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Thursday 31 August 2017

बॉलीवुड की बेबो करीना कपूर की अनसुनी कहानी | Kareena Kapoor Biography In Hindi

Kareena Kapoor – करीना कपूर अपने वैवाहिक नाम करीना कपूर खान के नाम से भी जानी जाती है, वह भारतीय हिंदी फिल्मो की अभिनेत्री है। वह अभिनेता रणधीर कपूर और बबिता की बेटी है और अभिनेत्री करिश्मा कपूर की छोटी बहन भी है। रोमांटिक, कॉमेडी से लेकर क्राइम ड्रामा जैसी कई फिल्मो में करीना ने अलग-अलग किरदार को बखूभी निभाया है। कपूर को बहोत से पुरस्कार भी मिल चुके है जिनमे 6 फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है, वह बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध और सर्वाधिक फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में भी शामिल है।


करीना कपूर की अनसुनी कहानी / Kareena Kapoor Biography In Hindi


2000 में युद्ध पर आधारित फ़िल्म रिफ्यूजी से करीना ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात की थी और इसके बाद इतिहासिक ड्रामा फ़िल्म अशोका में अपने किरदार में उन्होंने अभिनय से जान डाल दी थी और हिंदी सिनेमा को उन्होंने खुद को साबित किया था। उनकी यह फ़िल्म उस समय ब्लाकबस्टर साबित हुई थी। इसके बाद उन्होंने एक और ब्लाकबस्टर फ़िल्म कभी ख़ुशी कभी गम (2001) भी की थी। अपने करियर में जल्द ही सफलता पाने वाली इस अभिनेत्री को बाद में असफलता का सामना करना पड़ रहा था, उन्हें फिल्मो में भी एक ही तरह के किरदार मिलते थे, जिससे दर्शको के बीच उनको नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता था।
वर्ष 2004 करीना के जीवन में टर्निंग पॉइंट बनकर आया था। इस साल उन्होंने एक सेक्स वर्कर पर आधारित ड्रामा फ़िल्म चमेली की थी। इसके बाद 2004 में ही आयी फिप्म देव में उनके किरदार की काफी आलोचना को गयी थी, इसके बाद उन्होंने 2006 में आयी फ़िल्म ओमकारा भी की थी, जो क्राइम पर आधारित थी। 2007 में रोमांटिक कॉमेडी जब वी मेट और 2010 को ड्रामा वी आर फॅमिली के लिए उन्हें फ़िल्म फेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड और बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला। भारत की 4 सबसे सफल फिल्मो में भी करीना ने मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई है – 2009 की कॉमेडी-ड्रामा 3 इडियट्स, 2011 की रोमांटिक ड्रामा बॉडीगार्ड, 2011 की साइंस फिक्शन रा.वन और 2015 की सोशल ड्रामा बजरंगी भाईजान। इसके साथ ही 2009 में आई थ्रिलर फ़िल्म कुर्बान और 2012 की ड्रामा फ़िल्म हेरोइन में उनके किरदार की काफी प्रशंसा भी की गयी थी।
उन्होंने अभिनेता सैफ अली खान से शादी की, कपूर की परदे के पीछे की ज़िन्दगी हमेशा से ही खबरों का कारण बनी हुई है। मीडिया में वे कभी अपना मुह नही खोलती और ना ही कुछ बोलना चाहती है और अपने किरदार और फैशन स्टाइल के जरिये वर दर्शको को आकर्षित करना चाहती है। कपूर एक स्टेज परफ़ॉर्मर और 3 किताबो की सह-लेखक भी है – इनमे एक जीवनी पर आधारित किताब और दो न्यूट्रिशन गाइड की किताबे है। रिटेल चैन ग्लोब्स (Globus) के साथ मिलकर उन्होंने खुद की कपड़ो की एक लाइन / रेंज भी शुरू की है।

21 सितम्बर 1980 को कपूर का जन्म मुम्बई के एक फ़िल्मी परिवार में हुआ था, कपूर (इन्हें बेबो के नाम से भी जाना जाता है) रणधीर कपूर और बबिता की सबसे छोटी बेटी है। उनकी बड़ी बहन करिश्मा भी एक अभिनेत्री है। अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर की वह पैतृक पोती है, अभिनेता हरी शिवदासानी की मातृक पोती है और एक्टर ऋषि कपूर की भतीजी है। कपूर के अनुसार उनका नाम “करीना” एक किताब एना कैरेनिना से लिया गया है, जिसे उनकी माता गर्भकाल के समय पढ़ती थी। अपने पिता की तरफ से देखा जाये तो वह एक पंजाबी है और अपनी माता की तरफ से देखा जाये तो वह सिंधी और ब्रिटिश है। वे बचपन में खुद को “शरारती बच्ची” बताती है, किशोरावस्था से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था। विशेषतः करीना अभिनेत्री नरगिस और मीना कुमारी के कार्यो से प्रभावित थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि फ़िल्मी सितारों से भरी होने के बावजूद उनके पिता महिलाओ को फिल्मो में काम नही करने देना चाहते थे क्योकी उनका मानना था की महिलाओ की जिम्मेदारियाँ परिवार और घर को सँभालने की होती है। इसी वजह से करीना और उनके माता-पिता के बीच हमेशा अनबन होती रहती थी और कुछ समय बाद वे अलग भी हो गए थे। बाद में उनकी माता ने ही उनका पालन पोषण किया, जिन्होंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए कई जॉब भी किये थे, तभी 1991 में करिश्मा ने फिल्मो में अपना डेब्यू किया। कई सालो तक अलग रहने के बाद अक्टूबर 2007 में उनका परिवार फिर एकसाथ रहने लगा था। कपूर कहती है की, “मेरे पिता मेरी ज़िन्दगी के मुख्य अंगो में से एक है, भले ही ज़िन्दगी के कुछ वर्षो में मैंने उन्हें न देखा हो, लेकिन हम हमेशा से ही एक परिवार की तरह रहे।”

कपूर ने मुम्बई की जमनाबाई नरसी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा और फिर देहरादून की वेल्हम गर्ल्स स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। अपनी माता की इच्छा को पूरा करने के लिए ही वे स्कूल जाती थी। कपूर के अनुसार इंजे शिक्षा में काफी रूचि नही थी, बल्कि ऊंज कभी भी अच्छे ग्रेड्स भिन्धि मिले थे, उन्हें सिर्फ गणित में ही अच्छे मार्क मिलते थे। वेल्हम कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद मुम्बई के मिठीबाई कॉलेज से इन्होंने 2 साल तक कॉमर्स की पढाई की। बाद में यूनाइटेड स्टेट की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने तीन महीने का माइक्रोकंप्यूटर कोर्स भी किया था। बाद में लॉ में उनकी रूचि जागृत हुई और मुम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया। लॉ का एक साल पूरा करने के बाद ही कपूर एक्ट्रेस बनना चाहती थी। तभी मुम्बई के ही एक एक्टिंग इंस्टिट्यूट से उन्होंने ट्रेनिंग लेना शुरू किया।
अवार्ड –
कपूर को फ़िल्मफेयर के 10 नामनिर्देशनो में से 6 अवार्ड मिले है। रिफ्यूजी में उनके किरदार के लिए कपूर को सन 2000 में बेस्ट फीमेल डेब्यू का अवार्ड भी मिला था। 2003 में आयी उनकी फ़िल्म चमेली के लिए उन्हें विशेष सम्मान दिया गया था और इसके बाद देव (2004) और ओमकारा (2006) के लिए क्रिटिक्स (Critics) अवार्ड भी मिले थे। कपूर को बाद में 2007 में आयी फ़िल्म जब वी मेट के लिए बेस्ट एक्ट्रेस और 2010 में आयी फ़िल्म वी आर फॅमिली के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का पुरस्कार भी मिला है।

Sunday 6 August 2017

फ्रेंडशिप डे 2017: भारत में ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ के समय से है दोस्ती की मिसाल

भारत में 'महाभारत' और 'रामायण' के समय से ही दोस्ती का बड़ा महत्व रहा है। राम-कृष्ण ने, हनुमान-सुग्रीव ने और कृष्ण-सुदामा ने भी सच्ची दोस्ती का समाज को अच्छा मैसेज दिया है।


भारत में फ्रेंडशिप डे का महत्व आज से नहीं है, अगर इतिहास के पन्ने पलटोगे तो दोस्ती की ऐसी ऐसी मिसाल मिलेंगी जो आज भी जीवंत नजर आती हैं। वैसे तो भारत में फ्रेंडशिप डे इंटरनेशनल के रूप में कुछ ही सालों से मनाया जाता है लेकिन भारत में ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ के समय से ही दोस्ती का बड़ा महत्व रहा है। राम-कृष्ण ने, हनुमान-सुग्रीव ने और कृष्ण-सुदामा ने भी अच्छे दोस्त बनकर समाज को अच्छा मैसेज दिया है। आज भी दोस्त का जिक्र होने पर इनकी दोस्ती की बात की जाती है। बीते साल फ्रेंडशिप डे 7 अगस्त को मनाया गया था और इस बार 6 अगस्त को फ्रेंडशिप डे मनाया जाएगा।
हनुमान – सुग्रीव
दोस्ती की बात हो बजरंगबली हनुमान का जिक्र ना हो तो सब अधूरा है। इनकी दोस्ती सुग्रीव से थी, जिन्होंने पूरी तरह हर परिस्थिति में हनुमान जी का साथ दिया था और सीता जी को रावण की कैद से छुड़ाने में भी मदद की थी।
कृष्ण – सुदामा
कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के बिना सबकुछ अधूरा है। दोस्त वो है, जो बिना कहे अपने दोस्त की हर मुश्किल आसान कर दें। कुछ ऐसा ही भगवान कृष्ण ने किया था। उन्होंने अपने गरीब मित्र की मित्रता का भी मान रखा और उनकी गरीबी को भी हर लिया था।
नारायण धाम मंदिर उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐसी जगह है जिसे आज भी कृष्ण और सुदामा की मित्रता के रूप में देखा जाता हैं। ये भारत में एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ मूर्ति रूप में विराजित हैं। श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का प्रमाण नारायण धाम मंदिर में स्थित पेड़ों के रूप में आज भी देखा जा सकता है। मंदिर प्रबंध समिति व प्रशासन के सहयोग से अब इस मंदिर को मित्र स्थल के रूप में नई पहचान दी जा रही है। मान्यता है कि नारायण धाम वही स्थान है जहां श्रीकृष्ण व सुदामा बारिश से बचने के लिए रुके थे। इस मंदिर में दोनों ओर स्थित हरे-भरे पेड़ों के बारे में लोग कहते हैं कि ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों के गट्ठर से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी।
कृष्ण – अर्जुन
कृष्ण-अर्जुन के एक अच्छे मित्र और मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने अर्जुन को उस वक्त संभाला जब वो परिस्थितियों के भंवर में फंसकर युद्ध छोड़कर जा रहे थे। तब कृष्ण ने अर्जुन को मार्ग दिखाया और अर्जुन ने भी मित्र की बातों का मान रखा। इतिहास और धर्मशास्त्र गवाह है कि भारत मित्रता के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है। यहां की मित्रता जन्म-जनमांतर की होती है।