्रिकेट अकादमी के लिए  चुन लिया गया। सौभाग्य से किसी ने भी उनके एक्शन को बदलने के लिए नहीं कहा, उनके बचपन से ही हर कोच यही कहता था कि उनका एक्शन ‘अलग है।’ और इस तरह चीजें बुमराह के लिए सौगात लेकर आने लगीं। उन्हें गुजरात अंडर-19 टीम की ओर से सौराष्ट्र के खिलाफ मैच के लिए चुना गया।
इस मैच में  पिच बल्लेबाजी के लिए ज्यादा अनुकूल थी, लेकिन अपनी धारदार गेंदबाजी से उन्होंने बल्लेबाजों को हक्का- बक्का छोड़ दिया और सात विकेट निकाले। गुजरात के रणजी कोच हितेश मजुमदार बताते हैं कि बल्लेबाज उन्हें उस दौरान पढ़ नहीं पा रहे थे। “वह कभी बाउंसर डालते थे तो कभी यॉर्कर। उनकी उम्र तब भी बहुत छोटी थी, लेकिन उनकी गेंदबाजी में  विविधतताओं को देखते हुए हमने उसे सैय्यद मुश्ताक अली टी20 के लिए चुन लिया जो पुणे में खेली जानी थी।” “पुणे में बुमराह की जिंदगी बदलने वाली थी।  भारतीय टीम के पूर्व कोच जॉन राइट मुंबई इंडियंस के लिए अच्छे खिलाड़ियों की तलाश में वहां आए हुए थे। बुमराह ने इस दौरान ज्यादा विकेट तो नहीं लिए लेकिन अपनी बेहतरीन इकॉनामी रेट 6.58 के साथ उसने जॉन राइट को प्रभावित किया। इसके कुछ दिनों बाद ही मुंबई इंडियंस ने उनके साथ अनुबंध कर लिया। यही उनके करियर के लिए एक बड़ा  टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ जहां वह लसिथ मलिंगा और मिचेल जॉनसन जैसे गेंदबाजों के साथ कंधे  मिलाकर गेंदबाजी  करते नजर आए। इस टीम में विश्व क्रिकेट से सभी बड़े खिलाड़ी सचिन, पोटिंग और कुंबले शामिल थे और  यहीं से बुमराह के सपने की शुरुआत हुई।
रॉयल चैलेंजर्स से खेले जाने वाले मैच के पहले ही बुमराह को पता चला कि उन्हें टीम में चुन लिया गया है, उन्होंने मैच के पहले कोई खास प्रेक्टिश नहीं की थी, लेकिन मानसिक रूप से वह तैयार थे। हालांकि उनके लिए शुरुआत वैसी नहीं रही जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी और विराट कोहली ने उनके ओवरों की शुरुआती तीन गेंदों में तीन जबरदस्त चौके जड़ दिए। उस दौरान मिड ऑफ में सचिन तेंदुलकर खड़े थे जिन्होंने कुछ देर पहले उन्हें पर्दापण कैप दी थी।  वह उनके पास गए और कहा केवल एक अच्छी बॉल और तुम्हारा मैच बदल जाएगा, चिंता मत करो। ऐसा ही कुछ हुआ और उसी ओवर में बुमराह ने कोहली को एलबीडब्ल्यू आउट कर दिया और कोहली को  आउट करते ही माहौल खुशी में तब्दील हो गया।
यहीं से इस कम उम्र के लड़के ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा और यहां तक अमिताभ बच्चन ने भी बुमराह के लिए ट्वीट किया। लेकिन अभी रियलिटी चेक होना बाकी था और आगे के मैचों में बुमराह की बल्लेबाजों ने आईपीएल में जमकर धुनाई की।
अब उन्हें सूझ नहीं रहा ता कि वह क्या करें। इसी बात का तलाशते हुए वह मलिंगा के पार पहुंचे और पूछा अब आगे क्या करें?   मैं अब क्या करूं? तब मलिंगा ने उन्हें बताया कि उन्हें अपनी गेंदबाजी में और भी विविधतताओं की जरूरत है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि  वह उस चीज को परफेक्ट रूप से इस्तेमाल करे जो उनके पास है। उनके पास धीमी गेंद, बाऊंसर और यॉर्कर है। लेकिन वह नहीं जानते कि इनका ढंग से इस्तेमाल कैसे किया जाता है। इसके कुछ दिनों बाद बुमराह ने अपनी गेंदबाजी में फिर से पैनापन अख्तियार किया और वह मुंबई इंडियंस के मुख्य गेंदबाज के रूप में उभरे। बुमराह ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के दौरे के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की है और वह बहुत थोड़े से समय में चहेते बन गए हैं।


Sunday, 5 November 2017

कौन है हार्दिक पटेल ? | Who is Hardik Patel ?

हार्दिक पटेल जीवन परिचय हिंदी में | HARDIK PATEL BIOGRAPHY IN HINDI | जीवनी, बायोग्राफी, हिस्ट्री, JIVANI, JIVAN PARICHAY, HISTORY, JIVNI, DOCUMENTARY


जीवन परिचय (जीवनी) / Biography / Documentary 

हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर जारी आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। यह ओबीसी दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण चाहते हैं।पटेल बी-काम पारित है।

व्यक्तिगत जीवन

हार्दिक पटेल का जन्म 20 जुलाई 1993 में चन्दन नगरी, गुजरात में भरत और उषा पटेल के घर हुआ था। वर्ष 2004 में अपने बच्चे के अच्छे शिक्षा हेतु इनका परिवार वीरमगम शहर 10 किलोमीटर दूर चला गया। हार्दिक ने 6वीं से 8वीं की कक्षा दिव्य ज्योत विद्यालय, वीरमगम में पूरी की। हार्दिक अपनी 7वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के पश्चात अपने पिता के छोटे से व्यापार को चलाने में सहायता करने लगे। वे भूमिगत पानी के कुओं में नल लगाने का कार्य करते थे। वर्ष 2010 में हार्दिक सहजानन्द महाविद्यालय, अहमदाबाद में बीकॉम की पढ़ाई की। उन्होंने महाविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव के पद के चुनाव में भाग लिया और निर्विरोध निर्वाचित हो गए।

राजनीतिक सक्रियता

सरदार पटेल समूह

वर्ष 2011 में हार्दिक सरदार पटेल समूह से जुड़े।

पाटीदार अनामत आंदोलन समिति

जुलाई 2015 में हार्दिक की बहन, मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त करने में विफल रही। इस कारण उन्होंने एक पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का निर्माण किया। जिसका लक्ष्य अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होना था।

पाटीदार आरक्षण आंदोलन

2004 में उनके माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए 11 किमी दूर एक शहर विरामगाम चले गए। हरिराम वी.राम शाह विनय मंदिर में जाने से पहले वर्माग्राम में दिव्या ज्योति स्कूल में कक्षा छठी से कक्षा आठवीं कक्षा में पढ़ाई गईं, जहां उन्होंने कक्षा तेरहवीं कक्षा तक अध्ययन किया। वह एक औसत छात्र और क्रिकेट उत्साही थे।
कक्षा XII को पूरा करने के बाद, हार्डिक ने अपने पिता, भारत को भूमिगत जल के कुओं में पनडुब्बी पंपों के फिक्सिंग के एक छोटे से व्यवसाय चलाने के लिए मदद करना शुरू कर दिया। भरत, भाजपा के एक पूर्व कार्यकर्ता, गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री से मिले और खुद पाटीदार जाति के सदस्य आनंदिबेन पटेल, जब उन्होंने मंडल विधानसभा सीट आयोजित की, जिसमें विरामगम गिर गया।
2010 में पटेल साहनांद कॉलेज, अहमदाबाद में शामिल हो गए और एक बैचलर ऑफ कॉमर्स (बी। कॉम।) डिग्री अर्जित की। उन्होंने अपनी बी.ओ. कॉम पूरी की। कृपा अंक के साथ डिग्री वह महाविद्यालय के छात्रों के संघ के महासचिव पद के लिए भाग गए और निर्विरोध निर्वाचित हुए। अभी भी कॉलेज में रहते हुए, पटेल ने वीरमगाम बस स्टैंड पर एक सोशल सर्विस के काम के रूप में पीने का पानी का खंभा खोला। 2013 में उन्होंने कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, दो प्रयासों के बाद, 50% से कम अंकों के साथ।
2015 में पटेल की बहन मोनिका ने एक बाहरी छात्र के रूप में अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता

सरदार पटेल समूह

31 अक्टूबर 2012 को हार्डिक पटेल सरदार पटेल समूह (एसपीजी) में शामिल हुए, जो एक पाटीदार युवा संगठन था, और एक महीने से भी कम समय के भीतर, विरामगम इकाई के अध्यक्ष बने। इसकी 50,000 मजबूत सदस्यता के साथ बातचीत से पता चला कि पाटीदार युवाओं को धीमी अर्थव्यवस्था की वजह से निजी क्षेत्र की नौकरियां हासिल करने के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जबकि आरक्षण कोटा और रिश्वत की अपेक्षा के कारण वे सरकारी नौकरियों से बाहर थे। उन्होंने पाया कि कुछ पादरदार किसानों ने अपनी कृषि भूमि को शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के लिए अधिग्रहण किया, जबकि ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं से प्रतिस्पर्धा के कारण पैतिधर व्यापारियों को उनके पारंपरिक व्यवसायों की विफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने पाया कि पाइटरों के लिए धन और रोजगार का एक पारंपरिक स्रोत हीरा उद्योग, सीमित है। 20,000 से अधिक छोटी कंपनियों ने बंद कर दिया था और हजारों बेरोजगार पटेल हीरा कटर और पोलिश अपने गांवों में लौट आए थे।
2015 में, अपने नेता लालजी पटेल के साथ संघर्ष के बाद हार्डिक पटेल को एसपीजी के साथ अपने पद से हटा दिया गया था।

पाटीदार अनातम आंदोलन समिति (पीएएएस)

जुलाई 2015 में पटेल की बहन मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति के लिए अर्हता प्राप्त करने में विफल रही। पटेल परेशान थे जब मोनिका के एक दोस्त ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के माध्यम से उसी छात्रवृत्ति के लिए योग्यता हासिल की थी, भले ही उसने कम अंक हासिल किए थे। सकारात्मक नीतियों को स्वीकार करते हुए अन्य जातियों को लाभ हो रहा था, लेकिन पाटीदार नहीं, पटेल ने पाटीदार अनमेट आंदोलन समिति (पीएएएस) का गठन किया जो कि ओबीसी कोटा में शामिल पाइटरों को प्राप्त करने के लिए एक गैर-राजनीतिक संगठन के रूप में खुद का दावा करता है। पटेल का दावा है कि वह महात्मा गांधी, सरदार पटेल और चंद्रशेखर आजाद जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन कार्यकर्ताओं से प्रेरित थे।

पैतीदार आरक्षण आंदोलन

अपने संदेश को प्रसारित करने और समर्थकों को इकट्ठा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए, पटेल ने 6 जुलाई 2015 को विसनगर, गुजरात में अपनी पहली रैली को संबोधित किया। तब से, उन्होंने अपने वक्तृत्व कौशल के माध्यम से लाखों लोगों को आकर्षित करते हुए गुजरात भर में कई रैलियों का आयोजन किया है।
25 अगस्त 2015 को, गुजरात में एक बड़ी संख्या में पाइटर जीएमडीसी ग्राउंड, एक रैली के लिए अहमदाबाद में इकट्ठे हुए। पटेल ने दिन को पतिदार क्रांति दिवस (पतिदार क्रांति दिवस) के रूप में घोषित किया। उस शाम, अहमदाबाद सिटी पुलिस ने उन्हें संक्षिप्त रूप से गिरफ्तार कर लिया था, जब वह दिन में पहले हुई रैली के बाद उपवास में चली गई थी, उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के तहत आरोप लगाया गया था कि 'फैलाने का आदेश दिया जाने के बाद जानबूझकर पांच या अधिक व्यक्तियों की विधानसभा में शामिल होने या जारी रखने के लिए' प्रतिक्रिया में हिंसक विरोध प्रदर्शन, गुजरात राज्य सरकार को कर्फ्यू लागू करने और भारतीय सेना में कॉल करने के लिए मजबूर कर रहा था।
31 अगस्त 2015 को, उन्होंने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के गुज्जर और कुर्मी समुदायों की सभा को संबोधित किया। 23 सितंबर 2015 को, पटेल ने एक संक्षिप्त लापता होने के बाद सामने आया, दावा किया कि हथियारों वाले लोगों द्वारा "अपहरण" किया गया था।
9 सितंबर 2015 को पटेल ने पटेल नवनिर्माण सेना (पीएनएस) की शुरुआत की और भारत भर में एक प्रमुख हलचल की घोषणा की। पीएनएस को पटेल (पाइटर) और संबद्ध समुदायों जैसे कि कुर्मी और गुज्जर को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग के लिए लाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
18 अक्टूबर 2015 को, पटेल को राजकोट में दर्ज एक मामले में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तिरंगा को अपमानित करने के लिए बुलाया गया था। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ओडीआई) क्रिकेट मैच को बाधित करने की कोशिश करने के लिए उन्हें संक्षिप्त रूप से हिरासत में लिया गया था। 1 9 अक्टूबर 2015 को, पटेल को सूरत में 'हत्या पुलिस' के बारे में कथित टिप्पणी के आरोप में राजद्रोह के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे कैद किया गया था। 15 जुलाई 2016 को पटेल को इस शर्त पर जमानत दी गई कि वह छह महीने तक और छह महीने से मेहसाणा से नौ महीने तक बाहर रहेंगे। वह इस अवधि के लिए उदयपुर गए थे।

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समुदाय के निधि का दुरुपयोग

हार्डिक की करीबी सहायता चिराग पटेल और केतन पटेल ने कथित तौर पर शानदार जीवन जीने के लिए सामुदायिक कोष का इस्तेमाल करने के लिए हार्डिक का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि पाटीदार कोआता के शुरू होने के एक साल बाद ही वह करोड़पति बन गए हैं। उन्होंने उन्हें एक पत्र लिखा और बाद में इसे सार्वजनिक रूप से बताते हुए कहा कि
एक नेता, स्वार्थ और महत्वाकांक्षी बनने की आपकी महत्वाकांक्षा ने समुदाय और हमारे आंदोलन को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हमारे समुदाय के लोगों को बहुत अच्छी तरह से पता है कि हमारे आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई लोगों की मदद करने के बजाय, आप और आपके करीबी दोस्त एक भव्य जीवन जी रहे हैं। आप और तुम्हारे चाचा विपुलभाई ने शहीदों की सहायता के लिए एकत्रित दान से महंगी कारें खरीदीं और आंदोलन को निधि देने के लिए। आम तौर पर, लोगों को जेल जाने के बाद दोनों को समाप्त होता है। लेकिन, यह आपके मामले में बिल्कुल विपरीत है क्योंकि आप जेल जाने के बाद करोड़पति बन गए हैं |



Tuesday, 31 October 2017

राहुल द्रविड़ का जीवन परिचय Rahul Dravid Biography In Hindi

राहुल द्रविड़ का जीवन परिचय (Rahul Dravid Biography In Hindi Language)

नाम : राहुल द्रविड़
पिता का नाम : शरद द्रविड़
मां का नाम : पुष्पा
जन्म : 11 जनवरी, 1973
जन्मस्थान : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट टीम का अति महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं | उनकी तकनीकी दक्षता फील्ड पर देर तक जमे रहने की कुशलता, रन बनाने की योग्यता काबिले तारीफ है | वह अनेक बार भारतीय टीम को मुश्किल की स्थिति में बचा लेते हैं | उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है । वह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे हैं । उनका पूरा नाम राहुल शरद द्रविड़ है |
राहुल द्रविड़ के पिता का नाम शरद द्रविड़ तथा मां का नाम पुष्पा है । उन्होंने 12 वर्ष की आयु में क्रिकेट खेलना आरम्भ कर दिया था । जूनियर टूर्नामेंटों में अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें अंडर 15, अंडर 17 तथा अंडर 19 में आसानी से जगह मिल गई । राहुल द्रविड़ ने अपना ग्रेजुएशन सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कामर्स से पूरा किया ।
राहुल ने रणजी ट्राफी मैच में क्रिकेट की शुरुआत 1990-91 में पुणे में महाराष्ट्र के विरुद्ध की । वह रणजी मैच में प्रथम शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के कर्नाटक के खिलाड़ी थे । 1995-1996 में राहुल द्रविड़ को अन्तरराष्ट्रीय टीम में स्थान मिला ।
अन्तरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैचों में राहुल ने सर्वप्रथम 1996 में सिंगापुर में श्रीलंका के विरुद्ध मैच खेला । 1999 के ‘विश्व कप’ में इंग्लैंड में द्रविड़ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे । 1999 के विश्व कप में द्रविड़ ने सौरव गांगुली के साथ किसी भी विकेट के लिए सर्वाधिक रनों की पार्टनरशिप पारी खेली । उन्होंने 318 रनों की पार्टनरशिप खेल कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया ।
राहुल द्रविड़ ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके खेल में स्थिरता है, एकाग्रता है और कुशलता है । जब टीम को खिलाड़ी के क्रीज पर टिकने की आवश्यकता हो तो द्रविड़ जम जाते हैं । उन्होंने टीम को बहुत बार कठिन परिस्थितियों से उबारा है ।
राहुल की योग्यता केवल बल्लेबाजी तक सीमित नहीं है । वह दाहिने हाथ के ऑफ-ब्रेक गेंदबाज भी हैं । वह बहुत अच्छे विकेट-कीपर भी रहे हैं । वह विपरीत परिस्थितियों में भी शान्त आचरण रखते हैं । इसी कारण उन्हें ‘मिस्टर रिलायबल’ भी कहा जाता है । उनका टैस्ट मैच औसत 50 का है । तकनीकी तौर पर राहुल द्रविड़ की बल्लेबाजी अत्यन्त शानदार होती है, जो समय के साथ-साथ बेहतर होती रही है ।
राहुल द्रविड़ को भारत सरकार द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है । 2000 में उन्हें विज्‌डन द्वारा ‘क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया । वह यह सम्मान पाने वाले 12वें भारतीय हैं । यह सम्मान उन्हें 1999 में इंग्लैंड में विश्व कप में किए श्रेष्ठ प्रदर्शन के कारण दिया गया ।
राहुल भारतीय टीम के लिए अति विशिष्ट खिलाड़ी हैं जिन्हें खेलते देखना दर्शक पसंद करते हैं । उनका विवाह नागपुर की डॉक्टर विजेता पेंढारकर से हुआ है |

उपलब्धियां :

रहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारतीय टीम ने अनेक बार विजय प्राप्त की है |
रहुल द्रविड़ भारतीय टीम का अति महत्त्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं ।
द्रविड़ ने अपना पहला शतक रणजी मैच में बनाया | यह कारनामा करने वाले वह सबसे कम उम्र के कर्नाटक के खिलाड़ी थे |
1999 के विश्व कप में उन्होने सौरव गांगुली के साथ पार्टनरशिप में 318 रन बनाए जो किसी भी विकेट की साझेदारी के लिए एक रिकॉर्ड है |
वह बहुत अच्छे विकेट कीपर भी रहे हैं ।
उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है ।
2000 में उन्हें विज्‌डन द्वारा ‘क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया ।
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Tuesday, 10 October 2017

मनमोहन सिंह की जीवनी | Manmohan Singh Biography In Hindi

Manmohan Singh – मनमोहन सिंह भारत के 14वे प्रधानमंत्री बने। मनमोहन सिंह महान विचारो वाले व्यक्तित्व के धनि थे। अच्छा दृष्टिकोण रखने वाले परिश्रमी व् शैक्षणिक दृष्टिकोण रखने वाले नम्र आचरण वाले व्यक्ति है।
प्रधानमंत्री मनमोहन का जन्म 26 सितम्बर 1932 में पंजाब के एक गाव में हुआ। उनकी शिक्षा 1948 में पंजाब यूनिवर्सिटी से हुई। अच्छे नंबरो से पास होने के कारण उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी UK में प्रवेश मिल गया। जहा उन्होंने अर्थशात्र की डिग्री ली (1957)|

मनमोहन सिंह की जीवनी –  Manmohan Singh Biography in Hindi

मनमोहन जी ने 1962 में न्यूफील्ड कॉलेज,ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से डी.फिल किया। 1964 में उन्होंने “इंडिया एक्सपोर्ट ट्रेंड एंड प्रॉस्पेक्टस फॉर सेल्फ ससटेंड ग्रोथ” नाम से पुस्तक लिखी जिसे क्लेरेंडॉन प्रेस ने प्रकाशित की।
मनमोहनजी पंजाब यूनिवर्सिटी में वर्षो तक शैक्षणिक प्रत्यायक के रूप में चमकते रहे। एक संक्षिप्त कार्यकाल में UNCTAD सचिवालय के रूप में अच्छी तरह से इन वर्षो में दिल्ही स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रतिष्ठित हुए।
1987 से 1990 के बिच में उन्हें जिनेवा में सेक्रेटरी जेनरल ऑफ़ साउथ कमिशन के पद के लिए नियुक्त किया गया।
1971 में भारत सरकार द्बारा मनमोहन सिंह जी को आर्थिक सलाहकर वाणिज्य मंत्रालय के लिए नियुक्त किये गए। इसको देखते हुए 1972 में उन्हें मुख्य सलाहकार, वित्त मंत्रालय में नियुक्त किया। इनकी नियुक्ति बहुत से पदों के लिए हुई जैसे की वित्तमंत्री, उपसभापति, योजन मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में, प्रधानमंत्री के सलहाकार के रूप में।
1991 से 1996 के बिच पाच वित्त मंत्रीयो ने मिलकर आर्थिक मंदी हटाकर भारत को पुन्ह स्थापीत किया। इन्होने भारत के लिये आर्थिक योजना बनाई जो पुरे विश्व में मान्य है। उन्होंने अपने कार्यालय के दौरान अपने सहयोग से विकट परिस्थितियों से भारत को निकला था।
मनमोहनजी को पब्लिक करिअर में कई अवार्ड मिले जिसमे 1981 में पद्म विभूषण, 1985 में जवाहरलाल नेहरु शताब्दी अवार्ड शामिल है। वित्त मंत्री के पद में 3 साल रहने के कारण उन्हें एशिया मनी अवार्ड भी मिला।
वर्ष के बेस्ट वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड भी मिला। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आदम स्मिथ पुरस्कार से सम्मानित हुए, जॉन कॉलेज कैंब्रिज में राइट पुरस्कार मिला। अपने अतुल्य प्रदर्शन के लिए मनमोहनजी को कई संस्थानों द्वारा सम्मानित किया गया जिसमे से जापान के निहोन कीजै शिम्बुन भी शामिल है। मनमोहनजी ने कई डिग्री हासिल की है जिसमे से ऑक्सफ़ोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मिली डिग्रीया शामिल है।
मनमोहनजी ने कई अन्तराष्ट्रीय कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1993 में उन्होंने मानव अधिकार के लिए विएना में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया।
मनमोहनजी अपने राजनितिक करिअर में 1991 में राज्यसभा के सदस्य बने। 1998 से 2004 तक वे विपक्ष नेता रहे। 22 मई 2004 में मनमोहनजी ने प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया।

Tuesday, 5 September 2017

Hardik Pandya Biography in Hindi – हार्दिक पांड्या की जीवनी


“जिंदगी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैं हमेशा एक King की तरह जीने की कोशिश करूंगा। चाहे मेरे पास पैसे हो या ना हो। मेरे जीने का तरीका यही रहेगा। इसलिए जो एक बार किंग होता है, वह हमेशा के लिए किंग ही होता है।” 

यह Hardik Pandya का Whatsapp Status था। वाकये में जिस तरह से Hardik Pandya बेखौफ Performance देते जा रहे है, उसके सामने Indian Cricket Team के लिए सालों से खेलने वाले Suresh Raina, Ravindra Jadeja जैसे खिलाड़ियों के परफ़ोर्मेंस फीके पड़ते जा रहे है।

आज हार्दिक Virat Kohli और Mahendra Singh Dhoni की कतार में खड़े नजर आते है। अब आप इस Hindi Biography द्वारा हार्दिक पाण्ड्या के मस्तमौला जीवन को जानेंगे।




Hardik Pandya Hindi Biography (Wiki)

Hardik Pandya का Early Life & Family

हार्दिक पाण्ड्या का जन्म छोर्यसी, सूरत, गुजरात में हुआ था। उनके पिता हिमांशु पाण्ड्या कार से रिलेटिड़ बिजनेसमेन थे।
उनका एक बड़ा भाई भी है – Krunal Pandya। पर वे कंधे के प्रोब्लेम से पीड़ित होने के कारण  मार्च 2015 से एक भी Cricket Match नहीं खेल सके।
बचपन से ही दोनों भाई Cricket के बड़े जुनूनी आशिक थे। इसलिए उन दोनों के जुनून के खातिर उनके पिता ने सूरत में अपने कार बिजेनेस को छोड़कर बरौदा में शिफ्ट हो गए, जहां उन्होंने अपने दोनों बेटों को India के पूर्व क्रिकेटर Kiran More के Cricket Academy भर्ती करा दिया।
किरण मोरे उनके पिता की कमजोर फाइनेसियल स्थिति को अच्छी तरह से जानते थे और वे दोनों भाइयों की प्रारंभिक उम्दा परफ़ोर्मेंस से काफी प्रभावित भी थे। जिस कारण उन्होंने उन दोनों भाइयों की तीन साल की अकेडमी फीस को माफ कर दिया।
हार्दिक अपने भाई से बेहतर थे। उनके भाई कहते है,
बचपन से ही उसमें गज़ब का कोन्फ़िडेंस और प्रैशर में अच्छा करने की अदभूत क्षमता हैं। जिसके कारण वो कई Club Cricket Matches को अकेले अपने दम पर जीता चुका है।
वे बेहतर परफ़ोर्मेंस के साथ कई First Class और List A मैच खेल चुके है।

Independence Day Wishes
(Quick Fact) Hardik Pandya’s Date of Birth – October 11, 1993

Hardik Pandya की Life Changing Moment

पर 2013-14 के Syed Mushtaq Ali Trophy की ओपनिंग मैच ने उनके जिंदगी को बदल कर रख दिया।
उस मैच में बरौदा जल्दी ही मात्र 20 रनों पर 2 विकेट गंवा चुका था। जिसके कारण बरौदा पर संकट के बादल मंडरा रहे थे।
ऐसे में पांचवें ओवर में हार्दिक बैटिंग करने आए। जहां उन्होंने India के बेस्ट तेज बैटरी जहीर खान, धवल कुलकर्णी और प्रवीण तांबे के घातक बॉलों का सामना करते हुए नॉट आउट 52 बॉलों में 82 रन बनाये और एक समय हार की कगार पर खड़ी बरौदा की टीम को जीता ले गए।
उनकी इस परफ़ोर्मेंस ने उन्हें Limelight में ला दिया, जिसके  कारण वे वर्तमान से लेकर पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच चर्चा के विषय बन गए।
इस परफ़ोर्मेंस से Mumbai Indians के कोच जॉन राइट इतने प्रभावित थे कि, वे हार्दिक के दूसरे मैच को भी देखने गए। जहां उन्हें हार्दिक ने निराश नहीं किया।
उस मैच में उन्होंने One of the best bowling figure 4-1-7-3 से बॉलिंग की और बैटिंग में कुछ अच्छे हाथ दिखाते हुए 37 रन बनाए। जो किसी भी All Rounder के लिए सबसे अच्छी परफ़ोर्मेंस से कम ना था।
मुंबई के लिए खेलने वाले और IPL ड्रेसिंग रूम में हार्दिक के पार्टनर रहे अदित्या तारे का उनके बारे में कहना है
वे पूर्ण विश्वाश के साथ अच्छी बैटिंग करते है। जिसके कारण हम उन्हें जानते है। वे दूसरे बरौदा खिलाड़ियों से अलग है। उनकी बैटिंग में क्वालिटी है, जो उनकी हर इनिंग में शो होता है
(Quick Fact) Hardik Pandya Ages – 22 years (2016)

IPL में Hardik Pandya

2014 के सीजन में Mumbai Indians ने उन्हें घायल खिलाड़ियों के backup के तौर पर प्रैक्टिस कैंप में रखा और उन्होंने मात्र 15 दिन में ही अपनी बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग से सबको प्रभावित कर दिया।
उन्हें अगले आईपीएल सीजन के लिए मुंबई इंडियंस ने 10 लाख की बेस प्राइस पर खरीद लिया।
Mumbai Indians में बिताए शुरुआती दिनों को याद करते हुए हार्दिक कहते है,
मुझे विश्वाश नहीं हो रहा था कि मैं अपने सपनों के स्टार से इतने नजदीक से मिल रहा था। और मैं बेहद खुश था कि मैं उस टीम का पार्ट था, जिस टीम में रिकी पोंटिंग, सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ी थे।
आप उनके अनलिमिटेड कोन्फ़िडेंस का अनुमान इस बात से लगा सकते है कि उन्होंने आईपीएल में बैंगलोर के खिलाफ Debut match में दूसरी गेंद ही पर मिड विकेट के ऊपर से शानदार छक्का मारा और धमाकेदार 6 गेंदों पर 16 रन बनाए, जो मुंबई इंडियंस की जीत के लिए काफी था।
इस तरह उन्होंने आईपीएल में One Man Army की तरह कई मैच जिताए। जिसकी तारीफ अक्सर उनके टीम कोच रिकी पोंटिंग किया करते थे।
एक मुलाक़ात में सचिन ने यहाँ तक कह दिया कि वह अगले 18 महीनों में इंडियन टीम में होगा। बाखुदा उस बात को एक साल भी नहीं हुए आज वो इंडिया के लिए खेल रहे है और कई मैचों में देशवाशियों के दिल भी जीत चुके है।
(Quick Fact) Hardik Pandya Height & Weight – 5’8″ & 65 Kg

Hardik Pandya ‘s Personal Life & Girlfriend

धोनी की तरह हार्दिक स्वभाव से बड़े शांत है, जो उनके चेहरे पर प्रेशर गेम में भी दिखता है। पर वे बहुत ही मस्तमौला है। वे हर मुमेंट को एंजॉय करने की कोशिश करते है।
इरफान पठान और युसुफ पठान उनके बहुत ही करीबी दोस्त है। पर अब तक उनका कोई Girlfriend नहीं है।
पर खबरों की माने तो वे कोलकाता में जमशेदपुर की 21 वर्षीय Model Lisha Sharma को दिल दे चुके है।

Hardik Pandya Love Healthy and Tasty Gujarati Dishes
(Quick Fact) Hardik Pandya’s Girlfriend- Lisha Sharma 

कुछ सवाल-जवाब

क्या वे स्मोक करते है – नहीं
क्या वे एल्कोहोल लेते है – नहीं
पसंदीदा खिलाड़ी – सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह
(Quick Fact) Hardik Pandya WT20 Debut Match – January 26, 2016 Against Australia

Monday, 4 September 2017

Flipkart Success Story in Hindi – Sachin Bansal & Binny Bansal Biography

Flipkart Success Story in Hindi – Sachin Bansal & Binny Bansal Biography

बहुत ही कम लोग होंगे जो इस कंपनी के नाम से वाकिफ नहीं होंगे. 2007 में इस कंपनी की शुरुआत हुई जो कि सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने मिलकर की थी. सचिन बंसल का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था. उनके पिता एक बिजनेसमैन है और उनकी माँ एक हाउसवाइफ. सचिन बंसल ने अपना ग्रेजुएशन IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस से किया था. IIT दिल्ली में पढ़ने की वजह से उन्हें अपने करियर के लिए टेंशन लेने की जरुरत तो बिलकुल भी नहीं थी.




बिन्नी बंसल ने भी उन्ही के साथ IIT से पढ़ाई की थी और वो भी चंडीगढ़ से है. दोनों के बैकग्राउंड सेम होने की वजह से वे एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते है जो की एक पार्टनरशिप में बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाता है. पढ़ाई के बाद सचिन बंसल और बिन्नी बंसल दोनों एक साथ amazon के लिए काम करते थे जो की दुनिया की सबसे बड़ी e-commerce कंपनी है. Amazon में काम करते समय ही उन्हें खुद की कंपनी खोलने का विचार आया और अपनी कंपनी खोलने के लिए सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने एक साथ कंपनी को छोड़ दिया. यह एक बड़ा रिस्क तो था लेकिन कहते है न की जो बड़ा रिस्क उठाने का साहस नहीं रखते, वे जीवन में कुछ हासिल नहीं कर सकते.
सचिन बंसल और बिन्नी बंसल दोनों ने मिलकर 5 September 2007 को अपनी एक कंपनी खोली जिसका नाम उन्होंने फ्लिपकार्ट रखा. जब यह कंपनी आयी थी तब भारत में ना के बराबर ही e – commerce कंपनी थी और जो पहले से कंपनी थी भी तो वह लोगो की मानसिकता के कारण फ़ैल हो रही थी. उस समय लोगो की सोच थी की कोई भी वस्तु बिना देखे और बिना छुए कैसे खरीदी जा सकती है. सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने लोगो की मानसिकता cash on delivery ला कर बदल दी जो की भारत में पहली बार था. इससे पहले भारत में ऑनलाइन साइट केवल डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से पैसे लेती थी जिस पर लोग जयादा भरोसा नहीं करते थे. यह कंपनी 2007 ने किताब बेचने से शुरू हुई थी. शुरू में खुद सचिन बंसल और बिन्नी बंसल स्कूटर से किताबो की बिक्री करने जाते थे और बुकशॉप के सामने खड़े होकर पम्पलेट बाटा करते थे. सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की मेहनत रंग लाई और 2008 में filpkart ने 40 मिलियन की बिक्री कर दी. ऐसा देखने के बाद इन्वेस्टर भी कंपनी की तरफ आकर्षित हुए जिससे flipkart ने बहुत सारी funding हासिल की. उसके बाद इस कंपनी ने कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और इसकी ग्रोथ कई गुना हो गयी.


2014 में फ्लिपकार्ट ने Myntra.com और कई साइट्स को खरीद लिया. अब फिल्पकार्ट पर Fashion, एसेसरीज, Computer, Mobile से लेकर हमारी जरुरत की हर चीजे मिलती है. 2016 में Flipkart की बिक्री 40 बिलियन तक पहुंच गयी.  इस कंपनी में 15000 से जयादा लोग काम करते है. आप फ्लिपकार्ट की अपार सफलता से तो समझ गये होंगे की इस दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है जरुरत है तो बस सच्ची लगन की क्योकि सच्ची लगन से जो काम किया जाये उसमे सफलता जरूर मिलती है.

Saturday, 2 September 2017

बॉलीवुड की Queen Katrina Kaif Biography in hindi

Katrina Kaif biography in hindi

Katrina Kaif भी ऐसी कुछ एक bollywood actresses में शामिल है जिनको फिल्म इंडस्ट्री में सबसे अधिक वेतन मिलता है | ठीक वैसे ही जैसे कंगना रानौत और प्रियंका चोपड़ा है | हालाँकि कैटरीना कैफ के शुरूआती दौर की बात करें तो यह ठीक वैसे ही है जैसे कि किसी भी न्यूकमर के लिए होता है और जाहिर सी बात है सफलता अगर इतनी आसानी से मिलती तो उसके लिए बाद में होने वाली ख़ुशी और मुकाम किसी के लिए इतना मायने क्यूँ रखता यही वजह है कि अपनी पहली हिंदी फिल्म करने के बाद कैटरीना या किसी को भी ऐसा नहीं लगा होगा कि यह लड़की इतनी आगे भी जाएगी कि एक दिन सबसे अधिक वेतन पाने वाली अभिनेत्री और सफल अभिनेत्री के तौर पर खुद को स्थापित कर लेगी | लेकिन कैटरीना ने अपनी मेहनत और लगन के चलते ऐसा करके दिखाया है | तो चलिए इस कमाल की अभिनेत्री के बारे में कुछ और बाते हम आज की इस पोस्ट “ Katrina Kaif biography in hindi “ में जानते है और जिनकी जिन्दगी से जुडी कुछ रोचक जानकारियां भी –



Family and Early life / परिवार और सामान्य जानकारी – 16 July 1983 में हांगकांग में जन्म लेने वाली कैटरीना कैफ का नाम है Katrina Turquotte और यह नाम इनके माँ के surname की वजह से है और इनके माता पिता के बारे में बात करें तो इनके पिता मोहम्मद कैफ मूल रूप से कश्मीरी है और इनकी मात्र सुजेन जो कि ब्रिटेन की एक वकील और सामाजिक कार्यकर्त्ता थी | कैटरीना के अनुसार इनकी माता और पिता का तलाक जब ये बहुत छोटी थी तभी हो गया था और माँ ही ही हम सात भाई बहनों की परवरिश की थी | जब ये भारत नहीं आई थी तब अपने माँ के ही surname का इस्तेमाल किया करती थी लेकिन जब भारत आई तो इन्होने आपने नाम को बदलकर Katrina Kaif कर लिया क्योंकि एक तो भारत में पिता के नाम को अपनाने का चलन है और साथ ही इस surname के साथ भारत में लोग इनके नाम को सहजता से बुला भी पाएंगे तो कैटरीना ने अपने नाम के साथ पिता का surname जोड़ दिया | कैटरीना के परिवार में उनके अलावा तीन बड़ी बहन (स्टेफ़नी, क्रिस्टीन और नताशा), तीन छोटी बहन (मेलिस्सा, सोनिया और इसाबेल) और एक बड़ा भाई जिसका नाम माइकल है।

चूँकि Katrina Kaif के पिता का तभी तलाक हो गया था जब कैटरीना छोटी थी जिसकी वजह से उन्हें पिता से कम ही लगाव था और शायद ही कभी अपने पिता के touch में ही रही हो ऐसे में कैटरीना ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब मैं देखती थी कि मेरे बाकि दोस्तों के माता पिता दोनों उनका बड़ा सपोर्ट करते है और उनके पिता एक बेहद अलग अहमियत रखते है तो मैं सोचती थी कि काश मैं भी इनमे से एक होती लेकिन मैंने कभी जिन्दगी से शिकायत नहीं कि और उन चीजो पर ध्यान दिया जो मेरे पास है बजाय उनके जो नहीं है | Katrina Kaif  की माँ चूँकि एक सामाजिक कार्यकर्त्ता थी जिसकी वजह से उन्हें एक से दूसरे देश में शिफ्ट होना पड़ता था जिसकी वजह से कैटरीना चीन , जापान , फ्रांस और स्विजरलैंड में रह चुकी है लेकिन बहुत से देशो में रहने के बाद वो वापिस लन्दन शिफ्ट हो गयी और उसके तीन साल बाद वो भारत आई | उनके बार बार जगह बदलने की वजह से ही कैटरीना और उनके भाई बहन को घर पर ही शुरूआती शिक्षा मिली |


Career, struggle and success / कैरियर संघर्ष और सफलता – जब Katrina Kaif 14 साल की थी तभी और उस समय में वो हवाई में थी तब उन्होंने एक ब्यूटी कांटेस्ट जीता और बेहद खुबसूरत होने की वजह से उन्हें कई सारे मोडलिंग प्रस्ताव भी मिलने लगे और सबसे पहले उन्हें किसी ज्वेलरी कम्पनी की और से काम मिला और इसके बाद वो लन्दन भी बतौर कैरियर इसे अपनाने लगी | एक दिन एक लंदन बेस्ड फ़िल्मकार Kaizad Gustad ने उन्हें notice किया और फिल्म boom में एक रोल ऑफर किया जो वाकई एक सुपर फ्लॉप फिल्म बाद में निकली | लेकिन Katrina Kaif  ने इसे लेकर हार नहीं मानी क्योंकि उनके पास उस समय मोडलिंग की दुनिया के दरवाजे खुले और उनके पास काम की कमी नहीं थी जिसकी वजह से उन्हें ऑफर मिलते रहे और वो मोडलिंग में सफल थी | दूसरी बात कि चूँकि कैटरीना की hindi भी इतनी अच्छी नहीं थी जिसकी वजह से कोई भी फिल्मकार उन्हें फिल्म में रोल देने से डरते थे | लेकिन बाद में कैटरीना ने Malliswari नाम की एक तेलुगु फिल्म की जिसके लिए उन्हें भारी भरकम रकम भी अदा की गयी और यह किसी भी साउथ इंडियन actress को दिए जाने वाले वेतन से कंही अधिक थी | हालाँकि Katrina Kaif  के अभिनय की किसी ने तारीफ नहीं कि लेकिन फिर भी यह फिल्म सफल रही थी | उन्हें अख़बारों में और मीडिया में फिल्म के रिव्यु के दौरान “ कमजोर और भावहीन अभिनय “ का तमगा दिया गया | जिसके बाद कैटरीना ने सबसे पहले अपनी हिंदी ठीक करने का सोचा और हिंदी की क्लासेज लेना शुरू कर दिया | और अपनी पहली फिल्म के बारे में कैटरीना का कहना है कि “ मैं उसे अपनी फिल्मो में शामिल नहीं मानती हूँ क्योंकि जिस समय मैंने उसे किया था मुझे नहीं पता था कि भारतीय दर्शक किस तरह के होते है और वो अपने पात्रों से क्या उम्मीद रखते है  |”
उसके बाद Katrina Kaif  ने ‘सरकार’ और ‘मैंने प्यार क्यूँ किया ‘  जैसी फिल्मे की जिसके लिए उन्हें Stardust Award भी दिया गया उसके बाद कैटरीना ने कई सारी सफल असफल फिल्मे की और उनके अभिनय की तारीफ की गयी क्योंकि उन्होंने अपनी hindi को भी अब बेहतर कर लिया था  | उनकी एक फिल्म के लिए उन्हें सराहा भी गया Namastey London के लिए जिसके लिए कहा गया कि ये ऐसी फिल्म है जिसमे लगता है कि उनका पात्र पर कोई अधिकार है |  
Personal Life / निजी जिन्दगी – कैटरीना की निजी जिन्दगी हमेशा मीडिया के लिए एक गॉसिप का विषय रही है लेकिन फिर भी कैटरीना मानती है कि उनकी निजी जिन्दगी जो है वो शादी से पहले ऐसी है कि मैं उसकी गरिमा बनाये रखना चाहती हूँ और इसी वजह से मैं अपनी personal life को अपने काम से अलग देखती हूँ | कैटरीना का नाम सलमान के साथ भी जोड़ा गया था और इस बारे में Katrina Kaif  द्वारा 2010  में सलमान से ब्रेकअप हो जाने के बाद खुलकर कहा गया कि यह उनका पहला सीरियस अफेयर था | लेकिन इसके बाद भी सलमान और वो काफी अच्छे दोस्त है यह कैटरीना की तरह से कहा गया और सलमान के बारे में वो इस तरह से अपनी राय को रखती है कि  “ वो हमेशा मेरे अच्छे दोस्त और गाइड की तरह रहे है और मेरे कैरियर में उनका अहम् योगदान है और उनकी हर सलाह मेरे लिए बहुत मायने रखती है और उनका मेरी जिन्दगी के उपर बहुत गहरा प्रभाव है |”
Katrina Kaif  का india में खुद का कोई घर नहीं है क्योंकि उन्होंने लन्दन में अपने लिए प्रोपर्टी बनाई है और साथ ही वो अपने परिवार के साथ बेहद जुड़ाव रखती है और चूँकि उनकी माँ एक ईसाई है और पिता मुसलमान जिसकी वजह से वो हर तरह के धर्म के बारे में समान विचार रखती है और उन्हें मंदिर , चर्च या मस्जिद या अन्य किसी भी धार्मिक स्थल पर जाते हुए देखा गया है | वो ऐसा तब भी करती है जब वो अपनी किसी भी फिल्म के रिलीज़ होने से पहले दुआ करने जाती है |

Social Causes / सामाजिक कार्य – कैटरीना अपनी माँ के द्वारा चलाये गये Relief Projects India नाम के ट्रस्ट में भी अपना सहयोग देती है जो छोड़ी ही बच्चियो और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए काम करती है | इसके अलावा कैटरीना और भी कई तरह के चैरिटी शो में हिस्सा लेती है |
Katrina Kaif Social Profile – Twitter Facebook Google Plus (यह Katrina Kaif  के ऑफिसियल अकाउंट नहीं बल्कि फैन पेज है |)

Thursday, 31 August 2017

बॉलीवुड की बेबो करीना कपूर की अनसुनी कहानी | Kareena Kapoor Biography In Hindi

Kareena Kapoor – करीना कपूर अपने वैवाहिक नाम करीना कपूर खान के नाम से भी जानी जाती है, वह भारतीय हिंदी फिल्मो की अभिनेत्री है। वह अभिनेता रणधीर कपूर और बबिता की बेटी है और अभिनेत्री करिश्मा कपूर की छोटी बहन भी है। रोमांटिक, कॉमेडी से लेकर क्राइम ड्रामा जैसी कई फिल्मो में करीना ने अलग-अलग किरदार को बखूभी निभाया है। कपूर को बहोत से पुरस्कार भी मिल चुके है जिनमे 6 फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है, वह बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध और सर्वाधिक फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में भी शामिल है।


करीना कपूर की अनसुनी कहानी / Kareena Kapoor Biography In Hindi


2000 में युद्ध पर आधारित फ़िल्म रिफ्यूजी से करीना ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात की थी और इसके बाद इतिहासिक ड्रामा फ़िल्म अशोका में अपने किरदार में उन्होंने अभिनय से जान डाल दी थी और हिंदी सिनेमा को उन्होंने खुद को साबित किया था। उनकी यह फ़िल्म उस समय ब्लाकबस्टर साबित हुई थी। इसके बाद उन्होंने एक और ब्लाकबस्टर फ़िल्म कभी ख़ुशी कभी गम (2001) भी की थी। अपने करियर में जल्द ही सफलता पाने वाली इस अभिनेत्री को बाद में असफलता का सामना करना पड़ रहा था, उन्हें फिल्मो में भी एक ही तरह के किरदार मिलते थे, जिससे दर्शको के बीच उनको नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता था।
वर्ष 2004 करीना के जीवन में टर्निंग पॉइंट बनकर आया था। इस साल उन्होंने एक सेक्स वर्कर पर आधारित ड्रामा फ़िल्म चमेली की थी। इसके बाद 2004 में ही आयी फिप्म देव में उनके किरदार की काफी आलोचना को गयी थी, इसके बाद उन्होंने 2006 में आयी फ़िल्म ओमकारा भी की थी, जो क्राइम पर आधारित थी। 2007 में रोमांटिक कॉमेडी जब वी मेट और 2010 को ड्रामा वी आर फॅमिली के लिए उन्हें फ़िल्म फेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड और बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला। भारत की 4 सबसे सफल फिल्मो में भी करीना ने मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई है – 2009 की कॉमेडी-ड्रामा 3 इडियट्स, 2011 की रोमांटिक ड्रामा बॉडीगार्ड, 2011 की साइंस फिक्शन रा.वन और 2015 की सोशल ड्रामा बजरंगी भाईजान। इसके साथ ही 2009 में आई थ्रिलर फ़िल्म कुर्बान और 2012 की ड्रामा फ़िल्म हेरोइन में उनके किरदार की काफी प्रशंसा भी की गयी थी।
उन्होंने अभिनेता सैफ अली खान से शादी की, कपूर की परदे के पीछे की ज़िन्दगी हमेशा से ही खबरों का कारण बनी हुई है। मीडिया में वे कभी अपना मुह नही खोलती और ना ही कुछ बोलना चाहती है और अपने किरदार और फैशन स्टाइल के जरिये वर दर्शको को आकर्षित करना चाहती है। कपूर एक स्टेज परफ़ॉर्मर और 3 किताबो की सह-लेखक भी है – इनमे एक जीवनी पर आधारित किताब और दो न्यूट्रिशन गाइड की किताबे है। रिटेल चैन ग्लोब्स (Globus) के साथ मिलकर उन्होंने खुद की कपड़ो की एक लाइन / रेंज भी शुरू की है।

21 सितम्बर 1980 को कपूर का जन्म मुम्बई के एक फ़िल्मी परिवार में हुआ था, कपूर (इन्हें बेबो के नाम से भी जाना जाता है) रणधीर कपूर और बबिता की सबसे छोटी बेटी है। उनकी बड़ी बहन करिश्मा भी एक अभिनेत्री है। अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर की वह पैतृक पोती है, अभिनेता हरी शिवदासानी की मातृक पोती है और एक्टर ऋषि कपूर की भतीजी है। कपूर के अनुसार उनका नाम “करीना” एक किताब एना कैरेनिना से लिया गया है, जिसे उनकी माता गर्भकाल के समय पढ़ती थी। अपने पिता की तरफ से देखा जाये तो वह एक पंजाबी है और अपनी माता की तरफ से देखा जाये तो वह सिंधी और ब्रिटिश है। वे बचपन में खुद को “शरारती बच्ची” बताती है, किशोरावस्था से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था। विशेषतः करीना अभिनेत्री नरगिस और मीना कुमारी के कार्यो से प्रभावित थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि फ़िल्मी सितारों से भरी होने के बावजूद उनके पिता महिलाओ को फिल्मो में काम नही करने देना चाहते थे क्योकी उनका मानना था की महिलाओ की जिम्मेदारियाँ परिवार और घर को सँभालने की होती है। इसी वजह से करीना और उनके माता-पिता के बीच हमेशा अनबन होती रहती थी और कुछ समय बाद वे अलग भी हो गए थे। बाद में उनकी माता ने ही उनका पालन पोषण किया, जिन्होंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए कई जॉब भी किये थे, तभी 1991 में करिश्मा ने फिल्मो में अपना डेब्यू किया। कई सालो तक अलग रहने के बाद अक्टूबर 2007 में उनका परिवार फिर एकसाथ रहने लगा था। कपूर कहती है की, “मेरे पिता मेरी ज़िन्दगी के मुख्य अंगो में से एक है, भले ही ज़िन्दगी के कुछ वर्षो में मैंने उन्हें न देखा हो, लेकिन हम हमेशा से ही एक परिवार की तरह रहे।”

कपूर ने मुम्बई की जमनाबाई नरसी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा और फिर देहरादून की वेल्हम गर्ल्स स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। अपनी माता की इच्छा को पूरा करने के लिए ही वे स्कूल जाती थी। कपूर के अनुसार इंजे शिक्षा में काफी रूचि नही थी, बल्कि ऊंज कभी भी अच्छे ग्रेड्स भिन्धि मिले थे, उन्हें सिर्फ गणित में ही अच्छे मार्क मिलते थे। वेल्हम कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद मुम्बई के मिठीबाई कॉलेज से इन्होंने 2 साल तक कॉमर्स की पढाई की। बाद में यूनाइटेड स्टेट की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने तीन महीने का माइक्रोकंप्यूटर कोर्स भी किया था। बाद में लॉ में उनकी रूचि जागृत हुई और मुम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया। लॉ का एक साल पूरा करने के बाद ही कपूर एक्ट्रेस बनना चाहती थी। तभी मुम्बई के ही एक एक्टिंग इंस्टिट्यूट से उन्होंने ट्रेनिंग लेना शुरू किया।
अवार्ड –
कपूर को फ़िल्मफेयर के 10 नामनिर्देशनो में से 6 अवार्ड मिले है। रिफ्यूजी में उनके किरदार के लिए कपूर को सन 2000 में बेस्ट फीमेल डेब्यू का अवार्ड भी मिला था। 2003 में आयी उनकी फ़िल्म चमेली के लिए उन्हें विशेष सम्मान दिया गया था और इसके बाद देव (2004) और ओमकारा (2006) के लिए क्रिटिक्स (Critics) अवार्ड भी मिले थे। कपूर को बाद में 2007 में आयी फ़िल्म जब वी मेट के लिए बेस्ट एक्ट्रेस और 2010 में आयी फ़िल्म वी आर फॅमिली के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का पुरस्कार भी मिला है।

Sunday, 6 August 2017

फ्रेंडशिप डे 2017: भारत में ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ के समय से है दोस्ती की मिसाल

भारत में 'महाभारत' और 'रामायण' के समय से ही दोस्ती का बड़ा महत्व रहा है। राम-कृष्ण ने, हनुमान-सुग्रीव ने और कृष्ण-सुदामा ने भी सच्ची दोस्ती का समाज को अच्छा मैसेज दिया है।


भारत में फ्रेंडशिप डे का महत्व आज से नहीं है, अगर इतिहास के पन्ने पलटोगे तो दोस्ती की ऐसी ऐसी मिसाल मिलेंगी जो आज भी जीवंत नजर आती हैं। वैसे तो भारत में फ्रेंडशिप डे इंटरनेशनल के रूप में कुछ ही सालों से मनाया जाता है लेकिन भारत में ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ के समय से ही दोस्ती का बड़ा महत्व रहा है। राम-कृष्ण ने, हनुमान-सुग्रीव ने और कृष्ण-सुदामा ने भी अच्छे दोस्त बनकर समाज को अच्छा मैसेज दिया है। आज भी दोस्त का जिक्र होने पर इनकी दोस्ती की बात की जाती है। बीते साल फ्रेंडशिप डे 7 अगस्त को मनाया गया था और इस बार 6 अगस्त को फ्रेंडशिप डे मनाया जाएगा।
हनुमान – सुग्रीव
दोस्ती की बात हो बजरंगबली हनुमान का जिक्र ना हो तो सब अधूरा है। इनकी दोस्ती सुग्रीव से थी, जिन्होंने पूरी तरह हर परिस्थिति में हनुमान जी का साथ दिया था और सीता जी को रावण की कैद से छुड़ाने में भी मदद की थी।
कृष्ण – सुदामा
कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के बिना सबकुछ अधूरा है। दोस्त वो है, जो बिना कहे अपने दोस्त की हर मुश्किल आसान कर दें। कुछ ऐसा ही भगवान कृष्ण ने किया था। उन्होंने अपने गरीब मित्र की मित्रता का भी मान रखा और उनकी गरीबी को भी हर लिया था।
नारायण धाम मंदिर उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐसी जगह है जिसे आज भी कृष्ण और सुदामा की मित्रता के रूप में देखा जाता हैं। ये भारत में एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ मूर्ति रूप में विराजित हैं। श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का प्रमाण नारायण धाम मंदिर में स्थित पेड़ों के रूप में आज भी देखा जा सकता है। मंदिर प्रबंध समिति व प्रशासन के सहयोग से अब इस मंदिर को मित्र स्थल के रूप में नई पहचान दी जा रही है। मान्यता है कि नारायण धाम वही स्थान है जहां श्रीकृष्ण व सुदामा बारिश से बचने के लिए रुके थे। इस मंदिर में दोनों ओर स्थित हरे-भरे पेड़ों के बारे में लोग कहते हैं कि ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों के गट्ठर से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी।
कृष्ण – अर्जुन
कृष्ण-अर्जुन के एक अच्छे मित्र और मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने अर्जुन को उस वक्त संभाला जब वो परिस्थितियों के भंवर में फंसकर युद्ध छोड़कर जा रहे थे। तब कृष्ण ने अर्जुन को मार्ग दिखाया और अर्जुन ने भी मित्र की बातों का मान रखा। इतिहास और धर्मशास्त्र गवाह है कि भारत मित्रता के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है। यहां की मित्रता जन्म-जनमांतर की होती है।

Monday, 31 July 2017

नौकरी छोड़कर AMAZON.COM कंपनी बनाने वाले JEFF BEZOS की प्रेरणादायक कहानी

अमेज़न के 'जेफ्फ बेजोस की कहानी'...

नमस्ते Friends,
आज आपको Amazon.com की कहानी बताने जा रहा हूँ...
Jeff Bezos ये उस व्यक्ति का नाम है जिसने अपनी हदों को तोड़कर इतिहास रच दिया। इन्होंने ही Amazon.com की Starting की थी। अपनी मेहनत से ही इन्होंने Amazon को इतना बड़ा बनाया कि, Amazon की कीमत आज $107 Billion है।


Early Life: 

Jeff Bezos का जन्म 12 January 1964 में New Mexico, US में हुआ। जिस समय इनका जन्म हुआ उस समय इनकी माता Jacklyn नाबालिग थीं। इनके पिता Ted Jorgensen इन्हें बचपन में ही छोड़कर चले गए। इनके दादा जी ने इनका पालन-पोषण किया। Jeff Bezos का Interest Electronics में था। जब भी कोई उनके Room में बिना जानकारी के घुस जाता तो इससे बचने के लिए उन्होंने एक Electronic Alarm बनाया। जब Bezos 4th Class में थे तब उनके School में Computer आया। उनके स्कूल में किसी भी Teacher को Computer चलाना नहीं आता था इसलिए Bezos और उनके साथियों ने Books पढ़कर ही Computer चलाना सीखा और कोई भी नहीं जानता था कि, वे आगे चल कर Computer Field में Retail क्रांति लाएँगे।

Amazon.com Start कैसे हुई?

Amazon.com की शुरुआत July 1994 में हुई, 1995 में सबसे पहले Amazon को Online Books और Magazines खरीदने के लिए Design किया गया था फिर धीरे-धीरे Profit होने पर अन्य वस्तुएँ भी बिकने लगीं। Amazon.com का नाम पहले Cadabra रखा गया बाद में फिर लगभग 3 महीने बाद इसका नाम बदलकर Amazon.com रख दिया। Amazon नाम को रखने का कारण था कि वह इसे सबसे बड़ी Book Sales Business Website बनाना चाहते थे क्योंकि Amazon दुनिया की सबसे बड़ी नदी है।

Jeff Bezos का प्रभाव:

उन हस्तियों में से एक हैं जिनके काम से दुनिया के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने लोगों का खरीददारी करने का तरीका बदल दिया है। Amazon की Starting सिर्फ एक छोटे से Garage और 3 Computers से हुई और आज Amazon Company में 2,30,800 से अधिक Workers हैं। Amazon का Revenue आज 107 Billion Us Dollar है। ये Website English, German, Spanish, Italian, Japanese, Brazilian, Dutch और Chinese भाषाओँ में Available है. इसका Business आज United States, United Kingdom, Japan, China, India France देशो में है।

Jeff Bezos द्वारा कहे गए Quotes:

1. A brand for a company is like a reputation for a man. You earn reputation by trying as many as hard things well.
किसी भी company का ब्रांड इंसान की प्रतिष्ठा की तरह होता है और आप प्रतिष्ठा को मुश्किल चीजें अच्छी तरह कर के प्राप्त कर सकते हैं।
2. There are two kinds of companies, those that work to try to charge more and those that work to charge less. We will be the second.
कम्पनियों के दो प्रकार होते हैं, एक जो कि, किसी वस्तु की कीमत अधिक लगाते हैं और दुसरे वो जो उसी वस्तु की कीमत कम लगाते हैं और हम दुसरे वालों में से हैं।
3. If you do build a great experience and team work, customers tell each other about that. Word of mouth is very powerful.
यदि आप अच्छा अनुभव और team बनाने में सफल हो जाते हो तो, ग्राहक एक-दुसरे से बात करते हैं और उनके शब्द बहुत शक्तिशाली सिद्ध होते हैं।
4. We expect all our businesses to have a positive impact on our ups and downs. Profitability is very important to every business or we wouldn't be in this market.
हम आशा करते है कि, हमारे व्यवसायों का सब पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लाभ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसके बिना हम बाज़ार में नहीं रह सकते।

Amazon.com के Logo की Story:

आप सबसे Amazon का Smiley Logo तो जरूर देखा होगा। Amazon के नीचे एक Smile जैसा Arrow है जो A से Start होकर Z तक जाता है जिसका मतलब है कि, Website पैर A to Z सभी सामान मिलता है और Smile करता हुआ भी लगता है जिससे इसे एक Attractive Look मिलता है।

दुनिया ऐसे लोगों से भरी पड़ी है जिन्होंने लीक से हटकर काम किया और दुनिया में अपना अलग नाम कर के दिखाया। Start-up का सिर्फ एक ही फंडा है कि, सबसे पहले कुछ नया सोचो और सबसे पहले उस Idea को Implement करो, क्योंकि सोच पर किसी का Control नहीं है। याद रखिए, आपकी Problem आपकी असली समस्या नहीं है, आपका उस समस्या के प्रति नजरिया ही आपकी सबसे बड़ी समस्या है। अगर आप समझते हैं कि, ये समस्या छोटी है तो वो समस्या आपके जीवन में कोई प्रभाव नहीं डाल पाएगी और अगर आप सोचते हैं कि, ये समस्या तो बहुत बड़ी है तो वो आपके जीवन को जरूर बर्बाद कर सकती है। याद रखिए...