जब हीरे की बात की जाए तो दुनिया के सबसे प्राचीन और मूल्यवान कोहिनूर हीरे – Kohinoor Diamond को कोई कैसे भूल सकता है। वास्तव में इसे कोह-ए-नूर कहा जाता है, जो एक पर्शियन शब्द है जिसका अर्थ रोशनियों के पहाड़ से है। यदि आप इस हीरे के बारे में और कुछ जानना चाहते है तो हम यहाँ आपको कोहिनूर हीरे – Kohinoor Hira के बारे में बताने जा रहे है –
सबसे मूल्यवान हीरा “कोहिनूर” – Kohinoor Diamond History In Hindi
कोहिनुर एक विशाल, रंगो से भरा हीरा है जो 13 वी शताब्दी में भारत के आंध्र प्रदेश के गुंटूर के पास मिला था। इसका वजन 793 कैरेट (158.6 ग्राम) है और सबसे पहले यह ककटिया साम्राज्य में था। पिछले सौ सालो में यह हीरा कई लोगो के पास गया और अंत में 1849 में ब्रिटिश के पंजाब अधिग्रहण के बाद रानी विक्टोरिया के पास चला गया।
1852 में रानी विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट ने इसे कटवाकर 186 कैरेट का बनवाया था। आज यह टुकड़ा महारानी विक्टोरिया के ताज में लगा हुआ है, जो उनके ताज की शोभा बढ़ाता है। इस हीरो के पाने के लिए भी इतिहास में कई युद्ध हुए है।
आज यह हीरा महारानी विक्टोरिया के ताज में लगा हुआ है, टॉवर ऑफ़ लंदन में हर साल कई लोग इस हीरे को देखते है। भारत, पकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान सरकार ने कई बार इस हीरे पर अपना अधिकार होने का दावा किया है और उसे वापिस भी माँगा है। लेकिन इस हीरे को लेकर इतिहास में बहोत सी कथाये प्रचलित है लेकिन ब्रिटिश सरकार ने दावा किया है की उन्होंने इस हीरे को लीगली (Legally) हासिल किया है।
कोहिनूर हीरे का इतिहास – Kohinoor Diamond History
निश्चितरूप से कोहिनूर की उत्पत्ति को लेकर कोई इतिहासिक शोधपत्र नही है। कुछ इतिहासिक जानकारों के अनुसार 3000 BC का यह एक शाही खजाना था। कहा जाता है की 13वी शताब्दी में हिन्दू ककटिया साम्राज्य में भारत के आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले की कोल्लूर सुरंग से निकाला गया था। 14 वी शताब्दी के प्रारम्भ में ही दिल्ली सल्तनत के तुर्की ख़िलजी साम्राज्य के दूसरे शासक अलाउद्दीन ख़िलजी और उनकी सेना ने दक्षिण भारत को लूटना शुरू कर दिया। 1310 में ख़िलजी के जनरल मालिक काफूर ने वरंगल पर विजय पाया और तभी सफलतापूर्वक उन्होंने हीरे को हासिल कर लिया।
तब कोहिनूर हीरा ख़िलजी साम्राज्य में गया और बाद में तुर्की मुग़ल शासक बाबर ने इसे हथिया लिया था, जिसने भारत पर 1526 में आक्रमण कर मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी। उस समय उस हीरे को “बाबर का हीरा” नाम भी दिया गया था, और जैसे-जैसे यह हीरा अलग-अलग शासको के पास जाता रहा वैसे-वैसे इसके नाम भी बदलते गए। इतिहास में बाबर और उनके बेटे और हुमायूँ तीनो ही का अपने शासनकाल में कोहिनूर पर अधिकार था।
पूरी दुनियाँ में कोहिनूर हीरा सबसे कीमती और प्रसिद्ध माना जाता है जिसकी कीमत अभी भी पूरी तरह से नहीं लगायी जा सकी है लेकिन ऐसा माना जाता है की इसके साथ एक ऐसा अभिशाप जुड़ा हुआ है जिससे आजतक कोई नहीं बच पाया। कहा जाता है की यह हीरा अभिशापित है जिस कारण यह जिस किसी के भी पास जाता है उसे यह पूरी तरह से बर्बाद कर देता है, अनेक लोगो ने, शक्तिशाली राजपरिवारो ने इसे पाना चाहा लेकिन यह जिस किसीके भी पास गया उसे बर्बाद कर गया और कई ऐतिहासिक राज परिवारो के पतन के साथ भी इस हीरे का नाम जुड़ा है।
बहुत से लोग इसे सम्यन्तक मणि भी कहते है और इसके बारे में कहाँ जाता है की इसे भगवान् सूर्य ने अपने प्रबल भक्त ‘सत्राजित’ की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान स्वरुप दिया था और यही इसके उत्पत्ति की कहानी मानी जाती है और यही से इसकी अभिशप्त कहानी शुरू होती है। पुराणों के अनुसार यह हीरा एक दिन सत्राजित से खो गया और इसका झूठा आरोप श्रीकृष्ण पर लगा, परन्तु श्रीकृष्ण ने यह हीरा ढूंढ कर वापस सत्राजित को दे दिया और सत्राजित ने श्रीकृष्ण से प्रभावित हो यह उन्हें ही भेंट कर दिया, इसीलिए कहाँ जाता है की श्री कृष्ण पर झूठे आरोप से इस हीरे की अभिशापित कहानी शुरू हुई और बाद में इसी हीरे के कारण यदुवंश का विनाश भी हुआ। यदुवंश के विनाश के बाद यह हीरा इतिहास में कहीं खो गया और मध्यकाल तक इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता लेकिन सन 1306 में एक लेख लिखा गया जिसमे पहली बार इस हीरे का उल्लेख किया गया, इस लेख में मुताबिक जो भी इस हीरे को अपने पास रखेगा उसे बुरीतबाही का सामना करना पड़ेगा, परन्तु तब के शासको ने बात को हँसी में उड़ा दिया लेकिन कोहिनूर ने अपना असर दिखाना जारी रखा।
कोहिनूर हीरे की कुछ रोचक बाते – Interesting Facts About Kohinoor Diamond
1. कोहिनूर हीरा – Kohinoor Heera फ़िलहाल यूनाइटेड किंगडम के कब्जे में है –
हाँ, यह सच है, और आप इसे वापिस भारत में लाने के लिए कुछ नही कर सकते। आप चाहे इसे मनो या ना मानो, आप इस बात को झुटला नही सकते की फिलहाल कोहिनूर हीरा UK के कब्जे में है।
हाँ, यह सच है, और आप इसे वापिस भारत में लाने के लिए कुछ नही कर सकते। आप चाहे इसे मनो या ना मानो, आप इस बात को झुटला नही सकते की फिलहाल कोहिनूर हीरा UK के कब्जे में है।
2. कहा जाता है की इस हीरे पर एक श्राप है-
1306 में लिखित हिन्दू इतिहास के अनुसार उसी समय कोहिनूर इतिहास की खोज की गयी थी। हिन्दू इतिहास में लिखे दस्तावेजो के अनुसार इस हीरे को सिर्फ महिलाये ही धारण कर सकती थी और किसी भी पुरुष को इसे धारण करने की इज़ाज़त नही थी। क्योकि इसपर श्राप था की यदि किसी इंसान ने इसे धारण किया तो उसका और उसके राज्य का पतन हो जायेगा और इतिहास में हमें इसके पुख्ता सबुत भी मिलते है।
1306 में लिखित हिन्दू इतिहास के अनुसार उसी समय कोहिनूर इतिहास की खोज की गयी थी। हिन्दू इतिहास में लिखे दस्तावेजो के अनुसार इस हीरे को सिर्फ महिलाये ही धारण कर सकती थी और किसी भी पुरुष को इसे धारण करने की इज़ाज़त नही थी। क्योकि इसपर श्राप था की यदि किसी इंसान ने इसे धारण किया तो उसका और उसके राज्य का पतन हो जायेगा और इतिहास में हमें इसके पुख्ता सबुत भी मिलते है।
3. यूनाइटेड किंगडम में शाही परिवार के लोग इसका उपयोग करते थे –
सबसे पहले रानी विक्टोरिया ने इसका उपयोग किया। बाद में रानी विक्टोरिया की मौत के बाद रानी एलेग्जेंड्रा के ताज में इसे स्थापित किया गया था। रानी एलेग्जेंड्रा महान राजा एडवर्ड VII की पत्नी थी, 1902 में यह हीरा उनके ताज में लगाया गया था। 1911में यह हीरा रानी मैरी के पास गया।
सबसे पहले रानी विक्टोरिया ने इसका उपयोग किया। बाद में रानी विक्टोरिया की मौत के बाद रानी एलेग्जेंड्रा के ताज में इसे स्थापित किया गया था। रानी एलेग्जेंड्रा महान राजा एडवर्ड VII की पत्नी थी, 1902 में यह हीरा उनके ताज में लगाया गया था। 1911में यह हीरा रानी मैरी के पास गया।
4. वास्तव में कोहिनूर लगबग 800 कैरेट का था –
ये सही है, इसका वजह समय के साथ-साथ कम होता गया। बल्कि इस हीरे के कई टुकड़े भी किये गए थे, राष्ट्रिय खजाने में जाने से पहले इतिहास में इस हीरे को कई बार काटा गया था। प्राचीन समय में इस हीरे को विश्व का सबसे विशाल हीरा कहा जाता था।
ये सही है, इसका वजह समय के साथ-साथ कम होता गया। बल्कि इस हीरे के कई टुकड़े भी किये गए थे, राष्ट्रिय खजाने में जाने से पहले इतिहास में इस हीरे को कई बार काटा गया था। प्राचीन समय में इस हीरे को विश्व का सबसे विशाल हीरा कहा जाता था।
5. कुछ समय बाद मुग़लो ने ग्वालियर के राजा बिक्रमजीत से छीन लिया था –
जबतक बाबर ने कोहिनूर हीरे पर अपना अधिकार नही जमा लिया था तबतक भारत में इस हीरे को पाने के लिए कई युद्ध हुए। 1526 में बाबर ने पानीपत का युद्ध जीत लिया था और इसके बाद बाबर ने कोहिनूर को भी हथिया लिया था। 200 वर्षो तक कोहिनूर हीरा बाबर के साम्राज्य में रहा था।
जबतक बाबर ने कोहिनूर हीरे पर अपना अधिकार नही जमा लिया था तबतक भारत में इस हीरे को पाने के लिए कई युद्ध हुए। 1526 में बाबर ने पानीपत का युद्ध जीत लिया था और इसके बाद बाबर ने कोहिनूर को भी हथिया लिया था। 200 वर्षो तक कोहिनूर हीरा बाबर के साम्राज्य में रहा था।
6. कोहिनूर हीरा सर्वप्रथम भारत की सरजमी पर ही पाया गया था –
देश के दक्षिण भाग में कुछ लोगो के समूह ने इसकी खोज की थी। यह क्षेत्र भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गोलकोंडा भाग में आता है। जहा उस समय ककटिया साम्राज्य का शासककाल था।
देश के दक्षिण भाग में कुछ लोगो के समूह ने इसकी खोज की थी। यह क्षेत्र भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गोलकोंडा भाग में आता है। जहा उस समय ककटिया साम्राज्य का शासककाल था।
7. कोहिनूर को “बाबर का हीरा” कहा जाने लगा –
बाबर के बाद यह हीरा साम्राज्य के उत्तराधिकारियों के पास गया। लेकिन फिर बाद में पर्शियन जनरल नादिर शाह ने औरंगजेब को पराजित कर इसे हासिल कर लिया था। वे कोहिनूर को कोह-ए-नूर कहते थे।
बाबर के बाद यह हीरा साम्राज्य के उत्तराधिकारियों के पास गया। लेकिन फिर बाद में पर्शियन जनरल नादिर शाह ने औरंगजेब को पराजित कर इसे हासिल कर लिया था। वे कोहिनूर को कोह-ए-नूर कहते थे।
8. 14 वी शताब्दी में इसका मालिकाना हक्क मलिक काफूर ख़िलजी को मिला था
हाँ, ऐसा हुआ था, ख़िलजी साम्राज्य के गवर्नर जनरल ने भारतीय दक्षिण क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया था और सफलतापूर्वक काकटिया साम्राज्य से कोहिनूर हीरे को छीन लिया था।
हाँ, ऐसा हुआ था, ख़िलजी साम्राज्य के गवर्नर जनरल ने भारतीय दक्षिण क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया था और सफलतापूर्वक काकटिया साम्राज्य से कोहिनूर हीरे को छीन लिया था।
9. दलीप सिंह ने खुद कोहिनूर हीरा ब्रिटिश साम्राज्य की रानी को सौपा था। कहा जाता है की उस समय के भारतीय गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी के प्रार्थना करने पर उन्होंने ऐसा किया था।
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