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Friday 28 April 2017

विनोद खन्ना का जीवन परिचय | Vinod Khanna biography in hindi

Vinod Khanna biography in hindi विनोद खन्ना भारतीय सिनेमा में वह सितारा है, जो सिनेमा जगत के आकाश में हमेशा ध्रुवतारे की तरह रौशन रहे. विनोद खन्ना ने कई फ़िल्मों में अभिनय किया है. इन्हें प्रायः हर तरह की फ़िल्मों में अभिनय करने का मौक़ा मिला. शुरूआती समय में इन्हें कई छोटे मोटे और नाराकात्मक रोल प्राप्त हुए, किन्तु बाद में इनके खाते में कई बड़ी और सुपरहिट फिल्मे शुमार हुईं. शुरूआती समय में इन्हें अपने जीवन काल में 2 बार फ़िल्मफेयर आवार्ड प्राप्त हो चूका है. इन्होने अभिनय के साथ साथ कालांतर में राजनीति में भी अपना पांव जमाया और गुरदासपुर से सांसद भी रहे.


विनोद खन्ना का जन्म और शुरूआती जीवन (Vinod Khanna early life)

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 में ब्रिटिश भारत के पेशावर, जो कि अब पाकिस्तान में है, में हुआ था. इनके पिता का नाम किशनचंद खन्ना और माता का नाम कमल खन्ना था. इनके पिता एक बहुत बड़े व्यापरी थे, जिनका व्यापार टेक्सटाइल, डाई और रसायन बाज़ार में फैला हुआ था. विनोद के जन्म के बाद कुछ ही समय में भारत का बंटवारा हो गया और इनके पिता अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई आ गये. 

विनोद खन्ना की शिक्षा (Vinod Khanna education)

विनोद खन्ना की शुरूआती पढाई मुंबई के सैंट मैरी स्कूल में हुई. इस स्कूल में इन्होने दुसरी क्लास तक पढाई की. इसके बाद इनके पिता ने इनका दाखिला दिल्ली के सैंट ज़ेवियर हाई स्कूल में करा दिया. इसके कुछ ही समय बाद इनका पूरा परिवार दिल्ली स्थानांतरित हो गया. सैंट ज़ेवियर स्कूल के बाद इन्होने दिल्ली में ही स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढाई की. साल 1960 में इनका पूरा परिवार वापिस मुंबई आ गया. इस बार विनोद की बाक़ी की पढाई नासिक स्थित बार्नेस स्कूल से हुई. हाई स्कूल के बाद इन्होने मुंबई स्थित sydenham कॉलेज से कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की. अपनी पढाई के दौरान इन्होने सोलहवां साल और मुग़ले-आज़म जैसी फ़िल्में देखीं और इन्हें अहसाह हुआ कि यही इनका आखिरी मुकाम है. 

विनोद खन्ना का पारिवारिक जीवन (Vinod Khanna family)
साल 1971 में विनोद खन्ना का विवाह गीतांजलि से हुआ. गीतांजलि से इन्हें दो बच्चे हुए, जिनका नाम अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना था. इसके बाद ही विनोद खन्ना की रूचि आध्यात्म की तरफ होने लगी. ये ओशो रजनीश से संलग्न हो गये और ओशो के अमेरिका स्थित आश्रम में रहते हुए रजनीश के लिए माली का काम करने लगे. एक लम्बे समय तक भारत में न रहे की वजह से इनके वैवाहिक रिश्ते में दरार आने लगे और सन 1985 में ये रिश्ता हमेशा के लिए टूट गया. इस विवाह के टूटने के पांच साल बाद सन 1990 में इन्होने कविता से विवाह किया. कविता से भी इन्हें दो बच्चे हुए जिनका नाम साक्षी और श्रद्धा है.
विनोद खन्ना का करियर एवं फिल्मोग्राफी (Vinod Khanna career and filmography)

विनोद खन्ना अपने युवावस्था में बहुत ही आकर्षक थे. इनकी क़द काठी भी ठीक थी. अतः बहुत जल्दी इन्हें काम मिलने लगे. विनोद खन्ना ने अदुर्थी सुब्बा राव द्वारा निर्देशित सुनील दत्त की फ़िल्म ‘मन के मीत’ से अपनी फ़िल्म सफ़र की शुरुआत की. इस फ़िल्म में इन्हें विलन का किरदार दिया गया था और नायक की भूमिका में सोम दत्त थे. ये फ़िल्म एक तमिल फ़िल्म ‘कुमारी पेन’ की रिमेक थी. इसके साथ ही इन्होने कई ऐसी फ़िल्मों में नकारात्मक किरदार को निभाया. साल 1968 से 1971 के बीच रिलीज़ हुई फ़िल्मों में ‘पूरब और पश्चिम’, ‘सच्चा झूठा’, ‘आन मिलो सजना’, ‘मस्ताना’, ‘मेरा गाँव मेरा देश’ आदि में इन्होने नकारात्मक किरदार निभाते हुए इंडस्ट्री में अपनी जगह बनायी.
  • साल 1971 से 1982 के दौरान
विनोद खन्ना उन बहुत कम अभिनेताओ में हैं, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत विलेन के किरदार से की, और कालांतर में नायक के रूप में स्थापित हुए. हालाँकि फ़िल्म इंडस्ट्री में ये बहुत ही मुश्किल है. विनोद खन्ना को सन 1971 में आई फ़िल्म ‘हम, तुम और वो’ में लीड रोल में काम करने का मौक़ा मिला. इस सिनेमा में वे भारती विष्णुवर्धन के साथ नज़र आये. इसी साल इन्हें गुलज़ार साहब की फ़िल्म ‘मेरे अपने’ में भी देखा गया. ये फ़िल्म एक बंगाली फ़िल्म ‘आपनजन’ की रीमेक थी. इसके बाद सन 1973 में इन्हें पुनः गुलज़ार द्वारा लिखित और निर्देशित फ़िल्म ‘अचानक’ में देखा गया. इस फ़िल्म को लोगों और फ़िल्म समीक्षकों द्वारा खूब सराहा गया.
फ़िल्म ‘हम, तुम और वो’ में विनोद खन्ना का रोमांटिक रूप लोगों को खूब पसंद आया और उसके बाद कई फिल्मों में विनोद खन्ना का ये रूप देखा गया. साल 1973 से 1982 के दौरान इन्होने कई फ़िल्मों में सोलो हीरो की भूमिका निभाई. इन फ़िल्मों में फरेबी, हत्यारा, क़ैद, ज़ालिम, इनकार आदि है. इन फिल्मो ने लोगों के बीच इनकी अलग पहचान कायम कर दी. इन फ़िल्मों को करने के दौरान इनके साथ मौसमी चटर्जी, लीना चंदावरकर, विद्या सिंह आदि अभिनेत्रियाँ काम करती हुईं दिखीं. इन फ़िल्मों के बाद विनोद खन्ना के खाते में कई ब्लॉकबस्टर फ़िल्में भी आयीं. इन फ़िल्मों में गद्दार, आप की खातिर, मैं तुलसी तेरे आँगन की, खून की पुकार, शौक़, आधा दिन और आधी रात, आरोप, जेल यात्रा, ताक़त, दौलत आदि फिल्में की. कई अभिनेता ऐसे होते हैं, जो एक बार हीरो वाले किरदार की लाइन पकड़ लेने पर सपोर्टिंग रोल में नहीं आते, किन्तु विनोद खन्ना ने कई सपोर्टिंग रोल भी निभाए. इन सपोर्टिंग रोल से इनके स्टारडम में चार चाँद लग गये. सपोर्टिंग रोल करने के दौरान इन्होने आन मिलो सजना, सच्चा झूठा, कुदरत, राजपूत, प्रेमकहानी आदि फ़िल्मों में राजेश खन्ना के लिए सपोर्टिंग रोल में नज़र आये.
विनोद खन्ना ने कई मल्टी हीरो फ़िल्में भी की. मल्टी हीरो यानि एक साथ एक से अधिक सुपरस्टार का होना. इन फ़िल्मों में भी विनोद ने अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी. इन फिल्मों में शंकर शम्भू, चोर सिपाही, एक और एक ग्यारह, हेरा- फेरी, खून पसीना, अमर अकबर अन्थोनी, ज़मीर, परवरिश, मुक़द्दर का सिकंदर, हाथ की सफ़ाई, आखिरी डाकू आदि में इनके काम को आज भी याद किया जाता है. सुपरस्टार जीत्रेन्द्र के साथ इनकी फिल्मो में एक हसीना दो दीवाने, एक बेचारा, परिचय, इंसान, अनोखी अदा और जन्म कुंडली है. विनोद खन्ना के अपने करियर में एक लम्बा समय बेहतर स्टारडम के साथ गुज़ारा है. इनके करियर में ऐसा दौर भी आया जब इन्हें जीतेन्द्र, अमिताभ, ऋषि कपूर आदि सुपरस्टार से भी अधिक पैसे दिए गये. 
  • साल 1982 से 1986 के दौरान
इस दौरान विनोद खन्ना की रूचि आध्यात्म की तरफ गयी और वे फ़िल्म इंडस्ट्री से कुछ समय के लिए कट गये. इस दौरान इन्होंने किसी भी फ़िल्म में काम नहीं किया.
  • साल 1987 और इसके बाद
साल 1987 में पुनः एक बार विनोद खन्ना ने फिल्मो की तरफ रुख किया. इस दौरान इन्होने अपना रुका हुआ फ़िल्मी सफ़र पुनः फ़िल्म इन्साफ से शुरू किया. इस फिल्म में इनके साथ डिंपल कपाडिया नज़र आयीं. इसके बाद इन्हें कई रोमांटिक किरदार भी करने के मौके मिले, लेकिन अधिकतर समय इन्हें एक्शन थ्रीलर ही मिलते थे. रोमांटिक फिल्मो में इस दौरान इन्हें जुर्म और चांदनी फिल्म मिली थी. नब्बे के दशक के दौरान इन्हें मुक़द्दर का बादशाह, सीआईडी, रिहाई, लेकिन और हमशकल में देखा गया. इस समय कई मल्टी स्टार एक्शन फ़िल्में बन रही थीं. ऐसी फ़िल्मों में विनोद खन्ना का होना जैसे अनिवार्य हो गया था. वे फिल्मे आखिरी अदालत, खून का क़र्ज़, महासंग्राम, पुलिस और मुजरिम, क्षत्रिय, इंसानियत के देवता, एक्का राजा रानी, इना मीका डीका आदि थीं. साल 1997 में विनोद खन्ना ने अपने बेटे अक्षय खन्ना को हिमालय पुत्र में अपने साथ अभिनय के लिए तैयार किया. ऐसी फ़िल्मों में इनकी जोड़ी मिनाक्षी के साथ खूब देखी गयी. लोगों ने भी इस जोड़ी को खूब पसंद किया. इसके बाद इन्हें कुछ समय पहले सलमान खान के वांटेड, दबंग आदि फ़िल्मों में देखा गया था.
विनोद खन्ना का राजनीतिक करियर (Vinod Khanna political career)
सन 1997 में विनोद खन्ना ने राजनीति की तरफ अपना रुख किया. इस साल इन्होने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया और सक्रीय राजनीति से जुड़ गये. इसके 2 साल बाद सन 1999 पंजाब के गुरदासपुर से इन्होने पार्टी के लिए चुनाव लड़ा और इस सीट पर अपनी जीत दर्ज कराई. कालांतर में इसी सीट से इन्होंने पुनः चुनाव जीता. साल 2002 में भारत सरकार के यूनियन मिनिस्टरी ऑफ़ कल्चर और टूरिज्म के मंत्री बने. बहुत जल्द ही छः महीने के बाद ये मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स तक पहुँच गये. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में हालाँकि ये गुरुदासपुर से हार गये, किन्तु पुनः साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इन्हें अपनी सीट से पुनः जीत मिली.
विनोद खन्ना की मृत्यु (Vinod Khanna death)
विनोद इस दौरान कैंसर से जूझ रहे थे. इन्हें सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था. इस साल के आरम्भ में हालांकि इनके स्वस्थ होने की खबर आई थी, किन्तु बीमारी लगातार बढती गयी. अपने अस्वस्थता के समय इनके पास इनका पूरा परिवार मौजूद था. अंततः 27 अप्रैल 2017 को  इनका देहांत हो गया.

विनोद खन्ना के अवार्ड और उपलब्धियां (Vinod Khanna achievement award)
विनोद खन्ना को उनके अभिनय के लिए कई बड़े अवार्ड्स हासिल हुए. यहाँ पर इन अवार्डस के विषय में दिया जा रहा है.
  • साल 1975 में फ़िल्म ‘हाथ की सफ़ाई’ के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए मिला.
  • साल 1999 में फ़िल्मफेयर अवार्ड में लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया.
  • साल 2001 कलाकार अवार्ड की तरफ से लाइफ़टाइम अचिवेमेंट अवार्ड दिया गया.
  • साल 2005 में स्टारडस्ट अवार्ड की तरफ से रोल मॉडल ऑफ़ द इयर अवार्ड दिया गया.
  • साल 2007 में जी सिने अवार्ड की तरफ से लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया.
इस तरह विनोद खन्ना भारतीय सिनेमा के रास्ते में एक तरह से ‘मील के पत्थर’ के रूप में स्थापित हो गये हैं. युवा अभिनेता इनकी फ़िल्मों से बहुत कुछ सीख रहे हैं. विनोद खन्ना ने अपने जीवन में राजनीति भी की, किन्तु किसी तरह का राजनैतिक विवाद में इनका नाम नहीं आया. अर्थात राजनीति में भी इन्होने कला की ही तरह ईमानदारी बरती.

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