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Wednesday, 12 April 2017

हेनरी फोर्ड की जीवनी | Henry Ford Biography In Hindi

हेनरी फोर्ड / Henry Ford एक अमेरिकन उद्योगपति, फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक और मास (Mass) उत्पादन असेंबली लाइन के स्पोंसर भी थे।

हेनरी फोर्ड की जीवनी / Henry Ford Biography In Hindi


फोर्ड ने पहली ऑटोमोबाइल कंपनी विकसित की और निर्मिती भी की जिसे अमेरिका के मध्यम वर्गीय लोग भी आसानी से ले सकते थे। उनके द्वारा निर्मित ऑटोमोबाइल कंपनी को उन्ही के उपनाम पर रखा गया था और जल्द ही इस कंपनी ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली और साधारण ऑटोमोबाइल कंपनी ने जल्द ही बहुमूल्य कार बनाना शुरू किया और 20 वी शताब्दी में अपनी एक प्रभावशाली छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने मॉडल टी नामक गाड़ी निकाली जिसने यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रांति ला दी।

फोर्ड कंपनी के मालक होने के साथ ही दुनिया के सबसे धनि और समृद्ध लोगो में से एक थे। उन्हें “फोर्डीजम” की संज्ञा भी दी गयी थी। फोर्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी व्यापकता को बढ़ाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने अपनी गाडियों की कीमतों में कमी कर बहुत से ग्राहकों को आकर्षित भी किया था। इसके बाद फोर्ड की फ्रेंचाईसी भी उत्तरी अमेरिका के बहुत से भागो में खोली गयी। उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति भी फोर्ड फाउंडेशन के नाम पर कर दी थी और ऐसी व्यवस्था भी करा दी थी की वह स्थायी रूप से उनके ही परिवार के नियंत्रण में बनी रहे।

प्रारंभिक जीवन –

हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को मिशिगन के ग्रीनफ़ील्ड फार्म में हुआ था। असल में उनका परिवार इंग्लैंड के सॉमरसेट से था। फोर्ड के 15 साल की आयु में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी थी। हेनरी फोर्ड के भाई-बहनों में मार्गरेट फोर्ड (1867-1938), जेन फोर्ड (1868-1945), विलियम फोर्ड (1871-1917) और रोबर्ट फोर्ड (1873-1934) शामिल है।

किशोरावस्था में उनके पिताजी ने उन्हें एक जेब घडी दी थी। 15 साल की आयु में फोर्ड पूरी तरह गिर चुके थे लेकिन दोस्त और पड़ोसियों की सहायता से वे फिर उठकर खड़े हुए और घडी ठीक करने वाले के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनायी।

परिस्थिति को देखकर उनके पिता उन्हें पारिवारिक फार्म देना चाहते थे लेकिन फोर्ड को फार्म पर काम करना पसंद नही था। बाद में उन्होंने लिखा की, “मुझे कभी भी फार्म से प्यार ही नही था – बल्कि फार्म में काम करने वाली मेरी माँ से मुझे प्यार था।”

1879 में जेम्स एफ. फ्लावर & ब्रदर्स और बाद में 1882 में ड्राई डॉक कंपनी के साथ काम करने के लिये उन्होंने घर छोड़ दिया था। बाद में उन्होंने वेस्टिंगहाउस में भी स्टीम इंजन पर काम किया। इस समय में फोर्ड ने गोल्डस्मिथ, ब्रायंट & स्ट्रेटन बिज़नस कॉलेज में बुककीपिंग का भी अभ्यास किया था।

विवाह और परिवार –

फोर्ड ने क्लारा जेन ब्रायंट (1866-1950) से 11 अप्रैल 1888 को हुई थी और उनकी पत्नी की सहायता से ही वे एक सॉमिल भी चलाते थे। उनका एक बेटा भी है : एड्सेल फोर्ड (1893-1943)।

करियर –
1891 में फोर्ड एडिसन ज्ञानवर्धन कंपनी के इंजिनियर बने। 1893 में मुख्य इंजिनियर के रूप में उनका प्रमोशन होने के बाद उनके पास पर्याप्त समय और पैसे दोनों थे। और तभी उन्होंने गैसोलीन इंजन पर खोज करना भी शुरू किया। उनकी यह खोज 1896 में पूरी हुई और उन्होंने एक गाड़ी का भी निर्माण किया जिसका नाम फोर्ड क्वैडसाइकिल रखा गया था। उन्होंने 4 जून को इसका सफल प्रशिक्षण भी किया था। बहुत सी टेस्ट ड्राइव के बाद फोर्ड ने अपनी क्वैडसाइकिल में बहुत से सुधार भी किये।

1896 फोर्ड ने एडिसन के एग्जीक्यूटिव की मीटिंग भी अटेंड की, वहाँ उनका परिचय थॉमस एडिसन से हुआ था। वहाँ उन्होंने फोर्ड ऑटोमोबाइल के प्रोजेक्ट को सभी के सामने रखा। एडिसन ने उनके इस प्रोजेक्ट को सराहना भी की और फोर्ड के आकार और गाड़ी बनाने का काम भी 1898 में पूरा हुआ। डेट्रॉइट लंबर बैरन विलियम एच. मर्फी की पूँजी के समर्थन से चलने वाले फोर्ड ने एडिसन कंपनी से इस्तीफा भी दे दिया था और 5 अगस्त 1899 को नयी डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल कंपनी की स्थापना भी की थी। उस समय पहले कम गुणवत्ता वाली गाडियों के निर्माण में भी बहुत लागत लगती थी इसी वजह से उनकी कीमत भी ज्यादा होती थी। इसी वजह से इस कंपनी को सफलता नही मिल सकी और जनवरी 1901 में कंपनी खत्म हो गयी थी।

बाद में सी. हेरोल्ड विल्स की सहायता से फोर्ड को फिर से डिजाईन किया गया, इसे पुनर्निर्मित किया गया और सफलतापूर्वक अक्टूबर 1901 में 26 हॉर्सपावर के साथ चलाया गया था। इसी सफलता के साथ मर्फी और दुसरे सहकर्मियों ने डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल कंपनी को बदलकर हेनरी फोर्ड कंपनी की स्थापना 30 नवम्बर 1901 को को की थी, जिसकी फोर्ड मुख्य इंजिनियर थे। 1902 में फोर्ड के कंपनी छोड़कर चले जाने के बाद मर्फी ने फिर से कंपनी का नाम बदलकर किडिलैक ऑटोमोबाइल कंपनी रखा।

1902 में ही 8+ हॉर्सपावर के साथ फोर्ड ने साइकिलिस्ट कूपर के साथ मिलकर रेस “999” में जीत भी हासिल की। इसके बाद फोर्ड को एलेग्जेंडर व्हाय. मलकोम्सों का समर्थन मिला जो डेट्रॉइट के ही कोल्-डीलर थे। उन्होंने पार्टनरशिप में फोर्ड & मलकोम्सों लिमिटेड की स्थापना भी की जो ऑटोमोबाइल का उत्पादन करती थी। इसके बाद फोर्ड बहुमूल्य गाडियों के निर्माण और उन्हें डिजाईन करने में लग गये।


रोचक बाते –

• अल्दौस हक्सले के ब्रेव न्यू वर्ल्ड (1932) में फोर्डीस्ट का आयोजन किया। और तभी फोर्ड ने अपने पहले मॉडल टी का भी अनावरण किया।
• ओप्टन सिंक्लैर ने 1937 में फोर्ड की काल्पनिक कहानी का वर्णन अपने नॉवेल दी फ्लिवर किंग में किया था।
• बहुत से इतिहासिक नॉवेल में फोर्ड का उपयोग किसी व्यक्तिगत चरित्र को दर्शाने के लिये भी किया गया था, जिसने मुख्य रूप से इ.एल. डोक्टोरो का रागटाइम (1975) और रिचर्ड पॉवर का नॉवेल थ्री फार्मर ऑन दी वे ऑफ़ डांस (1985) शामिल है।
• 1986 में रोबर्ट लकी की बायोग्राफी में फोर्ड, उनके परिवार और उनकी कंपनी तीनो का ही वर्णन था और उसका शीर्षक था, “फोर्ड : दी मैन एंड दी मशीन” इस किताब को 1987 में अपनाया गया था।
• 2005 में इतिहासिक उपन्यास दी प्लाट अगेंस्ट अमेरिका में फिलिप रोथ ने फोर्ड को एक बहुदिमागी व्यक्तित्व भी बताया था।
• ब्रिटिश लेखक डगलस गालब्रेथ ने फोर्ड के शांति जहाज का उपयोग उपन्यास किंग हेनरी (2007) के मौत की जगह के रूप में किया था।
• 2008 में ही फोर्ड ने दुनिया में अपनी पहचान बनवा ली थी और दुनिया की सबसे कीमती और बहुमूल्य गाड़िया बनाने वाली कंपनियों में भी शामिल हो गयी।
• 1946 में वे ऑटोमेटिव हॉल ऑफ़ फेम भी रह चुके है।
• समस्वर संगीतकार फेर्ड़े ग्रोफ़ ने हेनरी फोर्ड के सम्मान में एक टोन कविता की रचना भी की थी।

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